‘क्रांति देश’ है भारत ….

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कविता  –  34

मशाल  क्रांति  की हाथों में  ले सत्तावन आया था,
जिसने शत्रु को दहलाया हमको महान बनाया था,
स्वाधीनता  का सपना  सारे  भारत  को  भाया था।
सन  सत्तावन  अंग्रेजों  को  दूर  भगाने  आया  था,
झकझोर दिया सारे भारत को फिर से यही बताया था,
क्रांति  से  आजादी  जन्मे  – गीत सभी  ने  गाया  था।।

बना केंद्र क्रांति का मेरठ, कोतवाल धन सिंह नायक,
जननायक से थरथर कांपे जो बने हुए थे अधिनायक,
सारा देश समझ गया था – अंग्रेज  हमारे  खलनायक,
स्वराज्य ही होता है लोगों को शांति व्यवस्था फलदायक।
लोगों  ने  मिल  एक  स्वर  से  गीत  यही  दोहराया  था,
क्रांति  से  आजादी  जन्मे  – गीत सभी  ने  गाया  था।।

बलिदान दिए मेरठ ने अनगिन देश ने साथ निभाया था,
जफर बादशाह को दिल्ली में  अपना सम्राट बनाया था,
बुलंदशहर जनपद ने  भी  तब  अपना  रक्त  बहाया  था,
दादरी  के  वीरों  में  भी  तब  जोश  निराला  आया  था।
मार – मार  कर  शत्रु  को  नींद  की  मौत  सुलाया  था ,
क्रांति  से  आजादी  जन्मे  – गीत सभी  ने  गाया  था।।

नाना साहब,  तात्या  टोपे  और  लक्ष्मीबाई  रानी  थी,
अनगिन योद्धा मैदान में कूदे भारत ने रची कहानी थी,
ऋषि दयानंद ने  अपने ढंग  से दी  वीरों  को  बानी थी,
देश  धर्म  के  दीवानों  की   जनता   हुई   दीवानी  थी ।
चपाती और  कमल के  द्वारा  संदेश  यही  फैलाया था,
क्रांति  से  आजादी  जन्मे  – गीत सभी  ने  गाया  था।।

क्रांति  के  अंगारों  को  धरती  के   नीचे   दबा  दिया,
भड़केंगे सही समय पर आगे यह शत्रु को  बता  दिया,
बंदूकों – तोपों  के आगे छाती को  अपनी  लगा  दिया,
बलिदान किए, बलिदानों का नहीं किसी ने मोल लिया।
बलिदान हमें अपने वीरों पर , आजादी  मंत्र बताया था,
क्रांति  से  आजादी  जन्मे  – गीत सभी  ने  गाया  था।।

जो देश समझता बलिदानों को ना व्यर्थ कभी जाने देता,
राष्ट्रीय चरित्र में कभी अपने   आलस्य    नहीं आने देता,
पहचान हो गद्दारों की जिसको  फसल  नहीं  उगने देता,
वही देश बचा पाता अपने को जो शत्रु को नहीं बढ़ने देता।
‘राकेश’ ‘क्रांति देश’ है भारत हर वीर ने यही दोहराया था,
क्रांति  से  आजादी  जन्मे  – गीत सभी  ने  गाया  था।।

यह कविता मेरी अपनी पुस्तक ‘मेरी इक्यावन कविताएं’-  से ली गई है जो कि अभी हाल ही में साहित्यागार जयपुर से प्रकाशित हुई है। इसका मूल्य ₹250 है)

डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत

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