-यूपी के मुस्लिम मोहल्लों में इस वक्त आलिम, उलेमा और मौलाना जबरदस्त तरीके से एक्टिव हैं… एक-एक मुस्लिम वोटर को ये समझाया जा रहा है कि साइकिल का बटन दबाना है एक भी वोट बंटना नहीं चाहिए…. उन मुस्लिम मोहल्लों में खलबली मची हुई है जहां पर मुस्लिम लाभार्थियों को थोक की मात्रा में सरकारी योजनाओं का लाभ मिल गया है…. जिन मुस्लिम लाभार्थियों को सरकारी मकान मिला है उन लाभार्थियों के यहां पर मौलाना एक एक दिन में चार चार चक्कर लगा रहे हैं…. क्योंकि उनको लग रहा है कि लाभार्थी के नाम पर कहीं मुस्लिम वोट कट ना जाए
-कुछ लाभार्थी मुसलमानों ने मौलाना से कहा कि हमको योगी जी ने लाभ दिया है तो हम कमल के फूल पर बटन क्यों ना दबाएं ? इस पर मौलाना ने समझाया है कि अल्लाह ताला ने काफिरों की बुद्धि को फेर दिया है इसलिए वो मतिभ्रम का शिकार होकर मुसलमानों को सरकारी योजनाओं का लाभ दे रहे हैं इसलिए इसमें सारा क्रेडिट अल्लाह ताला को है योगी और मोदी को कोई क्रेडिट नहीं है
-ऐसी ही स्ट्रेटेजी मौलानाओं ने अकबर के समय में भी आजमाई थी… जब अकबर के सेनापति अब्दुलरहीमखानखाना…. महाराणा प्रताप के खिलाफ युद्ध लड़ते हुए बुरी तरह से हार गए थे और इस तरह मैदान छोड़कर भागे थे कि अपनी बेगमों को भी ले जाना भूल गए थे… राणा प्रताप के बेटे अमर सिंह ने अब्दुलरहीम खानखाना और उनके मुस्लिम अधिकारियों की बेगमों और पूरे जनानखानों को कैद कर लिया था ।
-अमर सिंह ने राणा प्रताप से पूछा कि इन कैद हुई मुस्लिम बेगमों के साथ क्या सलूक किया जाना चाहिए तब राणा प्रताप ने जवाब दिया कि इनको पूरे सम्मान के साथ मुगलों के पास भेज दिया जाए । इस पर अमर सिंह ने दोबारा सवाल किया कि मुगलिया मुस्लिम सैनिकों ने हमेशा युद्ध जीतने के बाद हिंदू महिलाओं के साथ जबर जिना किया इस खौफ की वजह से ही चित्तौड़ की जंग में हजारों हिंदू महिलाओं ने जौहर भी किया था…. फिर हम इन बेगमों को ससम्मान क्यों रिहा करें ? इस पर महाराणा प्रताप ने जवाब दिया कि हम राजपूत हैं और राजपूत का सबसे बड़ा धर्म है महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान…. अगर हम भी उनकी ही तरह हो जाएंगे तो आखिर हम हिंदुओं और मलेच्छों में क्या फर्क रह जाएगा ? तब अमर सिंह ने अब्दुलरहीम खानखाना की सभी बेगमों को पूरे इज्जत और सम्मान के साथ मां-बहन का दर्जा देकर अकबर के कैंप में पहुंचा दिया ।
-इस घटना का अब्दुलरहीम खानखाना के मन पर इतना गहरा प्रभाव पड़ा कि वो महाराणा प्रताप के भक्त हो गए…. अकबर ये भांप गया इसीलिए उसने मेवाड़ के मोर्चे से अब्दुलरहीम खानखाना को हटा लिया ।
-अकबर के दरबार में भी ये सवाल उठा कि राजपूतों का आचरण कितना श्रेष्ठ है…. हिंदुओं ने हमेशा शत्रुओं की महिलाओं को भी बहुत सम्मान दिया है…. लेकिन तब अकबर के दरबार में मौजूद इस्लाम के जानकार…. कुरान और हदीस के विद्वान और आलिम-उलेमाओं ने विरोध करते हुए कहा कि दरअसल इसमें हिंदुओं की कोई भी महानता नहीं है…. अल्लाहताला ने हिंदुओं और खासकर राजपूतों की बुद्धि को फेर दिया है इसीलिए उन्होंने हमारी महिलाओं को सही सलामत भेज दिया है…. उलमा बोले कि इसमें सारा क्रेडिट अल्लाह ताला को है हिंदुओं को कोई क्रेडिट नहीं है…
-मुस्लिम मोहल्लों में जहरीली तकरीरे करने वाले लोग ज्यादातर ऐसे ही दीन के सिपाही हैं जो मुस्लिमों को मुख्यधारा में आने से रोक रहे हैं…
-मुस्लिम मोहल्लों में एक और बात देखी जा रही है…. ओवैसी का प्रत्याशी जब मुस्लिम मोहल्लों में आता है तब पूरे कायदे से दुआ सलाम होता है…. सपा प्रत्याशी से ज्यादा सम्मान ओवैसी की पार्टी को मुस्लिम मोहल्लो में मिल रहा है लेकिन वोट सपा प्रत्याशी को ही पढ़ रहा है
-मुस्लिमों का दिल ओवैसी को वोट देने के लिए तड़प रहा है लेकिन मुस्लिम अपने दिल पर छुरी चलाकर भी सपा के हिंदू कैंडिडेट को वोट देने के लिए मजबूर हो रहे हैं…. कई युवा मुसलमानों को ये कहते सुना जा रहा है कि वोट ओवैसी को ही देंगे…. लेकिन इलाके के बुजुर्ग मुसलमान ये समझा रहे हैं कि अभी हमारी आबादी यूपी में सिर्फ 20 पर्सेंट ही है जब हमारी आबादी 30 पर्सेंट से ज्यादा हो जाएगी तब हम अपना असली गजवा ए हिंद का एजेंडा पेश करेंगे…. और 15 मिनट में काफिरों का सफाया करने का घोषणा करने वाली पार्टी को वोट देंगे
-बहरहाल यूपी पर गजवा-ए-हिंद की तलवार लटक रही है और हर हिंदू को एकजुट होकर योगी जी को ही वोट देना चाहिए