कविता – 24
मेरा देश है सबसे महान
इसमें तनिक भी भूल नहीं है।
सूरज बिखराता प्रकाश,
चंद्रमा करता हास विलास
गाता गीत सकल संसार
इसमें संशय शूल नहीं है ।। …..
हिमालय जिसका चौकीदार,
बनकर खड़ा है पहरेदार,
वंदन करता हूँ बारंबार,
जग में इसका मूल्य नहीं है …..
करते ऋषि लोग उपचार,
करते वेदों का उच्चार,
शक्ति का होता संचार,
बुद्धि प्रतिकूल नहीं है ……
वेदों से मिलता प्रकाश,
उपनिषद हैं जिसके पास,
मिलता ज्ञान सदा ही खास,
इसमें कोई भूल नहीं है …..
रामायण की मर्यादा,
गीता को जो कोई गाता,
हर क्षण वह मुस्काता,
इसमें कुछ भी झूठ नहीं है..
जग के जितने भर भी देश,
सबसे ऊंचा भारत देश,
गाता गीत यही ‘राकेश’
जिसके मति अनुकूल रही है ….
यह कविता मेरी अपनी पुस्तक ‘मेरी इक्यावन कविताएं’- से ली गई है जो कि अभी हाल ही में साहित्यागार जयपुर से प्रकाशित हुई है। इसका मूल्य ₹250 है)
डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत
मुख्य संपादक, उगता भारत
लेखक सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता है