नए रेल बजट से भारतीय रेलवे का कायाकल्प हो जायेगा -सदानंद गौड़ा
विशेष साक्षात्कारकेन्द्रीय रेल मंत्री श्री डी.वी. सदानंद गौड़ा के साथ
केन्द्रीय रेल मंत्री श्री डी.वी. सदानंद गौड़ा कर्नाटक के दक्षिण कन्नड जिले से हैं और इस समय वे लोकसभा में बंगलौर उत्तरी निर्वाचन-क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने अपना राजनैतिक जीवन जनसंघ सदस्य के रूप में किया और भाजपा का प्रतिनिधित्वन करते हुए उन्होंने 1994 और 1999 में कर्नाटक विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए। वे मंगलौर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से 2004 में 14वीं लोकसभा से निर्वाचित हुए और 2006 में उन्हें भाजपा का कर्नाटक प्रदेशाध्यक्ष चुना गया। उन्होंने पार्टी प्रदेशाध्यक्ष के रूप में उस समय राष्ट्रीय प्रसिद्धि प्राप्तश की जब बीजेपी ने मई 2008 में दक्षिण भारत से पहली बार विधानसभा चुनाव जीता। वे अगस्त 2011 में कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनने से पहले उडुपी चिकमंगलुर निर्वाचन क्षेत्र से 15वीं लोकसभा के सांसद निर्वाचित हए। हाल के आम चुनाव में 16वीं लोकसभा में निर्वाचित होने से पूर्व श्री सदानंद गौड़ा भाजपा के राष्ट्रीय
उपाध्यक्ष रहे। उन्होंने प्रधानमंत्री मंत्रिमण्डल में केन्द्रीय मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की और उन्हें रेलमंत्री का कार्यभार सौंपा गया। श्री गौड़ा ने पहली बार रेल बजट पेश किया जिसमें उन्होंने भारतीय रेलवे को पटरी पर लाने के लिए अनेक सुधारों की घोषणा की। एक साक्षात्कार में वरिष्ठ पत्रकार राम प्रसाद त्रिपाठी से बातचीत में सदानंद गौड़ा ने भारतीय रेलवे के सामने आसन्न चुनौतियों और प्राथमिकताओं का उल्लेख किया। उन्होंने रेलवे की महत्वाकांक्षी योजनाओं को भी सामने रखा और साफ-साफ स्वीकार किया कि भारतीय रेलवे के एक दशक के कुशासन के बाद उनकी सीमाएं बहुत कम बची रह गई हैं। उनके साक्षात्कार के कुछ अंश नीचे प्रस्तुत है :
राम प्रसाद त्रिपाठी
केन्द्रीय रेलमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने और अपना
पहला रेल बजट पेश करने के लिए अनेक बधाइयां आपने
अपने रेल बजट में कुछ साहसिक निर्णय
लिए हैं, और अनेक महत्वाकांक्षी कदम उठाए हैं।
परन्तु, आज भारतीय रेलवे की वास्तविक स्थिति
क्या है?
रेलवे बजट भारतीय रेलवे के भविष्य का एक विजन दस्तावेज
है। मेरा विशेष ध्यान इस बात पर रहा है कि हम पुरानी
गलत पद्धतियों से दूर हटें और भविष्य के लिए एक
ठोस नींव रखें। मैंने अपने बजट में प्रतिष्ठित प्रकार
के वायदे नहीं किए हैं। मेरी कोशिश रही है कि रेलवे
को नई दिशा दी जाए और स्पष्ट है कि इसके परिणाम
आने में कुछ समय लगेगा। किन्तु पिछले कुछ वर्षों में
पहले की सरकारों ने भारतीय रेलवे की प्रणालीगत
उपेक्षा करना सचमुच दुर्भाग्यपूर्ण है जिसने रेलवे
की छवि को बुरी तरह से क्षत-विक्षत कर दिया।
पिछले कई वर्षों में इतने अधिक घाटे इकट्ठे हो
गये जिससे विगत 10 वर्षों में यूपीए सरकार
द्वारा घोषित वर्तमान में चल रही
परियोजनाओं के लिए बजट इमदाद के लिए लगभग
कुछ भी बचा नहीं रह गया। उन्होंने भारतीय रेलवे
संबंधी हर बात का राजनीतिकरण किया और इस
सेक्टर में विकास के लिए जरा भी कुछ नहीं किया।
मुझे भविष्य के लिए एक नया रोड़मैप बनाने के लिए
विरासत में मिली इस कठिनाई से जूझना था।
– रेल यात्रियों के लिए सुरक्षा, स्वच्छता और स्वास्थ्य जैसे
विषय चिंता का विषय हैं। आपने इन चिंताओं के
समाधान के लिए बजट में कौन से कदम उठाए हैं?
मेरे बजट का मूल विषय ही गाड़ियों में सुरक्षा, स्वच्छता और
स्वास्थ्य में सुधार करना है। गाड़ियों मे सुविधाएं प्रदान
करने से बचा नहीं जा सकता। वास्तव में यात्रियों को
बढ़े किराए मंजूर हैं बशर्ते कि उन्हें सही सेवाएं मिलें।
जहां तक रेलवे में दिये जा रहे भोजन की किस्म की बात
है, ऐसे प्रावधान किए जा रहे हैं जिससे यात्रियों को
‘रेडी टू ईट फूड’ दिया जाए तथा बेस किचन में भी
हाइजीन सुनिश्चित की जाए। स्वच्छता चिंता का एक
और विषय है। मोदी जी को शुरू से ही इस चुनौती
से अवगत थे और इसलिए हमने सत्ता संभालते ही
पहले दिन से पूरे देश में स्टेशनों पर स्वच्छता आंदोलन
शुरू कर दिया। गाड़ियों और स्टेशनों दोनों पर
शौचालयों की स्थिति इतनी खराब है कि लोग इन
सुविधाओं से दूर रहना चाहते हैं। हमारी रेलों में
स्वच्छता में सुधार करने के लिए मैंने इस सेक्टर के
लिए बजट में विशाल 40 प्रतिशत की वृद्धि की है।
हमने अपने बजट में सुरक्षा मुद्दों को भी प्राथमिकता
दी है। अन्य क्षेत्रों में यातायात जमाव, बिना चैकीदार
वाले क्रासिंग और गाड़ियों के अंदर सुरक्षा सम्बन्धी
विषय हैं जिनका समाधान किया जाना है। गाड़ियों
के अन्दर महिलाओं की सुरक्षा के लिए मैंने कोचों
में सीसीटीवी कैमरे, गाड़ियों में महिला आरपीएफ के
लिए धनराशि आवंटित की है और इसके लिए हम
गाड़ियों में सफर करने वाले यात्रियों की सुरक्षा में
सुधार के लिए 4000 से अधिक महिला कांस्टेबल
भर्ती करेंगे।
– आपने तेज गति से चलने वाली गाड़ियों के लिए डायमंड
चतुर्भुजीय परियोजना की घोषणा की है जो भारतीय
रेलवे के लिए एक बड़ी छलांग होगी। इसका रोडमैप
क्या है और कितने वर्षों में यह लागू हो पाएगा?
आज का उदीयमान भारत परिवर्तन चाहता है, जो वास्तव में
समय के अनुकूल है। इसके लिए आधुनिक इंफ्रास्टसक्च र
की आवश्यकता है जो विश्व में सबसे उत्कृष्ट होना
चाहिए। अतः इस बात को ध्यान में रखते हुए
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने तेज गति और बुलेट गाड़ियों
का वायदा चुनाव में किया था।
जैसा कि आप जानते हैं कि हाल में हमने दिल्ली से आगरा
के बीच तेज गति चलने वाली गाड़ी का परीक्षण
किया था और हमने देश के और आठ हिस्सों में भी
इसकी बात कही है, जहां हम प्रारम्भिक दौर में तेज
गति की गाड़ियां चलाएंगे। बुलेट गाड़ी एक और
कंसेप्ट है। स्वर्णिम चतुर्भुजीय परियोजना, जिसकी
शुरूआत पिछली एनडीए सरकार के दौरान श्री अटल
बिहारी वाजपेयी ने की थी, श्री मोदी ने भी डायमण्ड
चतुर्भुजीय परियोजना का प्रस्ताव किया है जो महानगरों
सहित देश के सभी भागों को जोड़ेगी। इसके लिए
हमने बजट में प्रावधान किया है और अगले कुछ
महीनों में हमें जेआईसीए से इसकी व्यावहारिक रिपोर्ट
मिल जाएगी। हम उनकी व्यावहारिकता के आधार
पर आगे बढ़ेंगे। अगले 4-5 वर्षों में मुझे उम्मीद है
कि मुम्बई से अहमदाबाद के हिस्से में प्रारम्भिक दौर
में काम शुरू हो जाएगा और उसके बाद हम इस
नेटवर्क का विस्तार करेंगे। पूरे देश में इस महत्वाकांक्षी
परियोजना पूरी करने के लिए 10 वर्ष और लगेंगे।
– रेलवे के विकास के लिए संसाधन-संग्रह का भारी संकट
है। आप कौन से तरीके अपनाएंगे जो आपसे पहले
के मंत्रियों ने नहीं अपनाए?
