*फुलेरा_दूज_विलुप्तप्राय_पर्व*
_________________
🌸🌹🌻🌺🍁🌷🌻🌼🌻🌸🌹🌻🌼🌼🌸
आज 4 मार्च को फुलेरा दूज है। फागुन मास में शुक्ल पक्ष क दूसरी तिथि( द्वितीय )को मनाया जाने वाला फुलेरा दूज प्रकृति के सौंदर्य के प्रति समर्पित पर्व है जो उत्तर भारत में मनाया जाता .. है। यह पर्व होली से 13 दिन पूर्व पड़ता है इस दिन माताएं बहने सरसों के पीले फूल व रंग बिरंगे अन्य गुलाब हरसिंगार ,चमेली ,चंपा ,कनेर के फूलों को संध्या की गोधूलि बेला बेला में मंगल कामनाओं के साथ घर चौबारे पर पुष्प वर्षा करती थी… घर की वृद्ध महिलाएं उन्हें आशीर्वाद देती थी |
यह पर्व सूचक था मन की पवित्रता ,मानसिक उत्साह उमंग का लेकिन अब यह पर्व विलुप्त होने की कगार पर है इसकी व्यापकता सिमट रही है यह प्रतीकात्मक मात्र बनकर रह गया है।
आधुनिकता भागदौड़ मानसिक अशांति के इस युग में.. जीव जंतु ही नहीं हमारे विज्ञान आरोग्य सम्मत पर्व परंपरा भी विलुप्त हो रही है…… शहर की तो बात छोड़िए गांवों में भी शायद अब यह पर्व मनाया जाता हो.. मुझे याद है जब मैं छोटा था तो हमारी हवेली का आंगन फुलेरा दूज के दिन शाम को फूलों से भर जाता था हम बच्चे बड़े खुश होते थे एक दूसरे पर फूल डालते थे | अब मैं आजकल के बच्चों से पूछता हूं तो वह इस पर्व के बारे में कुछ नहीं जानते… मन बड़ा दुखी होता है तथाकथित विकास की कितनी भारी कीमत हमारी संतति चुका रही हैं| *आर्य_वैदिक_संस्कृति* के इस पर्व का लुप्त हो जाना इस बात का घोतक है कि हम मानसिक तौर पर रोगी बन चुके हैं अब ना हमारे शरीर में उत्साह व मन में उमंग है हम बस जी रहे हैं…………….😌😏😌😌
🌼🌸🌻🌻🌹🌷🌺🌻🌼🌸🌼🌻🌷🍁🌺🌹
》》फुलेरा दूज का महत्व《《
🌷🌻🌹🌺🌸🌼🍁🌷🌻🌺🌹🌼🌸🌹🌺🌷
यह पर्व *बसंत पंचमी व होली के पर्व की अवधि के बीच पड़ता है इस पर्व से ठीक 1 महीने पश्चात चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को *वैदिक नव_संवत्सर* या हिंदू नव वर्ष शुरू होता है … यह पर्व वैदिक संवत्सर या वर्ष की विदाई होता है… इस बात का सूचक होता है कि अब प्रकृति देवी मैं नई छटा आ गई है… #ऋतुराज_बसंत का आगमन हो गया है | ग्रामीण भारतीय संस्कृति में होली जैसे महा पर्व की तैयारियां इस दिन से शुरू हो जाती थी विभिन्न सांस्कृतिक लोक गीत… घंटा घड़ियाल नगाड़े तैयार कर दिए जाते थे|
आप सभी को फुलेरा दूज की हार्दिक शुभकामनाएं!
🌺🌹🌷🌻🌼🌸🌼🌻🌷🍁🌺🌹🍁🌷🌻🌼 🌼🌸🌻🌷🍁🌹🌺🍁🌷🌻🌼🌸🌹🌺🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾
आर्य सागर खारी✒✒✒✒✒✒✒✒✒