कुरान इस्लाम का प्रमाणिक और आधार धर्मग्रन्थ है , जो अरबी भाषा में है , जिस से अधिकांश मुस्लिम अनभिज्ञ हैं , इसलिए मुसलमानों को कुरान का सही अर्थ और आशय समझने के लिए मुल्ले मौलवियों का सहारा लेना पड़ता है . यही कारण है कि सामान्य मुस्लिमों की कुरान के बारे में अज्ञानता का फायदा उठा कर मौलवी कुरान में जो भी बात बता देते है मुस्लिम उसे सही समझ लेते हैं ,ऊपर से यह मौलवी कुरान को समझने की जगह उस पर ईमान रखने पर जोर देते है . मौलवियों ने कुरान के बहाने लोगों में कुछ ऐसी भ्रांतियां फैला रखी हैं , जो कुरान के बिलकुल विपरीत हैं ,जैसे
1 .कुरान सम्पूर्ण मानव जाति के लिए है
2. मुहम्मद साहब गैर अरब लोगों के भी रसूल हैं .
3-सभी के लिए रसूल और कुरान पर ईमान लाना जरूरी है
4-यही नहीं मौलवी परोक्ष रूप में गैर मुस्लिमों को यह डर भी दिखाते हैं कि .जो भी रसूल और कुरान पर ईमान नहीं रखेंगे अल्लाह उनको विनष्ट कर देगा .
लेकिन मुल्लों के यह चारों दावे झूठे , निराधार कल्पित और कुरान के बिलकुल विपरीत हैं , और इस लेख में क्रमशः इन्हीं दावों का भंडाफोड़ किया जा रहा है , परन्तु इसके पहले हमें इस्लाम में रसूलों के बारे मान्यता और कुछ बातें जानना जरुरी है , जैसे क्या रसूल किसी खास देश और जाती के लिए होता है . या सारी दुनिया के लिए ? रसूल का कार्यक्षेत्र कितना बड़ा होता है .इत्यादि ,
1-हरेक समुदाय और भाषाभाषी के लिए रसूल
कुरान के अनुसार हरेक समुदाय के लिए उसी समुदाय का एक रसूल भेजा जाता है ,जो उस समुदाय की भाषा जानता हो ,और लोगों से उन्हीं कि भाषा में वार्ता कर सकता जो अल्लाह द्वारा दीगयी किताब की भाषा हो . कुरान की इन आयतों से यही सिद्ध होता है . “हमने जो भी रसूल भेजा तो उस देश में उसी देश की भाषा के साथ भेजा ताकि वह आयतें खोल खोल कर समझा सके ”
सूरा -इब्राहिम 14 :4
“हरेक समुदाय के लिए रसूल होता है , ताकि जब रसूल आये तो वह उन लोगों का न्यायपूर्वक फैसला कर दे , और किसीपर जुल्म नहीं हो ” सूरा -युनुस 10 :47
“And We did not send any messenger except [speaking] in the language of his people to state clearly for them”10:47
इसकी अगली आयात में यह भी बता दिया गया कि यदि किसी समुदाय के लिए ऐसा रसूल भेज दिया गया जिसकी भाषा विदेशी हो , तो वह रसूल न्याय नहीं कर सकेगा .
“यदि हम इसे आजमी ( गैर अरबी भाषा ) कुरान रखते तो यह लोग कहते कि इसकी आयतें क्यों खोल खोल कर नहीं बतायी गयीं ,यह क्या बात कि एक अजमी ( कुरान ) और एक अरबी ( मुहम्मद ) ” सूरा -हा मीम सजदा 41 :44
“And if We had made it a non-Arabic Qur’an, they would have said, “Why are its verses not explained in detail [in our language]? Is it a foreign “recitation] and an Arab [messenger”
“जब हम हर गिरोह में खुद उन्हीं में से एक गवाह ( रसूल ) उन्हीं के सामने खड़ा कर देंगे और गवाह के रूप लायेंगे , और इसी तरह हमने एक किताब उतरी है जो हर चीज खोल कर बयान करने वाली है ” सूरा – अन नहल 16 :89
इसलिए अगर अल्लाह को भारत में इस्लाम फैलाना होता तो वह भारत में भी किसी ऐसे रसूल को भेजता जो भारत की किसी भाषा को जानता हो !
