*महर्षि दयानन्द क्षेत्रवाद, प्रान्तवाद,मजहब वाद से ऊपर थे-श्रुति सेतिया*

IMG-20220303-WA0004

*”ऋषि बोधोत्सव की सार्थकता”पर गोष्ठी सम्पन्न*

गाजियाबाद,वीरवार 3 मार्च 2022,केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “ऋषि बोधोत्सव की सार्थकता” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।यह कोरोना काल में 367 वां वेबिनार था।

वैदिक विदुषी श्रुति सेतिया ने कहा कि महर्षि दयानन्द जी की विचारधारा में क्षेत्रवाद,मजहब बाद,सम्प्रदायवाद आदि का कोई स्थान नहीं है वह मानवमात्र के लिए कार्य करते हैं जो मानवता के धरातल पर खड़ी होकर समूचे विश्व को श्रेष्ठ बनाने की क्षमता रखती है।समाज में अनेक समाज सुधारक और मनीषी हुए हैं मगर महर्षि दयानन्द जी जैसी प्रखरता, सक्षमता और असीमित किसी में दृष्टिगोचर नहीं होती है।समूचे विश्व को आर्य बनाने के पीछे उनकी भावना एक ऐसे श्रेष्ठ मानव समाज का निर्माण करने की थी जो जियो और जीने दो के सिद्धांत पर चलकर अपनी उन्नति करता हुआ भी समाज,राष्ट्र ओर विश्व के प्रति समर्पित हो।वह स्वयं असाधारण थे,इसलिए उनकी एक-एक बात इतनी गूढ़ है कि उसकी गहराई मापने के लिए उन जैसे निश्चल और मानव हितैषी बनने की आवश्यकता है।स्वामी जी एक और शाश्वत सत्य के पक्षधर थे वहीं दूसरी और बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे।यही कारण है कि उनसे कोई भी विषय अछूता नहीं रहा है।उनके विचार इतने स्पष्ट और प्रखर है कि समूचे विश्व को हिलाने की शक्ति रखते हैं।आर्य समाज की स्थापना के बाद राष्ट्र और समाज में आमूलचूल परिवर्तन की प्रक्रिया आरंभ हो गई।पंडित गुरुदत्त,स्वामी श्रद्धानंद,स्वामी दर्शनानंद,महात्मा हंसराज,पंडित लेखराम आदि सभी महात्माओं ने शिक्षा तथा सामाजिक क्षेत्र में बहुत कार्य किया।आज सभी आर्यो को ऋषि दयानंद जी के मिशन के प्रति कितने समर्पित हैं यह विचार करने की आवश्यकता है।आर्य समाज के पुनः उस स्वर्णकाल को लाने के लिए सच्चे अर्थों में कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ने की आवश्यकता है। आचार संहिता को दृढ़ता से अपने जीवन में लागू करने पर बल देना होगा।सदस्यों की संख्या भीड़ नहीं बल्कि मन ,वचन और कर्म से मिशन के प्रति समर्पित कट्टर आर्यों की आवश्यकता है।तप, त्याग,स्वाध्याय तथा कर्मठता के बल पर ही हम स्वामी दयानंद जी के सपनों को साकार कर सकते हैं।हम लोग प्रतिवर्ष बोध रात्रि मनाते हैं, दयानन्द को तो बोध हो गया था।प्रश्न है कि हमें बोध कब होगा?हम सभी अधिकारियों को, सदस्यों को अपनी संतानों को आर्य समाज में लाने का यत्न करना चाहिए।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि सभी आर्य जनों को मन, वचन,कर्म से महर्षि दयानंद के आदर्शों पर चलने का संकल्प लेना चाहिए।

मुख्य अतिथि महेन्द्र नागपाल व अध्यक्ष आर्य नेत्री राजश्री यादव ने कहा कि हमारा जीवन व आचरण दूसरों के लिए आदर्श होना चाहिए।राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि हम दयानंद के स्वप्नों का समाज बनायेंगे ।

गायक रविन्द्र गुप्ता,उर्मिला आर्या,प्रवीना ठक्कर,रजनी गर्ग,कुसुम भंडारी,रचना वर्मा, कमला हंस,सुनीता अरोड़ा, किरण सहगल,सविता आर्या, सुदेश आर्या,ईश्वर देवी आदि के मधुर भजन हुए ।

Comment: