– हम हिंदू लोग किन-किन घटनाओं पर मातम मनाएं… क्या हम नोएडा के उस पवन के लिए आंसू बहाए जिसने अपने व्हाट्सएप स्टेटस पर लिखा था कि मैंने योगी जी को वोट दिया और इसके बदले में सलीम पाशा…. सलमान… अल्ताफ… अफरोज… अमन और शादाब ने उसे तलवारों से काट दिया… क्या हम हिंदू तमिलनाडु की बेटी उस लावण्या के लिए आंसू बहाएं जिसने ईसाई मिश्नरियों के द्वारा बनाए गए धर्मांतरण के दबाव से टूट कर आत्महत्या कर ली । क्या हम झारखंड के उस रूपेश के लिए आंसू बहाएं जिसे जिहादियों ने घेरकर इसलिए शिकार कर लिया क्योंकि वो वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा कर रहा था । हम ऐसी ही कितनी ही घटनाएं हर रोज देख रहे हैं…. हम हिंदू और हमारे पूर्वज उस समय से इस धरती पर रह रहे हैं जब ना इस्लाम था और ना ही ईसाइयत लेकिन आज हम हिंदुओं से ये कहा जा रहा है कि तुम मरो क्योंकि तुम्हारे मरने से और तुम्हारे कत्ल होने से गंगा जमुनी तहजीब सांस लेती है और इस संविधान को बचाकर रखने के लिए तुम्हारा कत्ल होना जरूरी है
-कोई तैमूर आया और उसने हमारे लाखों पूर्वजों के सिर काट कर उससे सिरों की मीनारें बनवाई… हम हिंदुओं के पूर्वजों की गर्दनों पर तलवारें इतनी जोर से चलाई गईं कि गर्दन की हड्डी टूट गई… और खोखली हड्डियों से खून के फव्वारे फूट गए और फिर उन खून के फव्वारों को देखकर जिहादी मस्ती में डूब गए… हमारे पूर्वजों की नसों से कट कट कर गिरने वाला खून जिहादियों की तलवारों पर इतनी मोटी परत बना गया कि वो म्यान में भी नहीं घुसती थीं…. हम हिंदुओं ने कभी दो पल के लिए भी चैन की सांस नहीं ली क्योंकि हमेशा जिहादी तलवार लिए हमारे सिरों पर सवार रहे… फिर भी हमारे पूर्वजों ने प्रतिरोध किया और किसी तरह अपने देश की सुरक्षा की और जिहाद के सामने सरेंडर नहीं किया… हम हिंदुओं ने अहिंसा की बात करने वाले गांधी को भी अपना नेता मान लिया कि शायद जिहाद थम जाए लेकिन उसका परिणाम ये हुआ कि हमसे सिंध पंजाब और बंगाल की धरती छीन ली गई…
-फिर भी हम हिंदुओं ने अफसोस नहीं किया कि चलो कोई बात नहीं अब पाकिस्तान बन गया अब तो हम शांति से रह पाएंगे लेकिन ये कितने दुख की बात है कि अब आज हिंदुओं को इसलिए निशाना बनाया जा रहा है कि वो अपनी मर्जी से वोट डाल रहे हैं…. वो सरस्वती पूजा कर रहे हैं या फिर ईसाई धर्म को स्वीकार नहीं कर रहे हैं…
-संविधान के सारे नैतिक मूल्यों और दायित्वों और कर्तव्यों का बोझ ढोते ढोते हिंदुओं की कमर टूट चुकी है…. 1947 में दो करोड़ की तादाद में रहा मुसलमान आज 20 करोड़ से ज्यादा हो चुका है और अब वो ठीक उसी तरह व्यवहार कर रहा है जैसे 1940 के दशक में हिंदुस्तान का मुसलमान जिन्ना के नेतृत्व में कर रहा था
-जिन्ना के जमाने का मुसमलान कहता था कि हमको वंदेमातरम नहीं पढना… आज ओवैसी के जमाने का मुसलमान भी यही कहता है… जिन्ना के जमाने का मुसलमान इसलिए पाकिस्तान मांग रहा था क्योंकि वो कहता था कि हमारी तहजीब हिंदुओं से अलग है और आज ओवैसी के जमाने का मुसलमान कहता है कि हमें स्कूल की यूनिफॉर्म स्वीकार नहीं हमें हिजाब पहनना है… जिन्ना के जमाने में भी मुसलमान उर्दू को राष्ट्रभाषा बनाना चाहता था और आज ओवैसी के जमाने का मुसलमान भी यही चाहता है… जिन्ना के जमाने का मुसमलान भी गाय काटना अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझता था और आज के ओवैसी के जमाने का मुसलमान भी बीफ खाने को अपना शरयी अधिकार मानता है…. फिर पाकिस्तान आखिर किस लिए बनाया था ?