2-मुहम्मद केवल अरबों के रसूल थे
मुसलमान कितने भी दावे करें कि मुहम्मद साहब दुनिया के सभी लोगों के लिए रसूल थे , लेकिन कुरान में खुद मुहम्मद साहब ने साफ कह दिया है कि सिर्फ अरबो के रसूल थे ,
” हे मुहम्मद तुम अपने लोगों से कह दो कि मैं तुम सब के लिए अल्लाह का रसूल हूँ ” सूरा -अल आराफ़ 7 :158
.”तुम्हारे लिए तो तुम्हीं में से एक रसूल आया है , और तुम्हारा कष्टों में रहना उसके लिए असह्य है ” सूरा -अत तौबा 9 :128
.” इसी के अनुसार हमने तुम में से ही एक रसूल भेजा है ,जो तुम्हें हमारी आयतें सुनाता है और तुम्हें शुद्धता और विकास प्रदान करता है “सूरा -अल बकरा 2 :151
Just as We have sent among you a messenger from yourselvesreciting to you Our verses and purifying you “2:151
.”अल्लाह ने यह बहुत बड़ा अहसान किया कि उन के लिए उन्हीं में से एक रसूल उठाया जो उनको उसकी आयतें सुनाता है ”
सूरा – आले इमरान 3 :164
“Certainly did Allah confer [great] favor upon the believers when He sent among them a Messenger from themselves, reciting to them His verses”3:164
कुरान की इन आयतों को पढ कर इस बात में किसी प्रकार की शंका नहीं रहती कि मुहम्मद साहब केवल अरब लोगों के लिए रसूल बना कर भेजे थे , सारी दुनिया के लिए नहीं
3-मुहम्मद का क्षेत्र मक्का तक सीमित था
कुरान के अनुसार हरेक जाती के लिए जो रसूल भेजा जाता है उसका कार्य क्षेत्र उसी भूभाग तक ही सीमित होता है ,जैसे मूसा की किताब सिर्फ यहूदियों के लिए थी . और उनका क्षेत्र मिस्र और इसराइल के आसपास का था , यह इन आयतों से स्पष्ट होता है .
“तुम इन यहूदियों से पूछो कि उनके लिए वह किताब किसने उतारी थी ,जो मूसा लेकर आया था प्रकाश और मार्ग दर्शन के लिये तुम जिसे अलग अलग पन्नों के रूप में रखते हो ” सूरा -अनआम 3 :92
.”इसी तरह यह (कुरान ) भी एक बरकत वाली किताब है , जो इस लिए उतारी गयी है ,ताकि तुम इस केंद्रीय बस्ती (मक्का ) और उसके आस पास रहने वाले लोगों को सचेत करते रहो ” सूरा -अन आम 6 :93
नोट -इस आयत में मक्का को “उम्मुल कुरा – أُمَّ الْقُرَى”कहा गया है ,इसका अर्थ ” बस्तियों की माता (the Mother of towns ) होता है . इस्लाम से पहले से लोग मक्का को इस नाम से भी जानते थे , क्योंकि मक्का के आसपास नयी नयी बस्तियां बसने लगी थी . फिर आयात में मक्का के बाद ‘ हौलहा – حَوْلَهَا” शब्द भी दिया है ,इसका अर्थ ” आसपास (those around it ) होता है . और इस पूरी आयात का अंगरेजी में यह अर्थ होता है ,
“And this is a Book which We have sent down, blessed and confirming what was before it, that you may warn the Mother of Cities and those around it”Q.6:93
फिर मुसलमान किस आधार पर यह दावा करते हैं कि कुरान और रसूल समग्र मानव जाती के लिए है ,जबकि मुहम्मद साहब की रसूलियत केवल मक्का और उसके आसपास की बस्तियों तक ही सीमित थी . और विकिपीडिआ के अनुसार अकेले मक्का का क्षेत्रफल वर्ग 1,200 km² कि मी और मक्का के पूरे भूभाग ( Region) का कुल क्षेत्रफल वर्ग 153,128 km² कि मी है . इसका मतलब कि मुहम्मद मक्का के केवल इतने ही क्षेत्र के लिए रसूल थे . पूरी दुनिया के नहीं . (Mohammed’s mission covers the Mecca region)
4 -कुरान सिर्फ अरब लोगों के लिए है
अरब का इतिहास पढने से पता चलता है कि अरब में कभी कोई नबी या रसूल नही आया , सभी इसराइल में ही पैदा हुए थे . और अरब के लोग उनकी भाषा नहीं समझ पाते थे . अरब के लोग चाहते थे कि अरब में भी कोई ऐसा रसूल हो ,जो उनकी भाषा में समझा सके , इसीलिए कुरान में कहा है कि ,
.”हमने इसे अरबी कुरान के रूप में उतारा ताकि तुम समझ सको और फिर तुम्हारे द्वारा तुम्हारे और लोग भी समझ सकें “सूरा -यूसुफ 12 :2
” निश्चय ही हमने इसे अरबी कुरान बनाया ताकि तुम समझ सको ” सूरा – अज जुखुरुफ 43 :3
” यह कुरान साफ अरबी भाषा में है , और यदि हम इसे अरब के अलावा किसी अन्य जाति के व्यक्ति पर उतारते तो लोग इसे नहीं मानते ”
सूरा -अश शुअरा 26 :195 और 198 -199
कुरान को अरबी भाषा में उतारने का यही कारण है कुरान सभी गैर अरबी भाषी लोगों के लिए नहीं सिर्फ अरब लोगों के लिए है .
नोट- इस समय विश्व में अरबी जिन देशों में बोली और समझी जाती है ,उनके नाम हैं ,
“United Arab Emirates, Afghanistan, Algeria, Bahrain, Chad, Comoros, Djibouti, Egypt, Eritrea, Israel, Iraq, Jordan, Kuwait, Lebanon, Libya, Morocco, Mauritania, Oman, Qatar, Saudi Arabia, Sudan, Syria, Tunisia, Western Sahara,and Yemen.
इसका तात्पर्य है कि कुरान इन्हीं देशों के लोगों के लिये है . हमें कुरान से कुछ लेना देना नहीं है .चूँकि भारत के लिए कोई ऐसा रसूल नहीं आया जो भारत की एक भी भाषा बोल या जानता हो ,इसलिए भारतीयों को कुरान की जरुरत नहीं है ,उनके लिए उन्हीं के धर्मग्रन्थ काफी हैं .
5-जहाँ रसूल नहीं वहाँ सजा भी नहीं
और जो मुल्ले मौलवी और इस्लाम के प्रचारक गैर मुस्लिमो विशेषकर हिंदुओं को यह कह कर डराते रहतेहै कि जो भी समुदाय रसूल और कुरान पर ईमान नही लाएगा , अल्लाह उनको बर्बाद या नष्ट कर देगा . हम इस्लाम के ऐसे एजेंटों से अनुरोध करते हैं कि वे कुरान की इस आयत को ध्यान से पढ़ें ,
-” तेरा रब बस्तियों को तब तक विनष्ट करने वाला नहीं है ,जब तक उनके यहाँ एक रसूल नहीं भेज ले , जो उनको हमारी आयतें न सुना चुके . और तब तक हम बस्तियां नष्ट करने वाले नहीं हैं “सूरा – कसस 28 :59
“And never would your Lord have destroyed the cities until He had sent to their a messenger reciting to them Our verses. And We would not destroy the cities “28:59
इस आयत से स्पष्ट हो जाता है कि गैर मुस्लिमों और हिंदुओं को इस्लाम के एजेंटों और प्रचारकों की ऐसी किसी भी बंदरघुड़की और धमकी से डरने की को जरूरत नहीं है , क्योंकि खुद अल्लाह ने यह नियम बना रखा है ” जहाँ रसूल नहीं वहाँ सजा भी नहीं “(No Prophets, No Punishments policy).इसलिए हिन्दू निर्भय होकर अपने धर्म का पालन करते रहें इस्लाम के चक्कर में नहीं फसें .
6-सबको कर्मानुसार फल मिलेगा
अक्सर देखा गया है कि इस्लाम से अनभिज्ञ भोले भाले हिंदुओं का धर्म परिवर्तन कराने लिए इस्लाम के चालक दलाल यह बात भी कहते हैं कि रसूल और कुरान पर ईमान लाने यानि मुसलमान बन जाने पर जन्नत मिल जायेगी ,और रसूल उनको दोजख ( नर्क ) जाने से बचा लेगा . यह भी सरासर झूठ है , क्योंकि खुद कुरान में कहा है कि ,
” जो कोई सीधे रस्ते पर चला तो , वह अपने लिए ही चला , और जो कोई भटक गया तो उसके भटकने का बवाल उसी पर पड़ेगा . और किसी का बोझ उठाने के लिए कोई बोझ उठाने वाला नहीं है ” सुरा – बनी इसराइल 17 :15
“Whoever is guided is only guided for [the benefit of] his soul. And whoever errs only errs against it. And no bearer of burdens will bear the burden of another. “17:15
इस आयत से साफ पता होता है हरेक व्यक्ति के भले -बुरे कर्मो का फल उसी को भुगतना पड़ेगा , कोई रसूल उसको नहीं बचा सकेगा , यही बात गीता में भी कही गयी है “अवश्यमेव भोगतव्यम् कृतः कर्म शुभाशुभम “अर्थात सभी भले बुरे कर्मों का फल अवश्य मिलता है , जो कर्म करने वाले को खुद भुगतना पड़ेगा
7-मुहम्मद दया करने को भेजे गए
कुरान से अनिभज्ञ अधिकांश मुसलमान इस भ्रम में पड़े हैं कि मुहम्मद साहब यानि रसूल का काम इस्लाम फैलाना और लोगों को मुसलमान बनाना था . यह भी झूठ है क्योंकि उस समय के अरब क्रूर और अत्याचारी थे , इसलिए मुहम्मद साहबको लोगों पर दया करने की शिक्षा देने के लिए भेजा गया था ताकि लोग शांति से रह सकें ,यही इस आयात में कहा है ,
“हे मुहम्मद हमने तुम्हें संसार के लिए दयालु बना कर भेजा है ” सूरा -अल अम्बिआ 21 :107
8-निष्कर्ष -इसलिए हमारा उन लोगों से अनुरोध है जो इस्लाम को सार्वभौमिक धर्म मान लेते हैं और उसकी बराबरी हिन्दू वैदिक धर्म से करते है या इस्लाम के प्रति झुकाव रखते है , वह समझ लें कि इस्लाम सिर्फ अरबों के लिए था , जो मुहम्मद साहब के बाद अरबी साम्राज्यवाद का रूप धारण कर चूका है , इसलिए इस्लाम से दूर रहना ही उचित है , हमें तो गीता के इस वचन का पालन करना चाहिए ,
“स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः “गीता -3:35 .क्योंकि अगर सचमुच ही मुहम्मद दयालु होते तो उनके अनुयायी आतंक क्यों फैलाते रहते ? वास्तव में यह आयत मुहम्मद साहब को लोगों पर दया करने के लिए कही गयी है !
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बृजनंदन शर्मा वरिष्ठ (लेखक एवं समीक्षक)
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