अपने राजधर्म का निर्वाह करते हुए भारत सरकार को बांग्लादेश से करनी चाहिए हिंदु – मुस्लिमों की जनसंख्या की अदला बदली —- इंजीनियर श्याम सुन्दर पोद्दार, महासचिव, वीर सावरकर फ़ाउंडेशन।                       ———————————————

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भारतीय उपमहाद्वीप में हिंदू मुस्लिम एकता की कल्पना मूर्खतापूर्ण ही है । भारत में हिजाब विवाद के चलते पड़ोसी देश बांग्लादेश से हमारी इसी बात को स्पष्ट करती हुई एक खबर आई है। जिसे वहाँ की इस्लामिक ताक़तों ने घोषणा की है कि भारत में यदि मुस्लिम लड़कियों को स्कूल में खिज़ाब पहनने नही दिया गया तो हम बांग्लादेश में रह रहे हिन्दुओं को धोती नहीं पहनने  देंगे। इस्लामिक कट्टरपंथियों ने बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं के लिए यह भी चेतावनी दी है कि उन्हें तिलक नहीं लगाने दिया जाएगा, हिंदू स्त्रियों को हाथ में शंख की चूड़ी नहीं पहनने दी जाएंगी और मांग में सिंदूर भी नहीं लगाने दिया जाएगा।
  देश के विभाजन के समय गाँधी जी से लेकर सभी नेताओं ने पाकिस्तान में रह गये हिन्दुओं को आश्वासन दिया था आप पर कोई अत्याचार होता है तो भारत सरकार आपका साथ देगी।  नेहरू लियाक़त अली समझौते में भी यह स्पष्ट प्रावधान किया गया था कि विभाजन के समय पूर्व व पश्चिम पाकिस्तान में रह गये हिन्दुओं की सुरक्षा व उनकी धार्मिक मान्यताओं की रक्षा करना वहाँ की सरकार का कर्तव्य होगा। सभी को पता है कि बांग्लादेश भी उस समय पाकिस्तान का ही एक अंग था, आज जब पाकिस्तान के उस समय के हिस्सा रहे बांग्लादेश को हिंदुओं की रक्षा के उसके नेताओं के संकल्प को याद दिलाया जाता है तो वह चुप हो जाता है। इसका कारण केवल एक ही है कि बांग्लादेश की सरकार या भली प्रकार जानती है कि  पश्चिम बंगाल में उन्होंने पिछले ७० वर्षों में नोवाखाली मार्का बंगाली मुसलमानो का अनुप्रवेस कराया है।
   आज तो पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की तथाकथित हिंदू सरकार दिखाई देती है, लेकिन वास्तव में यह केवल एक हिंदू चेहरा ही है। तैयारी यह है कि वहां पर जल्दी से जल्दी मुस्लिम सरकार बनाई जाए। हमारा मानना है कि २०३१ में पश्चिम बंगाल में बंगलादेशी मुसलमानों की सरकार बन जायेगी। ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि बांग्लादेश में हिन्दुओं पर होने वाले अत्याचारों पर कोई कार्यवाही करे। अभी मैंने कुछ दिन पहले Whatsup पर एक लेख पढ़ा था उसके अनुसार पश्चिम बंगाल में २७ प्रतिशत मुसलमानो के लड़के-लड़की  जो आज १० वर्ष के हैं वे प्रति १०० में ११ हैं ,जबकि ७२ प्रतिशत हिन्दुओं के बच्चे मात्र ९ हैं। आज के ८ वर्ष बाद ये बच्चे १८ वर्ष  के वोटर बनेंगे तो पश्चिम बंगाल में मुस्लिम वोटरों की संख्या  २७ प्रतिशत से बढ़ कर ४१ प्रतिशत हो जायेगी व राज्य के १७० विधान सभा केंद्रो में  मुस्लिम बहुसंख्यक हो  ज़ायेंगे तथा पश्चिम बंगाल में बँगलादेशी मुसलमानों का राज्य होगा। मैंने राज्य की २९४ विधान सभा में आज मुसलमानों की स्तिथि कैसी है ? – इसको देखा तो पाया उपरोक्त कथन में सच्चाई है। राज्य की ४२ लोकसभा क्षेत्रों की समीक्षा करने पर हम पाते हैं कि एक लोकसभा केंद्र में ७ विधान सभा केंद्र आते हैं। २३ लोकसभा केंद्रो में मुस्लिम मतदाताओं की २० प्रतिशत से ऊपर निम्न प्रकार है : – 
१) कुचबिहार – २० प्रतिशत,२)रायगंज-५१ प्रतिशत,३)बालुरघाट-२५ प्रतिशत,४)माल्दा उत्तर- ४६ प्रतिशत,५)माल्दा दक्षिण -५८ प्रतिशत,६)जंगिपूर -६३ प्रतिशत,७)बरहमपुर -४९ प्रतिशत,८)मुर्शीदाबाद-६५ प्रतिशत,९)कृष्णनगर -२५.८ प्रतिशत,१०)बशीरहाट -४० प्रतिशत,११)जयनगर-४० प्रतिशत,१२)मथुरापुर-२७ प्रतिशत,१३)डाईमंड हार्बर-३६ प्रतिशत,१४)जादवपुर-२९ प्रतिशत,१५)कोलकाता दक्षिण-३३ प्रतिशत,१६)कोलकाता उत्तर-२९ प्रतिशत,१७) हावड़ा-२१प्रतिशत,१८)उलबेरिया-३० प्रतिशत,२०)बर्धमान-२१ प्रतिशत,२१)बोलपुर-२७ प्रतिशत,२२)बीरभूम-४० प्रतिशत,२३)बरासात-२७प्रतिशत, इसके अलावा २० प्रतिशत से कम १९ मुस्लिम बहुल लोकसभा क्षेत्रों में १० बिधान सभा क्षेत्र ऐशे है जहां इनकी २० प्रतिशत से अधिक संख्या है। १)हरिनघाटा-२६ प्रतिशत,२)स्वरूपनगर-५५ प्रतिशत,३)आमडाँगा-५२ प्रतिशत,४)कमरहटी-२३ प्रतिशत,५)जगतबल्लभपुर -३७ प्रतिशत,६)चंडितला-२८ प्रतिशत,७)जंगीपाड़ा-२८ प्रतिशत ८)पंडुवा-२३ प्रतिशत,९)भातार-२५ प्रतिशत,१०)मंतेस्वर-३१ प्रतिशत,  कुल मिला कर १७१ विधान सभा क्षेत्र हैं जहां मुसलमानों की संख्या २०३१ के चुनाव के समय बहुसंख्या हो जायेगी। कुछ ग़लत आकलन नही किया।
   जब बंगाल का विभाजन कर पश्चिम बंगाल का निर्माण हुआ था उस समय पश्चिम बंगाल में हिन्दुओं की जनसंख्या ८२ प्रतिशत व मुसलमानों की जनसंख्या १८ प्रतिशत थी। बांग्लादेश में हिन्दुओं की जनसंख्या ३० प्रतिशत थी जो आज ६ प्रतिशत है।  यानी २४ प्रतिशत हिन्दू बांग्लादेश से पिछले ७५ वर्ष में भगा दिये गये है। ये पश्चिम बंगाल में आये हैं। बांग्लादेश से २४ प्रतिशत हिन्दुओं के पश्चिम बंगाल में आने से हिन्दुओं की जनसंख्या ८२ प्रतिशत से बढ़ कर ९० प्रतिशत हो जानी चाहिये व मुसलमानो की जनसंख्या १८ प्रतिशत से घट कर १० प्रतिशत होनी चाहिये। पर नोवाखाली मार्का बँगलादेशी घुसपैठियों ने  हिन्दुओं की जनसंख्या ९० प्रतिशत के बजाय ७२ प्रतिशत पर ला कर खड़ा कर दिया व मुसलमानों की जनसंख्या २७ प्रतिशत पर पास कर खड़ा कर दिया। जनसांख्यिकीय आंकड़ों में आया यह परिवर्तन भारत के लिए भयानक साबित होगा, इसलिए समय पर उचित निर्णय लेना बहुत आवश्यक हो गया है।
भारत सरकार से हमारा अनुरोध है बांग्लादेश जब नेहरू लियाक़त अली समझौते के अनुसार वहाँ रह रहे हिंदुओं की धार्मिक आजादी की रक्षा नहीं कर पाया है और उन्हें किसी भी प्रकार से सुरक्षा देने में भी असफल रहा है तो भारत सरकार को पंजाब की तरह बांग्लादेश व पश्चिम बंगाल में जनसंख्या की अदला बदली कर लेनी चाहिए । यदि हम ऐसा करने में सफल होते हैं तो निश्चय ही पश्चिमी बंगाल को अलग देश बनाने से रोका जा सकेगा और बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं की जान माल की सही हिफाजत भी करने में हम सफल होंगे। भारत सरकार को सही समय पर अपने राजधर्म का निर्वाह करना चाहिए।

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