दो बातें हैं। रेलवे की संचालन लागत लगभग 94 प्रतिशत
है। अतः पहले तो हमें यह संचालन लागत कम करनी
होगी और दूसरे हमें सुनिश्चित करना होगा कि रेलवे
में कुछ चुनिंदा सेक्टरों में विकास के लिए कुछ निजी
लोग भी सामने आएं। हम बुलेट गाड़ियों के लिए,
फ्रंट कॉरीडोर और हाई स्पीड गाड़ियों के लिए
एफडीआई को भी प्राप्त करने की कोशिश करेंगे।
परन्तु, कोर आप्रेशन एरिया रिंग-फैंस्ट है और किसी को भी
इसमें हस्तक्षेप नहीं करने दिया जाएगा। अन्य बड़ी
इंफ्रास्टतक्च रल परियोजनाओं के लिए हम निश्चित ही
एफडीआई और विजीबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीपी)
रूट्स पर विचार करेंगे। निजी लोग 15000 करोड़
से अधिक का निवेश औद्योगिक तथा पोर्ट कनेक्टिविटी
एवं वैगन मैन्युफैक्चरिंग परियोजना में निजी लोग
प्रमुख भूमिका अदा कर सकते हैं जिससे अन्ततः
रेलवे तथा लोगों को लाभ मिलेगा।
– स्वतंत्रता के 67 वर्षों बाद दक्षिण ओडिशा, उत्तराखंड,
हिमाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर राज्यों के हिस्सों में
आज भी अच्छी रेलवे कनेक्टिविटी की आवश्यकता
है। इस बात को देखते हुए कि इन क्षेत्रों में परियोजनाएं
अलाभकारी रहेंगी, क्या फिर भी आप इन
परियोजनाओं को प्राथमिकता देंगे?
देखिए, विगत में क्या हुआ? मेरा मानना है कि अगले
चार-पांच वर्षों में, हर अनकनेक्टिड क्षेत्र की प्रमुख
शहरों को कनेक्टिविटी दी जाएगी। इसे पूरा करने के
लिए हमने कश्मीर और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में राष्ट्रीतय
परियोजना के रूप में कुछेक परियोजनाएं चलाई हैं,
जिसके लिए विशेष धनराशि रखी जाएगी और
अतिरिक्त धनराशि का प्रावधान इसमें बाधक नहीं
बनेगा। इस बात का ध्यान में रखते हुए हमने इस बजट
में कोई नया प्रोजेक्ट अपने हाथ में नहीं लिया है
क्योंकि हमारी पहली प्राथमिकता वर्तमान परियोजनाओं
को जल्द से जल्द पूरा करने की है। इन परियोजनाओं
को पूरा करने के लिए एक बड़ी भारी रकम 5 लाख
करोड़ रुपए की है और अधिशेष के रूप में केवल
30 करोड़ रुपए ही उपलब्ध हैं। अतः हमने पूरा न
हुए कामों को प्राथमिकता दी है और हमारा अगला
कदम अभी तक अनकनेक्टेड क्षेत्रों को कनेक्टेड में
बदलने का रहेगा।
– ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के तटवर्ती क्षेत्रों में
हर वर्ष साइक्लोन आने के कारण स्टेशनों का हाल
बुरा रहता हैं जैसा कि आप जानते भी हैं कि पिछले
वर्ष फालीन साइक्लोन से ओड़िशा में बरहमपुर
जैसा प्रमुख स्टेशन पूरी तरह से क्षत-विक्षत हो गया
था। क्या आप बार-बार आने वाली इन प्राकृतिक
आपदाओं के कारण कम से कम विनाश हो, कोई
योजना है?
