*संस्कृत और संस्कृति भारतीयता की आत्मा है -वैदिक विदुषी विमलेश बंसल*
*अंतर्राष्ट्रीय आर्य महिला सम्मेलन संपन्न*
*महर्षि दयानंद ने नारी को समान अधिकार दिलाये -प्रो.आयुषी राणा*
गाज़ियाबाद,शुक्रवार,11 फरवरी 2022,केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के 44 वें वार्षिकोत्सव के उपलक्ष्य में “त्रिदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय आर्य महावेबिनार जिसमें प्रथम सत्र में आर्य महिला सम्मेलन का आयोजन ज़ूम पर ऑनलाइन किया गया।यह परिषद का कोरोना काल में 353 वां वेबिनार था।
वैदिक विद्वान आचार्य अखिलेश्वर जी (हरिद्वार) ने यज्ञ के माध्यम से कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए कहा कि महर्षि स्वामी दयानंद से पूर्व भक्ति के नाम पर अनेक आडम्बर हुआ करते थे किंतु स्वामी दयानंद ने भक्ति के सत्य मार्ग को यज्ञ के रूप में संसार के लिए प्रशस्त किया।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य के सानिध्य में अंतर्राष्ट्रीय आर्य महिला सम्मेलन का आयोजन किया गया।
अंतरराष्ट्रीय आर्य महिला सम्मेलन में वैदिक विदुषी विमलेश बंसल ने कहा कि इस सम्मेलन में देश विदेश से ऑनलाइन जुड़े लोगों को देखकर प्रसन्नता हो रही है,आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती ने नारी को पुरुष के समान अधिकार दिलवाया।स्त्री जाति के लिए उन्होंने शिक्षा के द्वार खोल दिए।आर्य समाज ने बाल विवाह, सती प्रथा जैसी कुरीतियां बंद करवाई।विधवाओं को पुनर्विवाह का अधिकार प्रदान कर आर्य समाज ने नारी सशक्तिकरण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने आगे कहा कि नारी का करो सम्मान तभी बनेगा देश महान।
मुख्य वक्ता वैदिक विदुषी प्रो.आयुषी राणा(मेरठ) ने कहा कि आज समाज के प्रत्येक क्षेत्र में महिलाएं अग्रणी है और देश ही नही विदेशों में भी भारत का नाम ऊंचा कर रही हैं।माता निर्माता होती है वो चाहे तो किसी को राम तो किसी को रावण भी बना सकती है इसलिए महिलाओं को शिक्षित करना वर्तमान परिस्थितियों में अनिवार्य है जिससे वे आने वाली पीढ़ियों को शिक्षित कर सकती है।उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा में धर्म या मजहब को कोई स्थान नहीं है।
विशिष्ट अतिथि प्रो.आर्यव्रती बुलॉके (डी ए वी कॉलेज, मॉरिशस) ने मां पर एक सारगर्भित रचना सुनाई और भारत व विदेशों में महिलाओं के वर्तमान नेतृत्व का वर्णन किया और कहा कि स्वामी दयानंद और आर्य समाज की शिक्षाओं के कारण ही आज महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त है।
मंच संचालिका श्रुति सेतिया ने कहा कि ऋषि देव दयानन्द ने महिलाओं के उत्थान में जो भूमिका निभाई इसके लिए उन्हें युगों युगों तक याद रखा जाएगा।
अध्यक्षता करते हुए ऑस्ट्रेलिया से प्रेमा हंस ने कहा कि संस्कृत और संस्कृति भारतीयता की आत्मा है।संस्कृत समस्त भाषाओं की जननी है।विदेशों से ज्यादा भारत मे ही बच्चो में संस्कारों का निर्माण हो सकता है,हम विदेशों में रहकर भी अपनी भारतीय संस्कृति का परचम फहरा रहे हैं।
न्यूजीलैंड से उर्मिला सचदेवा ने भी वर्तमान संदर्भ में नारी की भूमिका पर विचार रखे।
वैदिक विदुषी गायत्री मीना मंत्री आर्य समाज नोएडा,प्रि.अंजू मल्होत्रा (कालका डेंटल कॉलेज, मेरठ)उर्मिल आर्या ने भी मार्गदर्शन दिया।
गायिका सुदेश आर्या,पिंकी आर्या, दीप्ति सपड़ा,प्रतिभा कटारिया, राज कुमारी सरदाना,रचना आहूजा,जनक अरोड़ा आदि ने अपने गीतों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस अवसर पर जूम,यूट्यूब एवं फेसबुक पर भारी संख्या में लोगों ने भाग लिया वा मुख्य रूप से सर्वश्री महेंद्र भाई,यशवीर आर्य, आनंद प्रकाश आर्य (हापुड़), प्रवीण आर्य,सुभाष शर्मा,मंगल सिंह (गाजियाबाद)से उपस्थित रहे।