दुनिया में जब से मानवतावादी मूल्यों की निर्मम हत्या होने लगी है, कौटुम्बिक भावों का खात्मा हुआ है, साम्राज्यवादी सोच पनपी है और सब कुछ अपने लिए हड़प लेने की जो विकृति पसर गई है उसके बाद से तो नकारात्मक, लालची और विध्वंसकारी लोगों का वजूद अपने आप हर तरफ बढ़ गया है।
आजकल अच्छे और रचनात्मक लोग कहीं मिलें या नहीं, मगर नकारात्मक सोच के खूब सारे लोग हर तरफ बहुतायत में विद्यमान हैं। समाज की दुर्दशा और देश के क्रमिक पतन में इन नकारात्मक और नालायक लोगों की जितनी भूमिका है उतनी पड़ोसी दुश्मन देशों या आतंककारियों की भी नहीं हो सकती।
नकारात्मकता को अपनाकर पुरुषार्थहीन कमाई का शौक जबसे परवान चढ़ा है तभी से हमारी स्थिति यह हो गई है कि नकारात्मक दिशा-दृष्टि वाले लोग अपने हित साधने के लिए हर कहीं लपकों की तरह दौड़ लगाते हुए देखे जा सकते हैं। जरूरी नहीं कि ऎसे लोग मामूली काम-काज से ही जुड़े हुए हों, हम खूब सारे ऎसे बड़े ओहदों वाले लोगों को भी जानते हैं जिनकी नकारात्मक छवि और दृष्टिकोण के मारे सज्जन परेशान हैं।
इन नकारात्मक लोगों की भी कई किस्में हैं। कुछ हमेशा हर कहीं चिल्लपों मचाते हैं, कुछ नकारात्मक लिखने और सोचने से बाज नहीं आते, कुछ ऎसे हैं जो चूहों की तरह बिल में घुसे रहकर शिकायतें लिखने और भिजवाने के विशेषज्ञ हो चले हैं।
इन सारी बातों के बीच एक यह निष्कर्ष जरूर निकाला जा सकता है कि अंधेरा पसंद और नकारात्मक लोगों के समूह हर तरफ एकदम बन जाया करते हैं। यों भी कूड़ा-करकट और गंदगी जहां होती है वहां दूसरी तरह के कचरों का भी साथ ही ढेर लगता जाता है और एक समय ऎसा आता है कि जब वह स्थान कूड़ाघर के रूप मेंं सामाजिक और क्षेत्रीय मान्यता प्राप्त कर लेता है।
बुराई और निंदा करने वाले लोगों की चर्चाओं के बीच इन लोगों का एक बहुत ही लाभकारी उपयोग है जिसे इस्तेमाल कर लिए जाने पर हम निहाल हो सकते हैं। बुराई और निंदा करने वाले लोग हमारे लिए वो अमूल्य धरोहरें हैं जिनका उपयोग हमें कई प्रकार के पापों और समस्याओं से मुक्त कराता है। बुरे और निंदक लोग जिनके पीछे पड़े होते हैं वे लोग भाग्यशाली होते हैं और उन पर ईश्वर की असीम कृपा मानी जानी चाहिए। तभी कहा गया है -निंदक नियरे राखियें।
एक तो निंदक हमारे कर्म और जीवन के बारे में हमसे ज्यादा चिंतित व परेशान रहते हैं और इस वजह से उनकी आधी से अधिक हरकतों का पता पाकर हम अपने आपमें सुधार लाने का मौका पा जाते हैं। दूसरा यह कि हर निंदक के दिमाग और पेट में छेद होता है और ऎसे में कोई सी बात हो, उसके बाहर उगलने के सिवा कोई चारा नहीं बचता। इसलिए हमारे सुधार की दृष्टि से निंदक अत्यन्त उपयोगी ही सिद्ध ही होते हैं।
एक सिद्धान्त यह है कि हम अपने जाने-अनजाने हुए पापों को समाप्त करना चाहते हों, अपने खराब ग्रह-नक्षत्रों के प्रकोप से बचना चाहें, मृत्यु उपरान्त हमें नरक की यंत्रणाओं से बचना हो तथा अगले जन्म में अच्छा और ऎश्वर्यशाली जीवन पाना हो तो उसके लिए सबसे पहली शर्त यही है कि हमारे पापों का क्षय हो। इसके बिना न हमारी गति-मुक्ति हो सकती है, और न ही अगला जन्म अच्छा पाया जा सकता है।
अपने तमाम प्रकार के ज्ञात-अज्ञात पापों के निवारण के लिए कोई प्रायश्चित नहीं है। हर कर्म का फल-कुफल हमें ही भोगना पड़ता है। लेकिन इसमें भी एक उपाय ऎसा है जिसमें न जप-तप की जरूरत पड़ती है, न दान-पुण्य करने की, पर है थोड़ा कठिन जरूर।
अपने आस-पास हमेशा कुछ लोग ऎसे जरूर होने चाहिएं जो हमारी बेवजह बुराई या निंदा करते रहें और हमारे बारे में दुष्प्रचार करते रहें। इससे भले ही हमें तात्कालिक तौर पर लौकिक अपयश का सामना करना पड़े मगर हमारे सम्पूर्ण जीवन और आने वाले जन्मों के लिए यह सुरक्षित तरीका है।
जो लोग हमारी बिना वजह निंदा या बुराई करते हैं वे लोग हमारे पापों की गठरी अपने सर पर ले लिया करते हैं। इसके बाद वे जिन-जिन लोगों के समक्ष हमारी बुराई या निंदा करते हैं अथवा इनके मुँह से जो-जो लोग हमारे बारे में झूठी बातें सुनते हैं उन सभी में हमारे पाप विभक्त हो जाते हैं और एक समय ऎसा आ ही जाता है जब इन निंदकों की परम कृपा से हम पापमुक्त होकर दिव्य जीवन का आश्रय पा जाते हैं।
इन नालायकों और निंदकों का दूसरा सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि हमारे जीवन में पितर दोष, ग्रह-नक्षत्रों और प्रेतयोनियों, योगिनियों के जो-जो दोष होते हैं वे भी हमारी निंदा करने वाले इन निंदकों के खाते में चले जाते हैं और इससे कई मानसिक और शारीरिक व्याधियों, दुर्घटनाओं आदि से हमारा बचाव हो जाता है क्योंकि जो नकारात्मक ऊर्जाएं हमें नुकसान पहुँचाने के लिए होती हैं उन सभी को ये निंदक हमारी बुराई करते रहते हुए अपने भाग्य में खींच लिया करते हैं।
यदि हमें मुक्ति की कामना हो तब तो इन निंदकों से बढ़कर कोई और हमारा मददगार हो ही नहीं सकता। ये लोग हमारी जितनी अधिक बुराई करेंंगे, जितने अधिक लोगों तक हमारी बुराई पहुंचेगी, उतनी जल्दी हमारे जीवन से कष्टों, दुर्भाग्य और पापों का स्थानान्तरण इन निंदकों और हमारी बुराई करने-सुनने वालों के खाते में हो जाएगा और हम उन सभी घातक प्रभावों से मुक्त होने का अनुभव कर सकते हैं।
अपनी निंदा और बुराई करने वाले लोगों को भला-बुरा न कहें बल्कि यह मान कर चलें कि भगवान ने अपने पापों और कष्टों को शेयर करने के लिए ही ऎसे-ऎसे खूब सारे लोग हमारे पीछे छोड़ रखे हैं जो दिन-रात हमारे ही बारे में चिंतन-मनन करते हैं, खाते-पीते, सोते-बैठते, हर क्षण ये लोग हमारे बारे में नकारात्मक सोचकर हमारा ही कल्याण करने के लिए पैदा होते हैं।
जब भी कोई इंसान हमारे बारे में गलत सोचता, कहता और करता है, उसी क्षण हमारे आभामण्डल से कर्षण शक्ति के माध्यम से हमारे पाप और संभावित घातक प्रभाव उसकी ओर चले जाते हैं तथा उसके आभामण्डल के जरिये निंदकों के शरीर में घुसकर उनके पाप पुरुष को पुष्ट बना देते हैं और इधर हम पाप और पीड़ाओं से मुक्त हो जाते हैं।
छोटा सा प्रयोग करके देखियें, जब भी हम किसी वजह से परेशान हों, बनते काम बिगड़ रहे हों, ऎसे में कोई न कोई ऎसा भ्रमित करने वाला कारण उपस्थित कर दें कि जिससे दूसरे लोगों को हमारी बुराई और निंदा में रस आने का मौका हाथ लग जाए। दो-चार दिन में हमारी निंदा का प्रसार पूर्ण हो जाने के उपरान्त हमारी सारी समस्याएं अपने आप दूर हो जाती हैं।
हमेशा अपने आस-पास ऎसे लोग बनाए रखें जो बेवजह हमारी निंदा और बुराई करते रहें। इससे हमारा जो दीर्घकालीन फायदा होगा, जीवन का जो सुकून प्राप्त होगा, वह अपने आप में अवर्णनीय और शाश्वत होगा। इसमें संदेह नहीं।
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