दयानन्द पांडेय
रोते तो हम सभी हैं। किसी न किसी मौक़े पर। किसी दुःख में , किसी सुख में। अनायास। पर आज तीसरी बार योगी मुख्य मंत्री को रोते हुए देखा। पहली बार संसद में रोते देखा था। जब वह गोरखपुर में अपनी गिरफ़्तारी का विवरण देते हुए फूट-फूट कर रोए थे। कुछ लोगों ने तब उस का ख़ूब मजाक उड़ाया था। आज भी उड़ाते हैं। दूसरी बार योगी को रोते हुए बीते बरस तब देखा , जब उन के पिता का निधन हो गया था। कोरोना के बाबत मीटिंग में थे। मीटिंग में ही उन्हें सूचना दी गई और वह रो पड़े। पर संन्यास के कारण पिता के क्रियाकर्म में नहीं गए। इस पर भी ख़ूब तंज हुए।
आज फिर ऐसी ही रोने की नौबत दो बार आई। गोरखपुर में इण्डिया टी वी के इंटरव्यू में। रजत शर्मा ने अचानक राहुल गांधी की बहन प्रियंका का चुनाव में ज़िक्र करते हुए योगी की बहन की फ़ोटो और वीडियो दिखा दी। जिस में योगी की बहन उत्तराखंड के किसी मंदिर में प्रसाद बेचती हुई दिखीं। झोपड़ी में रहने वाली बहन। साथ ही गाय की सेवा भी। योगी की बहन की विपन्नता बहुत साफ़ दिख रही थी। विपन्न बहन की दरिद्रता में डूबी फ़ोटो देखते ही योगी को जैसे काठ मार गया।
वह थोड़ी देर तक इंटरव्यू में नि:शब्द खड़े रह गए। अवाक। पर आंखों में पानी आ गया। बहुत मुश्किल से आंसू छलकने से वह रोक पाए। वहां उपस्थित सब लोग निस्तब्ध थे। पांच बार सांसद रहे , पांच साल मुख्य मंत्री रहे योगी से बहन की यह विपन्नता और तकलीफ़ देखी नहीं गई। बहुतों से नहीं देखी गई। पहले भी बहन की यह विपन्नता देखी थी किसी चैनल पर , जब योगी मुख्य मंत्री बने थे। फिर आज देखी। तब उन की बहन ने बताया था कि वह राखी हर साल भेजती हैं योगी को। मिलने की ख़बर लेकिन नहीं मिलती। रजत शर्मा ने जब योगी को आज बताया कि आप की बहन उत्तर प्रदेश से जाने वालों से उत्तर प्रदेश का हाल पूछती हैं। तो योगी नीचे देखने लगे।
पर थोड़ी देर बाद कोरोना के बाबत एक सवाल के जवाब में उन का गला फिर भर आया जब वह गोरखपुर में मस्तिष्क ज्वर से होने वाले बच्चों की मौत का विवरण बता रहे थे। वह बता रहे थे कि लेकिन कोरोना में किसी को भूख से नहीं मरने दिया उत्तर प्रदेश में। पर अचानक सपा कार्यकाल में कुशीनगर में वर्ष 2017 में एक मुसहर परिवार का ज़िक्र करते हुए वह खुल कर रो पड़े। आंख से आंसू गाल पर छलक आए। गला रुंध गया।
यक़ीन नहीं होता कि बड़े-बड़े अपराधियों के लिए पहाड़ सा कठोर आदमी इतना भाउक भी होता है कि सहज ही रो पड़े। किसी की भूख को याद कर , बहन की विपन्नता को देख कर। योगी चाहें और राजनीतिज्ञों की तरह तो क्या अपनी बहन , अपने परिवार का जीवन स्तर नहीं सुधार सकते ? पर नैतिकता और शुचिता का क्या होगा। सात साल प्रधान मंत्री रहने और तीन कार्यकाल मुख्य मंत्री रहने के बावजूद मोदी का परिवार भी विपन्न ही है। अमीर नहीं हुआ। पर इतना भी विपन्न नहीं है जितना योगी की बहन या और परिवार। तब जब कि योगी को लोग क्षत्रिय के रुप में जानते हैं। और कि हैं। इस क्षत्रिय होने पर भी लोग तंज करते ही हैं। और तो और अखिलेश यादव जैसे लोग उन के सरकारी आवास से रोज शाम को धुआं भी निकलते देखते हैं।