एक गांव में राजपूत, ब्राह्मण, बनिये, तेली, हरिजन आदि जातिके लोग रहते थे, सभी मिलजुल कर शान्ति से रहते थे।
एक दिन गांव के मुखिया के पास एक मुस्लिम अपनी पत्नी और आठ बच्चों के साथ आया और गांव मे रहने की भीख मांगने लगा।
रातों को जागकर गाँव की देखभाल करने वाले एक चौकीदार ने इसका विरोध किया लेकिन किसीने उसकी बात को नहीं माना और मुस्लिम परिवार को गांव में रहने की अनुमति दे दी।
दिन गुजरते गये और मुस्लिम के आठों बच्चे बड़े हो गए जब उनकी शादी की बारी आई तो मुस्लिम सरपंच के पास गया और बोला कि हुजूर बच्चों की शादी होनेवाली है और मेरे पास एक ही घर हैं तो गावँवालों ने उसको एक बंजर जमीन दे दी और कहा कि तुम उस पर घर बना कर रहो ।
इसके बाद मुस्लिम बनिये के पास गया और उससे पैसे उधार लिए । कुछ समय बाद उन आठों बच्चों के ७४ बच्चे हुए और देखते ही देखते लगभग ३० सालों मे उस गांव में मुस्लिमों की जनसंख्या ४०% हो गई।
अब मुस्लिम लड़के अपनी आदत अनुसार हिन्दुओं से झगड़ा करने लगे और उनकी औरतों को छेड़ने लगे ।
धीरे धीरे एक एक हिंदु अपने परिवार को लेकर गांव को स्वेच्छा से छोड़ने लगा।
एक दिन गांव के मुख्य मंदिर को मुस्लिमों ने तोड़ दिया और उस पर मस्जिद बनाने लगे तब वहां के बचे कुचे हिंदूं उनको रोकने लगे तो मुस्लिम बोला कि जो अल्लाह के काम में रुकावट डाले उसे काट डालो । सामना करना ठीक न समझते हुए बचे कुचे हिंदुओने वह गांव छोड़ दिया और जाते जाते चौकीदार से बोले कि हमने तुम्हारी बात न मानकर उस मुल्ले पर भरोसा किया जिसकी वज़ह से आज हमें गांव छोड़कर जाना पड़ रहा है।
*उस गांव का नाम पंचवटी से बदलकर अब रहीमाबाद हो चुका है । यह गांव महाराष्ट्र के अमरावती जिले में स्थित है।*
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ऐसे हुआ हिंदुओं के गांवों शहरों का मुस्लिम नामकरण