-गांधी और नेहरू ने इस देश के हिंदुओं को चारों तरफ से घेर दिया…. दांए-बाएं से पाकिस्तान और बांग्लादेश और अंदर भी जिहादियों की इतनी बड़ी फोर्स जबरदस्त तरीके से संगठित है और जिसके नेता कहते हैं कि उन्हें सिर्फ 15 मिनट की दरकार है ! बीच में हमारी हिंदुस्तान की सेना खड़ी है जो बॉर्डर के उस पार मौजूद दरिंदों को रोके हुए हैं लेकिन बॉर्डर के अंदर गंगा जमुना और कावेरी के मैदानों में हिंदू संस्कृति के नामों निशान मिटाने की जो साजिशें चल रही हैं उस पर किसी की नजर नहीं है
-हिंदुओं से अच्छा वो कबूतर होता है जो बाज के खूनी पंजे को देखकर डर जाता है और अपनी आंखें बंद कर लेता है लेकिन हिंदू तो उस कबूतर से भी गया बीता है क्योंकि उसके सामने खूनी पंजा भी है लेकिन वो उस खूनी पंजे को देखकर भी इस बात का अहसास भी नहीं कर पा रहा है कि उसे कम से कम डरना चाहिए और अपनी सुरक्षा पर विचार करना चाहिए बल्कि वो जातियों में बंटा हुआ है और अपने इतिहास से कोई सबक नहीं लेना चाहता है
-आखिर में भारी मन से फिर वही बात…. हिंदुओं का वोट पर्सेंट अब भी बढ़ने का नाम नहीं ले रहा है…. हमारे इतना प्रचार करने के बावजूद भी हिंदुओं में वोट देने का जोश तुलनात्मक रूप से काफी कम है….
-शायद तुम्हारी आंखें उस दिन खुलेंगी जब तुम्हारा कटा हुआ धड़ तुम्हारी आंखों के सामने होगा…. तब तक के लिए जाओ… मनाली और शिमला घूम आओ… कोई अच्छी फिल्म देख आओ… पिज्जा बर्गर की दुकान पर मस्ती काट आओ… और अपनी बीवी को नचाओ और उसका वीडियो बनाकर इंस्टाग्राम पर डाल दो… तुम इतना गिर चुके हो कि तुम्हारे उठने की कोई गुंजाइश नहीं दिखती है और तुम्हें पता भी नहीं है कि तुम्हारे दुश्मनों की तैयारी कितनी जबरदस्त है और वो किस तरह बगुले की तरह सेक्युलरिज्म की भस्म लगाए सही मौके का इंतजार कर रहे है
सोशल मीडिया से साभार
बहुत से लेख हमको ऐसे प्राप्त होते हैं जिनके लेखक का नाम परिचय लेख के साथ नहीं होता है, ऐसे लेखों को ब्यूरो के नाम से प्रकाशित किया जाता है। यदि आपका लेख हमारी वैबसाइट पर आपने नाम के बिना प्रकाशित किया गया है तो आप हमे लेख पर कमेंट के माध्यम से सूचित कर लेख में अपना नाम लिखवा सकते हैं।