राष्ट्रपति ने इस अवसर पर आईआईटी को राष्ट्र का ज्ञान नेता बताते हुए उनसे यह पता लगाने का अनुरोध किया कि शिक्षा की गुणवत्ता को कैसे सुधारा जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह पता लगाने की आत्मिक आवश्यकता है कि उच्च शिक्षा के संस्थानों की शासन व्यवस्था को कौन पीछे धकेल रहा है। अगर हमारे उच्च शिक्षा संस्थानों को विश्व के श्रेष्ठ संस्थानों से मुकाबला करना है तो इन संस्थानों का कार्य व्यवहार विश्व के श्रेष्ठ संस्थानों के बराबर होना चाहिए। उन्होंने आईआईटी की परिषद से श्रेष्ठ वैश्विक कार्य व्यवहार के अनुरूप शासन व्यवस्था के लिए रोडमेप तैयार करने को कहा।
राष्ट्रपति ने कहा कि अन्य देशों के उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने की हमारी तकनीकी क्षमता के बावजूद हम अभी भी सुरक्षा संबंधी उपकरणों से लेकर भारतीय मुद्रा छापने के कागज और रक्षा उपकरणों की टेक्नोलॉजी आयात करते हैं। हमें देखने की यह आवश्यकता है कि आईआईटी द्वारा विकसित टेक्नोलॉजी और आईआईटी में भविष्य में होने वाले शोध का उपयोग देश की टेक्नोलॉजी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कैसे किया जा सकता है। अब तक हम उद्योग तथा शिक्षा जगत के बीच आपसी संपर्कों पर ध्यान देते आए हैं, लेकिन अब हमें सरकार और शिक्षा जगत के बीच संपर्क पर भी ध्यान देना होगा। आईआईटी परिषद को इस बात पर जोर देना चाहिए कि कैसे आईआईटी सरकार की टेक्नोलॉजी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्रोत बनेंगे और ‘मेक इन इंडिया’ तथा ‘मेड इन इंडिया’ की दृष्टि का वाहक बनें।
राष्ट्रपति ने कहा कि अच्छी शिक्षा प्रणाली का ढांचा चार स्तम्भों-मूल्यों, शिक्षकों, विद्यार्थियों तथा आधारभूत संरचना पर खड़ा होता है। बड़ी संख्या में शिक्षकों की कमी की समस्या आवश्यक रुप से दूर की जानी चाहिए। देश के आईआईटी में रिक्त पदों की स्थिति 10 प्रतिशत से लेकर 52 प्रतिशत तक है और 16 आईआईटी में कुल रिक्त पदों का प्रतिशत 37 है। उऩ्होंने कहा कि रैंकिंग प्रक्रिया को महत्व दिए जाने की जरूरत है। यह प्रक्रिया वास्तविक नियंत्रण तथा विश्व के नक्शे पर संस्थान की स्थिति के बारे में आत्म चिंतन करने का अवसर देती है।
राष्ट्रपति ने कहा आईआईटी के पूर्वर्ती विद्यार्थियों को शासन व्यवस्था में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि उऩकी दक्षता, वैश्विक पहुंच तथा सक्रियता की क्षमता का उपयोग हो सके। उन्होंने आईआईटी परिषद से ऐसा ढांचा विकसित करने को कहा जिससे इन संस्थानों की व्यवस्था में पूर्वर्ती विद्यार्थियों की भागीदारी हो सके। राष्ट्रपति ने आईआईटी जैसे इंजीनियरिंग संस्थानों से कहा कि वे विज्ञान, टेक्नोलॉजी तथा खोज की नीति को सफल बनाने की दिशा में काम करें। उन्होंने यह भी कहा कि केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के खोज क्लबों तथा एऩआईटी तथा आईआईटी के बीच शोध और विकास को बढ़ावा देने के लिए मजबूत संपर्क कायम हो।
राष्ट्रपति ने कहा कि जन-सांख्यिकी लाभ आने वाले वर्षों में भारत की सबसे बड़ी ताकत होगा। यह हमें कौशलपूर्ण मानव शक्ति दुनिया को देने का अवसर देगा। इसके लिए हमें 2022 तक पांच सौ मिलियन लोगों को कौशल संपन्न बनाने के लक्ष्य को पूरा करना होगा। इस संदर्भ में कौशल विकास मंत्रालय द्वारा सभी दक्षता संबंधी कदमों को शामिल करने का कदम स्वागत योग्य है और इसे हमें कौशल संपन्न भारत पर जोर देने में मदद मिलेगी।
राष्ट्रपति ने सभी आईआईटी से मार्च 2015 में राष्ट्रपति भवन द्वारा प्रस्तावित एक सप्ताह के खोज उत्सव में शामिल होने का आमंत्रण दिया।
सम्मेलन को प्रधानमंत्री तथा केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री ने भी संबोधित किया।
लेखक विकास कुमार गुप्ता पीन्यूज डाट इन के सम्पादक हैं इनसे 9451135000, 9451135555 पर सम्पर्क किया जा सकता हैं।