ज्ञान कर्म और उपासना, व्यक्ति इन तीनों से कभी भी खाली नहीं रहता। इन तीनों को शुद्ध बनाएं। तभी आपका इस जीवन का भविष्य तथा अगले जन्मों का भविष्य सुखदायक होगा।”
“कर्मों का फल” बहुत जटिल विषय है। बड़े-बड़े विद्वान इस विषय को ठीक से समझ नहीं पाते। “ऋषियों ने वेदों का गहराई से अध्ययन किया, चिंतन मनन किया, और कर्मफल के विषय में कुछ बातें सबके सामने प्रस्तुत की।”
उनके अनुसार यह सार है, कि “जो भी व्यक्ति, जो भी कर्म करता है, उसको उसका फल अवश्य ही भोगना पड़ता है। फल भोगने में कोई भी छुटकारा नहीं है। जैसे बिजली की तार छूने से करंट लगता है। इसमें एक बार भी माफी नहीं होती। ऐसे ही कर्म फल में, ईश्वर के कानून में, कहीं भी कोई भी माफी नहीं होती।” “थोड़े कर्म का थोड़ा फल। अधिक कर्म का अधिक फल। अच्छे कर्म का अच्छा फल। बुरे कर्म का बुरा फल, मिलता अवश्य है। अपने सही समय पर मिलता है।” “किस कर्म का फल कब कहां क्या और कैसे देना, इसका निर्धारण ईश्वर करता है।” क्योंकि वही इस विषय को ठीक प्रकार से जानता है, और कर्म फल देने में समर्थ भी है।
जैसा कि ऊपर कहा है, उसके अनुसार ईश्वर की कर्म फल व्यवस्था को समझें। अपने ज्ञान कर्म उपासना को ठीक करें। “यदि आपका ज्ञान ठीक है, तो आपका कर्म भी ठीक होगा। और उपासना भी ठीक होगी।” यदि ज्ञान में गड़बड़ है, तो कर्म और उपासना में भी गड़बड़ रहेगी। “आपका ज्ञान कर्म उपासना ठीक है या नहीं, इसकी कसौटी ईश्वर का संविधान वेद है। इसलिए वेदों को पढ़ना आवश्यक है।” वहीं से पता चलेगा, कि आप का ज्ञान कर्म उपासना ठीक चल रहा है, या नहीं। क्योंकि इसी पर आपका भविष्य टिका है।
संसार में व्यक्ति जन्म लेता है, वह जीवन भर कर्म करता है, फिर उसकी मृत्यु होती है। उसके बाद फिर जन्म होता है। इस प्रकार से जन्म मरण चक्र चलता रहता है। जीवन भर के कर्मों का फल, कुछ इस जन्म में और बाकी अगले जन्मों में भोगना पड़ता है। “इसलिए मृत्यु को अवश्य याद रखें, कि आपके कर्मों का हिसाब किताब मृत्यु के बाद विशेष रूप से होगा। कुछ-कुछ इस जन्म में भी होगा, और बाकी कर्मों का हिसाब अगले जन्म में होगा। अतः सोच समझकर कर्म करें, ताकि आपका भविष्य अच्छा बने।”
लोग मृत्यु से इतना डरते हैं, कि इस विषय में विचार ही नहीं करते, कि “एक न एक दिन तो हमें मरना ही पड़ेगा।” “जो घटना 100% निश्चित है, कि एक दिन वह घटना अवश्य होगी ही, उससे बचने का कोई उपाय नहीं है। फिर भी लोग उसकी पहले से तैयारी नहीं करते।” यही आश्चर्य की बात है। यदि आप मृत्यु के विषय में चिंतन करें, कि “मेरी मृत्यु एक न एक दिन अवश्य ही होगी, मुझे सारे जीवन के अच्छे बुरे कर्मों का हिसाब ईश्वर को देना होगा,” तो आप ‘पाप करना’ कम करते जाएंगे, और धीरे-धीरे आप का जीवन पवित्र हो जाएगा। आप का भविष्य उज्जवल हो जाएगा।”
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