भू माफियाओं के खिलाफ तंत्र की खामोशी क्या कहती है ?

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रोहित कौशिक

पांच राज्यों में लोकतंत्र का चुनावी उत्सव खत्म होने वाला है। चुनावी उत्सव का वास्तविक उद्देश्य लोकतंत्र के माध्यम से देश के आखिरी आदमी तक लाभ पहुंचाना है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर कई वर्षों से अन्याय के खिलाफ लड़ रहे इंसान को न्याय न मिल पाए तो क्या इस लोकतंत्र का असली उद्देश्य पूर्ण हो पाएगा? अगर जनहित के लिए संघर्ष कर रहे इंसान को बार-बार सत्ता और राजनेताओं से इंसाफ की भीख मांगनी पड़े तो फिर इतने बड़े चुनावी ताम-झाम का क्या फायदा? उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में सामाजिक कार्यकर्ता मास्टर विजय सिंह पिछले 26 सालों से भूमाफियाओं और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ धरने पर बैठे हुए हैं लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। मास्टर विजय सिंह का कहना है कि सरकार भूमाफियाओं के विरुद्ध कार्रवाई करे और अगर मैं गलत हूं तो मुझे जेल भेज दे।

यह दुर्भाग्यपूर्ण ही है कि मास्टर विजय सिंह योगी आदित्यनाथ द्वारा कराई गई जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई की मांग को लेकर जब 25 दिसंबर, 2021 को लखनऊ पहुंचे तो उन्हें हजरत गंज कोतवाली पुलिस ने अवैध हिरासत में लेकर पांच घंटे तक कोतवाली में रखा। इसके अतिरिक्त मुजफ्फरनगर की तत्कालीन जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी ने धरनास्थल पर उनके साथ अभद्रता करते हुए उनके खिलाफ एक बेहूदा मुकदमा दर्ज करा दिया। लोकतंत्र में अगर जनहित के लिए संघर्ष कर रहे एक सामाजिक कार्यकर्ता का ही शोषण होने लगे तो इससे शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता।

मास्टर विजय सिंह का आरोप है कि जनपद शामली की ऊन तहसील के गांव चैसाना की करीब चार हजार बीघा सार्वजनिक भूमि समेत उत्तर प्रदेश की कई बीघे भूमि पर भूमाफियाओं का कब्जा है। राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण निष्पक्ष कार्रवाई नहीं हो पा रही है। भूमाफिया और भ्रष्टाचारी जिस भी पार्टी की सरकार आती है, उसी पार्टी में चले जाते हैं। प्रदेश के शामली जनपद के चैसाना गांव निवासी मास्टर विजय सिंह को जब यह पता चला कि गांव सभा की लगभग चार हजार बीघा जमीन पर कुछ दबंगों ने अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है तो वे बहुत दुखी और निराश हुए। चैसाना गांव पहले मुजफ्फरनगर जनपद में पड़ता था लेकिन शामली अलग जिला बनने के बाद अब यह गांव शामली जनपद की कैराना तहसील के ऊन ब्लॉक में पड़ता है।

मास्टर जी ने और जांच-पड़ताल की तो पता चला कि इस जमीन पर कानूनी रूप से अवैध कब्जा किया गया है। जब मास्टर विजय सिंह ने भूमाफियाओं के खिलाफ आवाज उठाई तो उन्हें धमकियां मिलनी शुरू हो गईं। मास्टर जी इन धमकियों से डरे नहीं बल्कि उन्होंने निडर होकर इन धमकियों को इस भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने का हथियार बना लिया। अन्ततः उन्होंने शिक्षक पद से त्यागपत्र दे दिया और भ्रष्टाचार तथा अवैध कब्जों के खिलाफ एक लम्बी जंग छेड़ दी। मास्टर जी के इस सत्याग्रह की गूंज जब शासन तक पहुंची तो तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार ने इस भ्रष्टाचार की जांच मेरठ मंडल के आयुक्त एचएल बिरदी को सौंपी। एचएल बिरदी के नेतृत्व में डीआईजी विक्रम सिंह, डीएम सूर्यप्रताप सिंह व अन्य अधिकारियों की टीम गठित की गई। इस टीम ने अपनी जांच में मास्टर विजय सिंह के आरोपों को सही पाया।

मास्टर विजय सिंह के अनुसार भूमाफियाओं ने राजनीतिक संरक्षण के चलते इस जांच रिपोर्ट को निष्क्रिय करवा दिया। इस राजनीतिक दबाव के बावजूद मास्टर जी ने हार नहीं मानी और अपना संघर्ष जारी रखा। इस मामले पर हंगामा बढ़ता देख जांच सीबीसीआईडी के हवाले कर दी गई। सीबीसीआईडी की जांच में भी मास्टर विजय सिंह के आरोपों की पुष्टि हुई। शासन एवं प्रशासन के रवैये से आहत होकर मास्टर विजय सिंह को 26 फरवरी, 1996 को जिलाधिकारी कार्यालय, मुजफ्फरनगर में धरने पर बैठना पड़ा। धरने के बावजूद आला अधिकारियों के कान पर कोई जूं न रेंगते देख इस धरने को अनिश्चितकालीन करना पड़ा। 26 फरवरी, 2022 को इस अनिश्चितकालीन धरने को 26 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। मास्टर जी के प्रयास से करीब तीन सौ बीघा जमीन अवैध कब्जे से मुक्त कराई गई तथा अवैध कब्जे करने वाले लोगों के विरुद्ध 136 मुकदमे दर्ज हुए। इसके अतिरिक्त लगभग 3200 बीघा जमीन पर अवैध कब्जे की पुष्टि हुई। मगर मुक्ति के सम्बन्ध में कोई पहल नहीं हुई है।

सत्याग्रह के बल के आधार पर वे पिछले 26 वर्षों से विभिन्न सरकारों से जनहित में न्याय की गुहार लगा रहे हैं। इसलिए मास्टर विजय सिंह ने समाज के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया। वे चाहते तो सुखी गृहस्थ जीवन जी सकते थे। लेकिन समाज के लिए उन्होंने अपने घर-परिवार के विरोध को भी दरकिनार कर दिया। सवाल यह है कि क्या इस देश में हिंसात्मक आंदोलन की आवाज ही सुनी जाती है? लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स तथा इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में सबसे लम्बा एकल धरना मास्टर विजय सिंह के नाम दर्ज है। लेकिन उत्तर प्रदेश की विभिन्न सरकारों ने इस अहिंसावादी आंदोलन पर कोई ध्यान नहीं दिया। योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद यह घोषणा की थी कि भूमाफियाओं पर सख्त कार्रवाई की जाएगी, लेकिन विजय सिंह का कहना है कि भूमाफिया खुले आम घूम रहे हैं।

पिछले 26 वर्षों के दौरान मास्टर विजय सिंह को अनेक बार मानसिक तनाव झेलना पड़ा है। इस गांधीवादी सत्याग्रह के दौरान कुछ दबंगों द्वारा मास्टर जी पर लगातार हमले किए जाते रहे। इस अत्याचार से बचने के लिए उन्हें गांव छोड़ना पड़ा। मास्टर विजय सिंह का परिवार भी उनके इस आंदोलन के साथ नहीं रहा और लगातार उनका विरोध करता रहा। बहरहाल, 26 साल की तपस्या के बावजूद मास्टर विजय सिंह को अभी न्याय नहीं मिला है।

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