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इतिहास के पन्नों से

मुसलमानों में व्याप्त बुर्का प्रथा पर डॉक्टर अंबेडकर के विचार

बुर्के को लेकर डॉ. अंबेडकर के क्या विचार थे? इस विषय पर मेरा लेख ‘अमर उजाला’ में प्रकाशित हुआ है।

– पर्दाप्रथा की वजह से मुस्लिम महिलाओं में दासता और हीनता की मनोवृत्ति बनी रहती है

– डॉ. अंबेडकर

– पर्दाप्रथा की वजह से मुस्लिम नौजवानों में यौनाचार के प्रति ऐसी अस्वस्थ प्रवृत्ति का सृजन होता है जो आप्राकृतिक और अन्य गंदी आदतों और साधनों को अपनाने के लिए प्रेरित करती है – डॉ. अंबेडकर

– पर्दाप्रथा के कारण मुस्लिम महिलाओं का मानसिक और नैतिक विकास भी नहीं हो पाता। – डॉ. अंबेडकर

– मुसलमानों में पर्दा-प्रथा को एक धार्मिक आधार पर मान्यता दी गई है, लेकिन हिंदुओं में ऐसा नहीं है। हिंदुओं की तुलना में मुसलमानों में पर्दा-प्रथा की जड़े गहरी हैं। मुसलमानों ने इसे समाप्त करने का कभी प्रयास किया हो इसका भी कोई साक्ष्य नहीं मिलता है। – डॉ. अंबेडकर

– मुसलमानों ने समाज में मौजूद बुराइयों के खिलाफ कभी कोई आंदोलन नहीं किया। हिंदुओं में भी सामाजिक बुराइयां मौजूद हैं, लेकिन अच्छी बात ये है कि वो अपनी इस गलती को मानते हैं और उसके खिलाफ आंदोलन भी चला रहे हैं। लेकिन मुसलमान तो ये मानते ही नहीं हैं कि उनके समाज में कोई बुराई है। दरअसल मुसलमान समाज सुधार के प्रबल विरोधी हैं। – डॉ. अंबेडकर

– हिंदुओं के वर्चस्व की वजह से मुसलमान हर उस चीज़ को सुरक्षित रखने पर ज़ोर देता है जो कि इस्लामी है। वो ये जांचने-पऱखने की हिम्मत भी नहीं करता कि ये मुस्लिम समाज के लिए लाभप्रद है या हानिकारक – डॉ. अंबेडकर

Source Amar Ujala

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