महर्षि दयानंद जयंती फागुन कृष्ण पक्ष दशमी (26 फरवरी) के अवसर पर 101 कुंडीय महायज्ञ का होगा अनुष्ठान

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दादरी। ( संजय सिंह ) आर्य प्रतिनिधि  सभा गौतम बुध नगर की विशेष बैठक *महात्मा हंसराज आर्य विद्यालय बंबावड़ दादरी* में निर्धारित तिथि व समय पर आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता चरण सिंह आर्य आकिलपुर ने की । बैठक में विभिन्न गांवों से आए हुए आर्यजनों ने अपने अपने सुझाव विचार इस विषय पर प्रस्तुत किए कि हमें महर्षि दयानंद की जयंती अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार या वैदिक पंचांग तिथि के अनुसार मनानी  चाहिए। दोनों ही बिंदुओं पर विचार किया गया। आर्य प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष महेंद्र आर्य का आग्रह था कि हमें 12 फरवरी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार महर्षि दयानंद  की जयंती मनानी चाहिए, अंग्रेजी कैलेंडर वर्तमान में अधिक प्रचलित है। आर्य  चरण सिंह  ने यह विचार प्रस्तुत किया कि हमें भारतीय संस्कृति भारतीय तिथि पक्ष वार पद्धति को बढ़ावा देना चाहिए।  हमें अंग्रेजी के स्थान पर हिंदी कैलेंडर पंचांग पद्धति के अनुसार महर्षि दयानंद की जयंती मनानी चाहिए। ऋषि की जयंती फागुन मास की कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को होती है तो हमें इसके  अनुसार  26 फरवरी 2022 को ऋषि की जयंती मनानी चाहिए। चंद्रशेखर आर्य, रामेश्वर सरपंच ने इसी विचार का अनुमोदन किया।आर्य सागर खारी ने कहा कि भले ही किसी भी तिथि पद्धति के अनुसार जन्म दिवस मनाया जाना चाहिए ऋषि का लेकिन एकमत से सफल सार्थक कार्यक्रम होना चाहिए। आर्य समाज की विचारधारा घर-घर तक पहुंचने चाहिए।

      तत्पश्चात  सामूहिक सहमति के अनुसार यह निश्चय किया गया कि 26 फरवरी 2022 को महात्मा हंसराज  आदर्श विद्यालय बंबावड़  में महर्षि दयानंद जयंती के अवसर पर 101 कुंडीय महायज्ञ का अनुष्ठान किया जाएगा। यज्ञ के साथ-साथ ऋषि लंगर भोज की व्यवस्था की जाएगी। कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए दायित्व निर्धारित करने के लिए एक और मीटिंग जल्दी ही आर्य समाज सूरजपुर में इस विषय पर आयोजित की जाएगी। इस अनुष्ठान में डेढ़ कुंटल घी, 3 कुंटल सामग्री, 4 क्विंटल संमिधा की आवश्यकता का भी आकलन किया गया। भोजन व्यवस्था, जलपान, टेंट साउंड के लिए भी बेहतर व्यवस्था की जाए इस विषय पर मूलचंद आर्य ने सुझाव दिया। छायसा से आए हुए स्वामी प्राण देव  राकेश आर्य ने भी अपने सुझाव दिए। तत्पश्चात शांति पाठ के साथ सभा का विधिवत समापन किया गया।
इस अवसर पर महेंद्र आर्य ,चंद्रशेखर आर्य , आर्य सागर खारी  देव मुनि, रामेश्वर सरपंच , दिवाकर आर्य ,बिजेंदर आर्य, लीलू आर्य , चरण सिंह आर्य , सतवीर आर्य , जतन सिंह सूबेदार, विक्रमदेव शास्त्री, जीता आर्य, बिजेंदर आर्य, इलम सिंह आर्य, पंडित धर्मवीर आर्य , रामजस आर्य, डॉ अनुज नागर, मनीष नागर  सहित दर्जनों सज्जन  उपस्थित रहे।

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