‘सामाजिक संवाद और टीवी पत्रकारिता’ विषय पर आयोजित सत्र में आजतक न्यूज चैनल्स के एंकर सईद अंसारी ने कहा कि अपने आंख और कान खुले रखकर ही आप अच्छे पत्रकार बन सकते हैं। न्यूज चैनल्स में सिर्फ एंकर और रिपोर्टर ही नहीं होते हैं बल्कि कई और भी मौके हैं। पत्रकारिता मंग आने से पहले स्वयं का मूल्याकंन करना चाहिए और फिर तय करना चाहिए कि क्या बनना है।
इस मौके पर न्यूज-24 के मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ ब्यूरो प्रमुख प्रवीण दुबे ने कहा कि टेलीविजन को लेकर लोगों में एक धारणा है कि टीवी गंभीर नहीं होती है। जबकि टीवी हमेशा समाज के संवाद को समझकर अपनी बात कहता है। संवाद की सफलता तभी है जब वह अपनी बात लोगों तक पहुंचा सके। उन्होंने कहा कि टीवी की कोशिश यही होती है कि वह आम जनता के मन की बात कहे। हालांकि यह बात भी सही है कि टीवी कई बार अपनी सीमाएं लांघ जाता है। अपने बचाव में टीवी से जुड़े लोग अमूमन कहते हैं कि लोग जो देख रहे हैं हम वही तो दिखा रहे हैं। जबकि सच यह है कि टीवी जो दिखाएगा, लोग उसे ही देखना शुरू कर देंगे। उन्होंने बताया कि सामाजिक संवाद का सबसे सशक्त माध्यम है टीवी। सत्र का संचालन जनसंचार विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. सौरभ मालवीय ने किया।