बागपत। दिनांक 1 मार्च 2022 को राकेश आर्य के आवास दिल्ली रोड बागपत पर पर महर्षि दयानंद बोध दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें नगर तथा आसपास से काफी आर्य पुरुषों एवं विदुषी महिलाओं ने प्रतिभाग किया इस अवसर पर सर्वप्रथम एक यज्ञ यज्ञ का आयोजन किया गया तथा उसके उपरांत महर्षि दयानंद के जीवन पर विस्तार से चर्चा की गई महाशिवरात्रि के दिन जब मूल शंकर नाम का एक बालक मंदिर में शिव जी की मूर्ति पर चूहों को देखकर विचलित हो उठा और वह सब धन-धान्य और सुख सुविधाओं को छोड़कर असली शिव जी की खोज में निकल पड़ा वर्षों मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, पहाड़ों ,कंदराओ, गुफाओं और बहुत से साधू सन्यासियों से मिलने के बाद जब उसकी जिज्ञासा शांत नहीं हुई तो अंत में गुरु विरजानंद के आश्रम मथुरा में वेदों का ज्ञान प्राप्त कर दुनिया से अंधकार मिटाने की ठानी और वेद विज्ञान को सारे संसार में फैलाया महर्षि दयानंद ने धर्म में छल कपट पाखंड एवं मिथ्या वाद का पुरजोर खंडन किया और वेदों की महिमा की पुनर्स्थापना की अपने पूरे जीवन काल में महर्षि दयानंद पूरे देश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूम घूम कर वेदों का प्रचार करने में अपना पूरा जीवन लगा दिया तथा नारी शिक्षा, विधवा विवाह ,बाल विवाह पर रोक, निराकार प्रभु की उपासना तथा मिथ्या धार्मिक पाखंड के खिलाफ शास्त्रार्थ करके पूरे विश्व में वेद का ज्ञान फैलाते रहे। आज जब बहुत कुरीतियां इस समाज से दूर हो गई हैं तो महर्षि दयानंद का सपना साकार हुआ है आज के दिन हमें यही संकल्प लेना चाहिए कि आओ वेदों की ओर लौटें तथा इस देश को फिर से विश्व गुरु बनाने का संकल्प लें।इसी तरह के विचार राकेश मोहन गर्ग ,अभिमन्यु गुप्ता प्रधान आर्य समाज टटीरी तथा महाशय बेगराज सिंह ने रखें और भजन
भज लो प्यारे ओम नाम क्यों पूज रहे पाषाण छोड़ दो जड़ की पूजा ।
के माध्यम से महर्षि के मार्ग पर चलने का आह्वान किया।
यज्ञ की ब्रह्मा कुमारी मोक्षी तथा कुमारी शिखा आर्य रही तथा यजमान राकेश आर्य सपत्नीक रहे इस अवसर पर शिवदत्त आर्य, ओमपाल आर्य ,शीशपाल सिंह ,वीर सिंह, कमल कुमार, ओमपाल सिंह पूनम, आदेश, सुनीता ,प्रीत ,प्रवेश आर्य, अग्निवेश आर्य, प्रवेश रानी ,कीरत सिंह ,दीपिका सरस्वती देवी ,डॉ हरिओम राजपूत ,पंकज गुप्ता, सावित्री देवी ,आदि उपस्थित रहे।