भारत को मिटाने की जवाहिरी की धमकी
राकेश कुमार आर्य
भारत वर्ष के विषय में फ्रेंच तत्वज्ञ विक्टर कजिन ने कहा है-‘‘इसमें संदेह नही कि प्राचीन हिंदुओं को वास्तविक ईश्वर का पूर्ण ज्ञान था। उनके विचार उनका तत्वज्ञान इतना श्रेष्ठ उदात्त तथा सत्य है कि उनके मुकाबले में यूरोपीय तत्वज्ञान दोपहर के सूर्य के सामने चमकने वाले जुगनू की भांति फीका है।’’
मार्क ट्वेन ने भी इस महान देश के विषय में ऐसा ही कुछ कहा है-‘‘यह भारतवर्ष मानव जाति का उद्गम स्थल है, हमारी अभिव्यक्ति का जन्म स्थान, इतिहास की मां तथा युगपुरूषों का पितामह है।’’
इस देश की महान सांस्कृतिक विरासत को विश्व-विरासत मानते हुए तथा उसे विश्व समाज के लिए अत्यंत उपयोगी जानते हुए अंग्रेज इतिहासकार आर्नोल्ड ट्यनबी ने कहा था-‘‘सारा विश्व विनष्ट होने के कगार पर है। ऐसे में केवल भारतीय समाज ही कोई मार्ग दिखा सकता है।’’
इस महान देश के उज्ज्वल भविष्य के प्रति पूर्णत: आश्वस्त होते हुए एडिनवर्ग के दीक्षांत भाषण में टयनबी ने एक बार पुन: कहा था-‘‘21वीं शताब्दी में भारत विश्व का अग्रणी नेता होगा। भारत प्रत्येक क्षेत्र में महान प्रगति करेगा। इस पर भी बड़ी बात यह है कि वह विज्ञान एवं धर्म में समन्वय स्थापित करेगा।’’
नोबेल पुरस्कार विजेता रोमांरोला ने कहा था-‘‘मनुष्य ने जब से अस्तित्व का स्वप्न देखा है, उस आदिकाल से लेकर आज तक मानव ने जितने भी स्वप्न देखे हैं उन सब स्वपनों को पृथ्वी के किसी एक स्थान पर यदि आश्रय मिला है तो वह भारत वर्ष है।’’
आज उसी भारत की युगों पुरानी सांस्कृतिक आत्मा को नष्ट करने की धमकी अलकायदा के प्रमुख अलजवाहिरी ने दी है। अलजवाहिरी ने इस्लमी राज्य की वापसी का दावा करते हुए कहा है कि वह इस लड़ाई को बांगलादेश और म्यांमार तक ले जाएगा। इस आशय की वीडियो की जानकारी होते ही गृहमंत्रालय ने राज्यों को एलर्ट जारी कर दिया है।
अलकायदा ने धमकी दी है, पर उसे अब ज्ञात हो जाना चाहिए कि उसके जैसी प्रतिज्ञा ही कभी महमूद गजनवी ने भी की थी कि इस देश को मिटाकर ही दम लूंगा। उसके बाद सदियां गुजर गयीं और इसी धार्मिक मदांधता में जीने वाले कितने ही गजनवी, गौरी, बाबर, औरंगजेब और नादिरशाह आए और चले गये। 1235 वर्ष तक इस देश की हिंदू जनता ने उनके अत्याचारों का सामना किया और अपनी तथा अपने देश-धर्म की रक्षा की। उसकी आत्मा की चेतना सदा जागृत रही और अपने स्वाभिमान के लिए संघर्ष करती रही, और आज भी कर रही है।
आज भारत चेतना का पुंज है। इसकी चेतना सर्वत्र मुखर हो रही है, यहां तक कि मुस्लिमों का एक बड़ा वर्ग भी धर्म के वैज्ञानिक अर्थ को ग्रहण कर रहा है और वह भी राष्ट्रीय एकता के लिए काम करना चाहता है। वह अपनी धार्मिक आस्थाओं को बनाये रखकर भी देश की आस्था को अपने सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक मानता है, क्योंकि वह जानता है कि विश्व में भारत ही एक ऐसा गैर इस्लामिक देश है जहां विश्व की सर्वाधिक मुस्लिम आबादी रहती है, परंतु उन्हें आत्मविकास के वे सारे अधिकार प्राप्त हैं जो एक समुदाय या व्यक्ति के पास होने चाहिए। इसलिए देश का बड़ा मुस्लिम समाज 1947 को दोहराने की मूर्खता नही करेगा।
भारत का युवा अब समझ रहा है कि भारत का वर्तमान इतिहास झूठ का पुलिंदा है, जो हमारे एक हजार वर्ष तक गुलाम रहने की घोषणा करता है। आज का युवा इस तथ्य को समझ गया है कि संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा और पिछले 1300 वर्ष का इतिहास हिंदुओं की विजय, वीरता और वैभव का इतिहास है। उसी विजय, वीरता और वैभव ने कारगिल में अपना स्वर्णिम अध्याय पूर्ण किया। अगला अध्याय और भी स्वर्णिम है, जब देश की बागडोर देश की संस्कृति, धर्म और इतिहास की सुरक्षा की गारंटी की शर्त के साथ लोगों ने मोदी जैसे ओजस्वी नेता के हाथों में सौंप दी है। आज जिन हाथों को अलकायदा काट देना चाहता है, उन हाथों के साथ देश के ढाई करोड़ हाथ मुट्ठी बंद किये खड़े हैं। सबका निशाना एक है-‘राष्ट्र निर्माण, सबका साथ-सबका विकास।’ उस सोच को मिटाने से पहले चेतनित भारत की आत्मा से यदि अलजवाहिरी ने पूछ लिया कि देश के सवा अरब लोगों के हाथों की मुट्ठी बंद का अर्थ क्या है तो उसे ज्ञात हो जाएगा कि हम अपने भाग्य के निर्माता स्वयं हैं, और यदि हम पर किसी ने उंगली उठायी तो उस उंगली को घूंसे से तोड़ दिया जाएगा। सचमुच महमूद गजनवी के भारत से आज का भारत काफी संभला हुआ मजबूत भारत है। जवाहिरी जरा देखकर……..।