यह बहुत महत्वपूर्ण क्षेत्र है जिसे शामिल करना जरूरी है।
पहले तो हम ऐसे क्षेत्रों का पता लगा रहे हैं, जो
बार-बार ऐसी प्राकृतिक आपदाओं का शिकार हो जाते
हैं। हम ऐसा ढांचा चाहते हैं, जहां बार-बार आने वाली
प्राकृतिक आपदाओं की घटनाओं को रोका जा सके
और यात्रियों तथा रेलवे सम्पदा की सुरक्षा की जा
सके।
– इस समय रेलवे अधिकांश रूटों पर भारी यात्री ट्रैफिक
महसूस कर रहा है जिससे यात्रियों की लम्बी प्रतीक्षा
सूची बन जाती है और इन यात्रियों का एजेंट लोग
लाभ उठाते रहते हैं। प्रमुख रूटों पर शून्य-प्रतीक्षा
सूची सुनिश्चित करने के लिए आपका क्या प्रस्ताव
है?
हमने टिकट बुकिंग में कहीं अधिक आईटी-आधारित पहल
की हैं और उच्च टैक्नोलॉजी के कारण जल्द ही हम
आईआरसीटीसी आन-लाइन बुकिंग प्रणाली के माध्यम
से प्रति मिनट 300 प्रतिशत से अधिक टिकटों की
बुकिंग कर सकते हैं। हम बुकिंग प्रणाली के मैकेनिकल
मोड़ पर चलना चाह रहे हैं जिससे हमें प्रतीक्षा सूची
को कम करने की उम्मीद है। उच्च गति
गाड़ियों की शुरूआत करने से भी वर्तमान स्थिति
सुधारने में मदद मिलेगी।
– पश्चिम के कई देशों में अपनी रेलवे प्रणाली में
नान-कंवेश्नल एनर्जी का इस्तेमाल किया जा रहा
है। क्या आप भी भारतीय गाड़ियों को इसी एनर्जी
का इस्तेमाल करने की योजना बना रहे हैं?
यह एक अच्छा सुझाव है। संचालन लागत में कटौती करने
के लिए यह अत्यंत आवश्यक है। बिजली का प्रयोग
डीजल प्रयोग से अपेक्षाकृत सस्ता बैठता है। अतः,
पहले तो हमारा प्रयास रहेगा कि सभी रूटों का
विद्युतीकरण किया जाए। कटरा रेलवे स्टेशन का
उद्घाटन करते हुए उन्होंने सोलर पैनल से रूफटॉप
में परिवर्तित करने की बात कही थी। हम इसी लाइन
पर विचार कर रहे हैं और देश के सभी स्टेशनों में
सोलर एनर्जी को बढ़ावा देने में कोई कोर कसर नहीं
छोंड़ेंगे। सोलर एनर्जी के बारे में हमारा प्रारम्भिक
लक्ष्य 500 मैगावाट का है। हम इसे प्राप्त कर लेंगे
और हमने पवनचक्की स्थापना करने के लिए भी
कुछेक स्थानों को चुना है।
– महोदय, आपने अपने बजट भाषण में रेलवे युनीवर्सिटी
का उल्लेख किया था। इसकी प्रकृति और उद्देश्य
क्या होगा और इसकी शुरूआत कब होगी?
एचआरडी मंत्रालय के साथ मिलकर हम इस समय इसका
पाठ्यक्रम तैयार कर रहे हैं। इसका मुख्य उद्देश्य यही
है कि जो लोग रेलवे सेक्टर में भरती होने वाले हैं,
उन्हें अच्छे से अच्छे प्रशिक्षण तथा टेक्नालॉजी का ज्ञान
हो। हमें नवीन अविष्कारों को प्रोत्साहित करने की
भी आवश्यकता है और अपनी जरूरतों के मुताबिक
अपनी प्रणाली तैयार करना भी जरूरी है। हमने ऐसे
कुछ क्षेत्रों का पता भी लगाया है, हमारे पास अपनी
भूमि और इंफ्रास्टभक्च र है तथा यूनीवर्सिटी अगले कुछ
वर्षों में शुरू हो जाएगी।
– भारतीय रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में एफडीआई लाने का
आपका प्रस्ताव है। ऐसे कौन से सेक्टर हैं और क्या
एफडीआई से रेलवे के संसाधनों का निराकरण हो
सकेगा?
