वास्तव में जब आपकी नयी-नयी शादी हुयी हो और घर पर कुछ समय व्यतीत करने पर आप हनीमून के लिए जाते हैं तो वह समय आपके लिए सबसे सुनहरा और अनोखा प्रतीत होता है क्योंकि वहां मायके/ससुराल/बॉस की ओर से कोई झिक-झिक सुनने को नहीं मिलता और अपने तरीके से वहां कुछ दिनों के लिए जिंदगी जीया जीता है। यही हाल छात्रों/दोस्तों/नौकरी पेशा लोगों का होता है जो घूमने-फिरने के लिए कहीं दूर निकल पड़ते हैं। ऐसे समय में पर्यटन की सार्थकता को आसानी से महसूस किया जा सकता है। पर्यटन दुनियाभर में सामाजिक, सांस्कृतिक,राजनीतिक और आर्थिक मूल्यों को बढ़ावा देती है। यह लोगों को स्फूर्ति और सुकून देती है। बाहर से घूमकर आने से पर्यटक न केवल तरोताजा महसूस करता है बल्कि उसे अपने आप में नया जीवन मिलने जैसा अनुभूति भी होती है।
पर्यटन स्थल को कई भागों में बांटा जा सकता है जैसे साहसिक, सांस्कृतिक और तीर्थ। इन सभी का अपना-अपना महत्व है। पर्यटक अपनी पसंद के अनुसार अलग-अलग पर्यटन स्थलों का भ्रमण करता रहता है। इन स्थलों का दुनियाभर में कोई कमी नहीं है। भारत में केरल, शिमला,गोआ, आगरा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, मथुरा, काशी आदि जगह खुबसूरत पर्यटन स्थल हैं तो वहीं नेपाल में लुंबिनी, काठमांडू, पोखरा, धरान, जनकपूर आदि जो पर्यटकों को सांस्कृतिक और प्राकृतिक सुंदरता के दम पर अपनी ओर खींचती है।
मानव एक घुमंतू प्राणी है। वह एक से दूसरे जगह पर विचरण करने में यकीन रखता है। इसलिए देखा जाए तो दुनियाभर में जनवरी से जून,2014 तक लगभग 517 मिलियन पर्यटक पर्यटन पर गए थे जो जनवरी से जून, 2013 से 22 मिलियन अधिक है। भारत आनेवाले विदेशी पर्यटकों में अमेरिकी नागरिकों की तादाद सबसे ज्यादा है। वहीं पिछले कुछ सालों में विदेश जाने वाले भारतीयों की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है। भारतीय पर्यटन मंत्रालय की मानें तो भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों के मुकाबले विदेश जाने वाले पर्यटकों की संख्या दुगूनी हुयी है। जहां2010 में भारत में 5.78 मिलियन विदेशी पर्यटक आए थे जो बढ़कर 2013 में 6.97 मिलियन हो गया वहीं विदेशों में भ्रमण करने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या 2010 मे 12.99 मिलियन था जो 2013 में बढ़कर 16.63 मिलियन तक पहुंच गया। वहीं भारत में एक-दूसरे जगहों पर पर्यटक के तौर पर घूमने वालों की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है। जहां यह संख्या 2010 में 740 मिलियन था जो 2013 में बढ़कर 1145 मिलियन तक पहुंच गया। भारतीय पर्यटकों की पसंदीदा जगह सिंगापुर, बैंकाक और मलेशिया है। इन आंकड़ों से यह बात भी स्पष्ट है कि अधिकतर पर्यटक अपने देश में ही भ्रमण करते हैं क्योंकि मध्यम वर्ग के लोगों के पास पैसों की कमी होती है और अपने देश में ही घुमकर अपनी खुशियों को बटोरने की कोशिश करते हैं।
यह कहने में कोई गुरेज नहीं कर सकता कि दुनियाभर में पर्यटन उद्योग का भविष्य उज्जवल नहीं है। इसलिए विश्व के प्रमुख विरासत/पर्यटक स्थलों को संबंधित देश सजाने-संवारने को प्राथमिकता देता है जिससे कि अधिक से अधिक पर्यटक उनके देशों का दौरा कर सके और उस देश की आमदनी बढ़ सके। यूरोपीय देश, तटीय अफ्रीकी देश, पूर्वी एशियाई देश, कनाडा, स्विट्जरलैंड आदि ऐसे देश हैं जहां पर पर्यटन उद्योग से प्राप्त आय वहां की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करती है। इससे एक तरफ देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है तो दूसरी ओर पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के बहाने नदियों, वनों, झीलों, जलप्रपातों के किनारे, विरासत/धरोहर स्थलों का भी विकास होता है और इससे पर्यावरण भी संरक्षित हो जाता है।
देखा जाए तो दुनियाभर में 981 स्थलों को विश्व विरासत स्थल घोषित किया जा चुका है जिसमें से 759 सांस्कृतिक, 193 प्राकृतिक और 29अन्य मिले-जुले स्थल हैं। भारत को विश्व धरोहर सूची में 14 नवंबर, 1997 में स्थान मिला, तब से लेकर अब तक 28 धरोहरों को इस सूची में स्थान मिल चुका है जिसमें ताजमहल (आगरा, भारत) विश्व की सात प्रमुख धरोहरों में से एक है। वहीं नेपाल की 4 धरोहरों को विश्व धरोहर सूची में स्थान मिल पाया है जिसमें से भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी प्रमुख है।
ज्यादातर व्यक्ति दुनिया में किसी न किसी रूप में परेशान व अशांत है और हर पल पैसे और दुनिया की चकाचौंध के पीछे भागता रहता है जिसमें न जाने खुशियां कहीं गुम सी गयी है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को एक अंतराल पर अपने व्यस्त समय से निकलकर कहीं न कहीं पर्यटन स्थलों की ओर कूच कर जाना चाहिए जिससे कुछ समय के लिए ही सही लेकिन शांति और खुशियां को बटोरा जा सके।