नास्त्रेदमस ने की थी भविष्यवाणी : जब भी आती है महामारी तभी होता है विश्व युद्ध

images (28)


अनिरुद्ध जोशी

विश्व में जब भी कोई बड़ी घटना घटित हुई है तो उसका कनेक्शन नास्त्रेदमस और बाबा वेन्गा जैसै भविष्यवक्ताओं से जोड़ दिया जाता है। हाल ही में यूक्रेन और रूस के बीच जो संघर्ष प्रारंभ हुआ है उसे तीसरे विश्वयुद्ध की आहट माना जा रहा है और कहा जा रहा है कि जब भी कोई बड़ी महामारी आती है उसके बाद बड़े युद्ध होते हैं या होता है वर्ल्ड वार। आखिर महामारी और युद्ध के संबंध में क्या है नास्त्रेदमस और बाबा वेन्गा की भविष्यवाणी ? आओ जानते हैं।

महामारी और युद्ध के बीच कनेक्शन

युद्ध के बाद महामारी या महामारी के बाद युद्ध के हालात बनना दोनों ही का आपसी संबंध क्या है ? कहते हैं कि युद्ध के कारण वातावरण में जहरीला प्रभाव होता है जो महामारी को उत्पन्न करता है। महामारी के बाद सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता के चलते युद्ध के हालात पैदा होते हैं।
यह भी माना जाता है कि महामारी के चलते अर्थव्यवस्था गड़बड़ा जाती है। महंगाई, भूखमरी बढ़ जाती है जिसके चलते राज्य और देश के बीच विद्रोह भड़कता है और इससे युद्ध के हालात पैदा होते हैं। जैसा कि हम देख रहे हैं कि कोरोनावायरस के चलते कनाडा और यूरोप में जनता सरकार के प्रति रुष्ठ हो चली है और वहां आए दिन सड़क पर प्रदर्शन होते रहते हैं। कुछ देश इस मौका का फायदा भी उठाने के चलते युद्ध के हालात पैदा करते हैं।
प्रथम विश्व युद्ध 28 जुलाई 1914 से 11 नवंबर 1918 तक चला था। 1918 में आई महामारी वायरस h1 n1 स्पेनिश फ्लू ने दुनिया में तबाही मचा दी थी। इस बुखार से करीब 50 करोड़ लोग प्रभावित हुए थे। करीब 5 करोड़ लोगों की जान चली गई थी। इनमें केवल भारत में अनुमानित एक करोड़ 20 लाख लोगों की मौतें हुई। हालांकि इसके लिए युद्ध नहीं बल्कि 1914 से 1919 के बीच यूरोप में असामान्य ठंडी हवाओं को जिम्मेदार माना गया।
कालरा की लहर 1817 के बाद 1826, 1852 ,1860 ,18 61,1867 और 881 में आई थी। इस दौरान कई छोटे-मोटे युद्ध भी हुए थे। इसी बीच हैजा भयंकर मारामारी रही। भारत में 1817 से 1920 के दौरान हैजा, प्लेग और इंफ्लुएंजा का प्रकोप हुआ। इन 3 महामारीओं ने देश में करीब चार करोड़ लोग खोए।
द्वितीय विश्वयुद्ध की शुरुआत 1 सितंबर 1939 को हुई थी और इसका अन्त 2 सितंबर 1945 को हुआ था। इस दौरान पोलियो ने महामारी का रूप धारण किया था। आकलन है कि 1940 और 1950 के दशक में यह चरम पर था। इसने हर साल 5 लाख से ज्यादा लोगों को अपंग किया या बहुत से लोगों की मृत्यु का कारण बना। इस दौरान हिरोशिमा नागासाकी पर जो परमाणु बम का हमला हुआ था उसके बाद भयंकर सूखा पड़ा, जलवायु परिवर्तन हुआ और बाद में दुनिया को एशियन फ्लू नामक महामारी का प्रकोप झेलना पड़ा।

नास्त्रेदमस और तीसरा विश्व युद्ध

नास्त्रेदमस ने अपनी भविष्यवाणी की पुस्तक में तीसरे विश्वयुद्ध का जिक्र किया है। तीसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत के संबंध में वे लिखते हैं कि, “धर्म बाटेगा लोगों को।काले और सफेद तथा दोनों के बीच लाल और पीले अपने अपने अधिकारों के लिए भिड़ेगे। रक्तपात, महामारीयां,अकाल, खूखा युद्ध और भूख से मानवता बेहाल होगी।” जब तृतीय विश्व युद्ध चल रहा होगा उस दौरान चीन के रासायनिक हमले से एशिया में तबाही और मौत का मंजर होगा, ऐसा जो आज तक कभी नहीं हुआ।’ एक मील व्यास का एक गोलाकार पर्वत अंतरिक्ष से गिरेगा और महान देशों को समुद्री पानी में डुबो देगा। यह घटना तब होगी जब शांति को हटाकर युद्ध, महामारी और बाढ़ का दबदबा होगा। इस उल्का द्वारा कई प्राचीन अस्तित्व वाले महान राष्ट्र डूब जाएंगे।’ जानकार कहते हैं कि तीसरा एंटी क्राइस्ट युद्ध की शुरुआत करेगा। इससे पहले नेपोलियन और हिटलर को नास्त्रेदमस ने एंटी क्राइस्ट कहा था और कहा था कि तीसरा एंटी क्राइस्ट जब आएगा तो 27 साल तक तीसरा विश्वयुद्ध चलेगा।

Comment: