भला रोक सकोगे आँधी को
सच बोलुँगा अब मैं यारो,
बुरा लगे चाहे गाँधी को ।
क्यूँ इतिहास छिपा रखा है, बोलो सन् सत्तावन का
गाँधी का फोटो छापा क्यूँ नोटो पर मरणासन्न का
रस्सी तुमने ढूँढ निकाली बकरी वाली गाँधी की,
भगत की रस्सी कब ढूँढोगे, जिसपर उसको फाँसी दी
गाँधी-नेहरू के जन्म-मरण पर तुम छुट्टी दे देते हो
भगत-चन्द्र की बात करूँ तो क्यूँ चुप्पी ले लेते हो
अंधे सत्ता के रखवाले पीतल कर देंगे चाँदी को
सच बोलुँगा अब मैं यारो, बुरा लगे चाहे गाँधी को
जिसमें लिखा सुभाष महान, बोलो वो पन्ने कहाँ गये
जो पत्र लिखे थे “नाथू” ने,उनको बोलो क्यूँ दबा गये
क्यूँ इतिहास पढ़ाया हमको, कायर, मुगल , लुटेरो का
और अब तुम ही मिटा रहे हो, सच भारत के वीरो का
नलवा प्रताप आदि की गाथाएँ, रखती याद जवानी थी
गुरु गोविंद व सिंहो की शहादत बड़ी लासानी थी
अब किसको है याद यहां पन्ना की, झाँसी रानी की
अंग्रेजों के तलवे चाटे, आज वो सोना लूट रहे
सच्ची बातो पर तुम बोलो, क्यूँ अपनी छाती कूट रहे
तुम सब दोनों गालो पर ही थप्पड़ खाने के आदी हो
सच बोलुँगा अब मैं यारो, बुरा लगे चाहे गाँधी को । (साभार)
जय हिन्द । जय भारत।