ऑनलाइन विशेष संवाद : ‘रशिया-युक्रेन युद्ध : तृतीय विश्वयुद्ध का प्रारंभ
‘रशिया-युक्रेन में यदि युद्ध हुआ, तो युक्रेन को पूर्ण सहायता करेंगे’ ऐसा अनेक पश्चिमी देश कह रहे थे; परंतु वास्तव में रशिया ने युक्रेन की सेना सहित रिहायशी बस्तियों पर आक्रमण किया, तब किसी भी देश ने युक्रेन की सहायता के लिए
प्रत्यक्ष कोई सैनिक कार्यवाही नहीं की । इसलिए इस युद्ध में युक्रेन अकेला रह गया है । इन सबके परिणाम स्वरूप कल चीन भी अमेरिका और पश्चिमी देशों की धमकियों से न घबराते हुए सीधे ताईवान देश को स्वयं के नियंत्रण में लेने के लिए युद्ध कर सकता है । ताईवान के पश्चात चीन का अगला लक्ष्य भारत हो सकता है। रशिया चीन का सबसे बडा मित्र होने के कारण भारत को भी आगामी काल में किसी पर निर्भर न रहते हुए स्वयं के सामर्थ्य से लडना पडेगा । उसके लिए भारत को स्वयं
की सैन्यक्षमता और युद्ध सामग्री के आधुनिकीकरण पर बल देना चाहिए, *ऐसा प्रतिपादन सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर हेमंत महाजन ने किया ।* हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित *’रशिया-युक्रेन युद्ध : तृतीय विश्वयुद्ध का प्रारंभ *
*?’* इस ‘विशेष ऑनलाइन संवाद’ में वे बोल रहे थे ।
रशिया-युक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर हिन्दू जनजागृति समिति के प्रवक्ता श्री. नरेंद्र सुर्वे ने ब्रिगेडियर महाजन से संवाद किया । इस समय विविध प्रश्नों के उत्तर देते हुए *ब्रिगेडियर महाजन ने आगे कहा कि**,* युक्रेन की
सहायता के लिए ‘नाटो’ के सदस्य देश ‘नाटो’ सेना भेजने क
लिए तैयार नहीं हैं ।’नाटो’ सेना विश्व की सर्वाधिक सक्षम और आधुनिकृत सेना है । वह कोई भी युद्ध लडने में सक्षम है; परंतु पश्चिमी देश वैज्ञानिक उन्नति कर अनेक बातों में आधुनिक हो गए हैं, तब भी उनमें युद्ध करने का साहस नहीं है । इसलिए संसार में ‘नाटो’ के सदस्य देश केवळ धमकियां देेते हैं; परंतु वास्तव में कुछ नहीं करते, ऐसी छबि बननेवाली है । इसलिए कल चीन भी रशिया का अनुकरण करेगा और ताईवान पर बताया जा रहा अधिकार प्राप्त करने के लिए चीन ताईवान पर आक्रमण कर सकता है । गत 8 वर्षों से चीन ने ‘ग्रे वॉर फेयर जोन’ (प्रत्यक्ष युद्ध न करते हुए निरंतर युद्ध की स्थिति निर्माण करना) निर्माण किया हुआ है । इसमें चीन रशिया से भी बहुत आगे
है ।
रशिया-युक्रेन युद्ध के परिणाम स्वरूप अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल का मूल्य बढा है । अन्य वस्तुआें का मूल्य भी बढने की संभावना है । इसलिए भारत में हमें अंतर्गत विवाद, राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप रोककर देश को सभी प्रकार से आत्मनिर्भर बनाने के लिए सभी को एकत्रित आना चाहिए । कश्मीर में आतंकवादी
कार्यवाहियां, जाली नोटों का कारोबार, पाक और बांग्लादेशी घुसपैठ, नार्को टेरिरिजम आदि के विरुद्ध कार्यवाही कर उनकी कमर तोडनी चाहिए । उसके उपरांत पाकव्याप्त कश्मीर लेने में हमें समय नहीं लगेगा, *ऐसा भी महाजनजी ने कहा
। *