ममता बनर्जी विश्वासघातक या सुभेंदु अधिकारी?——- इंजीनियर श्याम सुन्दर पोद्दार,महामन्त्री , वीर सावरकर फ़ाउंडेशन  

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                                  ———————————————ममता बनर्जी- अभिषेक बनर्जी लगातार सुभेंदु अधिकारी पर  हमला करते है कि सुभेंदु अधिकारी विश्वासघातक है। नन्दीग्राम से सुभेंदु अधिकारी की विजय व ममता बनर्जी की बंगाल की बेटी का नारा देने के बाद भी  पराजय से हमें यह संदेश मिलता है कि ममता बनर्जी ने अपने परिवार की तृणमूल कांग्रेस  पार्टी बनाने के लिये अभिषेक बनर्जी को सुप्रीम कमांडर बनाने का काम किया व नन्दीग्राम के महानायक सुभेंदु अधिकारी का तिरस्कार करती रही व सुभेंदु अधिकारी को जिसने  तृणमूल कांग्रेस को नन्दीग्राम का  रक्तरंजित  आंदोलन सफलता पूर्वक करने से बंगाल में सीपीएम की जड़-मूल को ग्रामीण अँचल में उखाड़ने का काम किया उसके साथ टीएमसी को ममता बनर्जी  ने टीएमसी को परिवार की पार्टी बनाने का काम किया, वह राजनीति के इतिहास में बहुत कम मिलेगा।
    अब हम ममता बनर्जी के राजनैतिक सफ़र का मूल्यांकन करते है। ममता बनर्जी ने १९७४ में जब पश्चिम बंगाल में कांग्रेस का शासन था छात्र परिषद  योग़माया कालेज से आरम्भ किया। धीरे धीरे वह सुब्रत मुखर्जी के नज़दीक पहुँच गई। छात्र परिषद की राजनीति में वह कभी भी राज्यस्तर पर उभर नही सकी। सुब्रत मुखर्जी जब दक्षिण कलकत्ता ज़िला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे वह कई सचिवों में एक सचिव बनी। सुब्रत मुखर्जी इंटक के अध्यक्ष बन गए ममता इंटक के प्रतिनिधि के रूप में विदेश यात्रा पर चली गयी। १९८४ में सुब्रत मुखर्जी ने ममता बनर्जी को जादवपुर लोकसभा केंद्र से कांग्रेस का उम्मीद्वार बनाया। इन्दिरा गांधी की मृत्यु से उपजी सहानुभूति लहर में कांग्रेस के दमदम से आशुतोष लाहा व जादवपुर  से ममता बनर्जी की सीपीएम के गढ़ दमदम व जादवपुर में विजय ने सभी लोगों को आश्चर्य में डाल दिया।
    ममता बनर्जी पर चर्चा होने लगी क्योंकि सीपीएम के इस गढ़ में सोमनाथ चटर्जी हार गये थे। पर १९८९ में सीपीएम ने जादवपुर व दमदम से कांग्रेस को पराजित कर दिया व ममता बनर्जी व आशुतोष लाहा दोनो पराजित हो गए। १९९१ में ममता बनर्जी ने जादवपुर को छोड़ कर दक्षिण कलकत्ता से चुनाव लड़ा व राजीव गाँधी की हत्या से उपजी सहानुभूति लहर में ममता बनर्जी दक्षिण कलकत्ता से लोकसभा के लिये निर्वाचित हुवी। नरसिम्हा राव ने ममता को पश्चिम बंगाल युवक कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया व १९९६ पश्चिम बंगाल विधानसभा के निर्वाचन में युवा कांग्रेस व कांग्रेस में १४७-१४७ सीट बांट दीं। नरसिम्हा राव के इस निर्णय ने ममता की जड़ो को पश्चिम बंगाल के प्रत्येक ज़िले में पहुँचा दिया। अब ममता बनर्जी ने कांग्रेस की गिरती साख से स्वयम को मुक्त करने व वाजपेयी की प्रसिद्धि  व भाजपा के पश्चिम बंगाल में १० प्रतिशत वोटो का लाभ लेने  लिये कांग्रेस का त्याग कर टीएमसी दल का गठन किया। इस समय ममता के सामने एक ही लक्ष था – कांग्रेस से बड़ा बनना। ममता इसमें सफल भी रही .उसकी पार्टी को ९ सांसद मिले और कांग्रेस को ५। अब विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ बिसवासघात कर कांग्रेस के साथ समझौता किया व २४६ सीट टीएमसी के लिए लिया कांग्रेस सिर्फ़ ४८ सीट पर लड़ी। ममता पावर में नही आ सकी। ममता के २४६ में मात्र ६० विधायक जीत पाये। कांग्रेस ने ममता की तुलना में अच्छी सफलता प्राप्त की। ४८ सीट लड़ने के बावजूद ३०विधायक विजयी रहे। अब कांग्रेस के साथ विश्वासघात कर  वाजपेयी के मन्त्री मण्डल में वापस उनकी कमजोरी के चलते आ गयी। २००४ के लोकसभा चुनाव में ममता की टीएमसी धराशायी हो गई, उसके सभी सांसद हार गये। एक मात्र वह ही जीत पाई । अब ममता ने भाजपा के साथ विश्वासघात करके अकेले बिधानसभा का चुनाव लड़ा ताकि भविष्य में कांग्रेस के साथ समझौता हो सके। ममता के ३०बिधायक जीते २००६ की तरह ६० विधायक नही जीत पाये जो पिछली बिधानसभा में टीएमसी के सदस्य थे। कांग्रेस के ३० के बजाय २४ सदस्य विजयी रहे। टीएमसी को राज्य राजनीति में नंदीग्राम के नायक सुभेंदु अधिकारी ने नंदीग्राम आंदोलन सफलता पूर्वक करके प्रथम पंक्ति  में खड़ा कर दिया । २००९ लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ समझौता हुआ ममता बनर्जी केन्द्र में मन्त्री बन गई।  २०११ में कांग्रेस के साथ ४८ सीट छोड़ कर २४६ सीट पर लड़ी तथा ३० सीट से १७५ सीट पर पहुँच गई। कांग्रेस के साथ सरकार बनाई। फिर जिस कांग्रेस का हाथ पकड़ कर ३० से १७५ सीट पर  पहुँच कर मुख्यमंत्री बन गई उसी कांग्रेस के साथ विश्वासघात कर कांग्रेस को समाप्त करने लगी। उसमें सफल भी रही । आज पश्चिम बंगाल विधानसभा में कांग्रेस का एक भी विधायक नही है। भाजपा व कांग्रेस के साथ बिसवासघात करने का इतिहास है ममता बनर्जी का। नंदीग्राम के नायक सुभेंदु अधिकारी के साथ बिसवासघात ममता बनर्जी ने किया।
नंदीग्राम की जनता ने ममता बनर्जी को पराजित कर व सुभेंदु अधिकारी को विजयी बना कर स्पष्ट आदेश दे दिया ममता बनर्जी ने सुभेंदु अधिकारी के साथ  विश्वासघात किया।

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