बीती जाये रे उमरिया भजन बिना,
अरे…..भजन बिना, हरि भजन बिना……
बीती जाए रे उमरिया……….
मात पिता से मिला जन्म हमें
करने लगे खिलारी,
परिजन सब खुश होते थे,
मारै थे किलकारी,
लुटी बचपन की वो बगिया…………….1
आगे बढ़े तो मिल गया यौवन छा गयी पूरी मस्ती,
अपनी मस्ती के आगे नही समझी कोई हस्ती,
भूले जीवन की डगरिया………………..2
धीरे-धीरे आया बुढ़ापा रोग ने जकड़ी काया,
सारी जिंदगी रहा जोड़ता, काम न आयी माया,
लगे सूनी सारी दुनिया ………………….3
धर्म कर्म में ध्यान लगा लो जीवन है ये थोड़ा,
‘राकेश’ भाग रहा ये जीवन जैसे हो कोई घोड़ा,
मझधार फंसी ये नैया…………………4