मेरे विचार में एफडीआई से भारतीय रेलवे का मनोबल बढ़ेगा।
उच्च गति गाड़ियों की सेवाएं, बुलेट ट्रेन
कॉरीडोर और इंटरनेशनल स्टैण्डर्ड इंफ्रास्टलक्च र जैसी
चीजों को लाने के लिए रेलवे स्टेशनों पर ऐसी
सुविधाएं जुटाने के लिए एफडीआई आवश्यक है।
परन्तु कोर आप्रेशनल एरिया सदैव रेलवे विभाग के
पास रहेगा। मैं निश्चित ही यह सोचता हूं कि यदि
हम बड़े पैमाने पर एफडीआई ला पाए तो इससे
संसाधनों की समस्या का हल निकल सकेगा तथा
भारतीय रेलवे को आधुनिक कटिंग-एज टेक्नालॉजी
का लाभ मिलेगा।
– महोदय, क्या आप विभिन्न राज्यों में वर्तमान रेलवे
परियोजनाओं के तीव्र कार्यान्वयन के लिए राज्य
सरकारों को शामिल करने के लिए प्रस्ताव बना रहे
हैं?
इस समय भी कुछ राज्य सहयोग कर रहे हैं। वे हमें निःशुल्क
भूमि दे रहे हैं और अपने-अपने राज्यों में रेलवे
परियोजनाओं के तीव्र कार्यान्वयन के लिए परियोजनाओं
की लागत का 50 प्रतिशत अंशदान कर रहे हैं। अब,
भूमि अधिग्रहण और संसाधान-संग्रह प्रमुख समस्याएं
हैं। अतः, निश्चित ही राज्य सरकारों ने सहयोग की
आवश्यकता है। सभी राज्यों को भागीदार बनाने के
लिए मैंने इस बारे में मुख्य मंत्रियों को उनके सहयोग
के लिए पत्र लिखा है और उन सभी से बात की है
कि वे परियोजनाओं के 50 प्रतिशत का अंशदान और
निःशुल्क भूमि देने में हमें अपनी सहायता दें। विशिष्ट
रूप से, मैं चाहूंगा कि फ्रेट कारीडोर के कार्यान्वयन
में सभी राज्य हमारा सहयोग करें। आखिरकार,
लिंकेज से राज्यों के विकास में मदद मिलेगी और
मुझे उम्मीद है कि वे इस विषय में हमारे साथ आएंगे।
– हाल ही में आपने बैंगलोर रेलवे स्टेशन का
अचानक दौरा किया था। वहां आपको क्या अनुभव हुआ और
क्या आप पूरे देश में इसे अपनाएंगे?
मैं वहां बिना किसी मीडिया के प्रातः 6 बजे गया था। मेरे
निजी स्टाफ को छोड़कर मैंने डीआरएम तक को भी
कोई सूचना नहीं दी। मैंने वहां शौचालय, रसोई घर,
पेयजल, टिकट काउंटर सहित अनेक यात्री सुविधाओं
को देखा और मुझे वहां अनेक खामियां देखने को
मिली, जिन पर कार्रवाई करना आवश्यक है। मैंने
द्वितीय श्रेणी के डिब्बे में यात्रा की, लोगों के साथ
बातचीत की और कंपार्टमेंट और शौचालय में
साफ-सफाई ठीक नहीं देखी। मैंने अधिकारियों और
सम्बंधित अथारिटीज को निर्देश दिए कि वे भविष्य
में ऐसे मामलों को ध्यान में रख कर काम करें और
उन्होंने इस बात का सकारात्मक रूप में ग्रहण किया।
मेरी इस विजिट से न केवल मुझे अनुभव प्राप्त हुआ
बल्कि इससे मेरा दृढ़ संकल्प और भी मजबूत हुआ
कि भारतीय रेलवे में होने वाली खामियां दूर होनी
चाहिए। आगे आने वाले समय में, मैं देश के अन्य
भागों में ऐसी विजिट करूंगा।
– भारतीय रेलवे में लोग कब तक बदलाव करने की उम्मीद
कर सकते हैं?
निश्चित ही रेलवे को प्रत्यक्ष परिवर्तन के लिए समय और
संसाधानों की आवश्यकता है। किन्तु, हमने इसी बीच
कई तात्कालिक कदम उठाए हैं ताकि गुणात्मक
परिवर्तन लाया जा सके। हमने बड़े पैमाने पर स्वच्छता
अभियान शुरू किया है। मैंने डीआरएम को आदेश
दिया है कि वे स्टेशनों पर हाईजीन तथा स्वच्छता पर
निगरानी रखने के लिए प्रतिदिन स्टेशनों, किचन और
केटरिंग क्षेत्रों का दौरा करें तथा लोगों को जागरूक
बनाएं और उनसे सहयोग की बात करें। भारतीय रेलवे
को एक नए स्तर पर लाने के लिए लोगों की
जागरूकता और समर्थन अत्यावश्यक है।