मां दुर्गा के अपमान पर जेएनयू प्रशासन मौन
जेएनयू बन रहा है विषधारियों का अड्डा, मां दुर्गा के अपमान पर मौन अक्षम्य
नई दिल्ली, अक्टूबर 14, 2014। किसी समय विश्व भर में ख्याति प्राप्त जवाहर लाल नेहरू विश्व विद्यालय(जेएनयू) अब विषधारियों का अड्डा बनता जा रहा है। विश्व हिन्दू परिषद दिल्ली ने इस पर गहरी चिन्ता व्यक्त करते हुए विश्व विद्यालय प्रशासन से इस सम्बन्ध में अविलम्ब कार्यवाही करने हेतु कहा है। विहिप दिल्ली के महा मंत्री श्री राम कृष्ण श्रीवास्तव ने इस सम्बन्ध में जेएनयू प्रशासन से बात भी की है। उनका कहना है कि गत कुछ वर्षों में कभी मां दुर्गा का सरे आम अपमान होता है तो कभी असुरों का महिमा मण्डन, कभी गौ-मांस की पार्टी होती है तो कभी सूअर मांस की, कभी कश्मीरी अलगाव वादियों को सम्मानित किया जाता है तो कभी नक्सलवादियों को, कभी तिरंगे का अपमान किया जाता है तो कभी राष्ट्रीय चिन्ह अशोक को जूतों तले रोंदा जाता है।
विहिप दिल्ली के झण्डेवालान कार्यालय में आज हुई एक महत्वपूर्ण बैठक की विस्तृत जानकारी देते हुए विहिप दिल्ली के प्रवक्ता श्री विनोद बंसल ने बताया कि देश के इस प्रतिष्ठित विश्व विद्यालय के संस्कृति विरोधी चरित्र से चिन्तित विहिप ने एक प्रस्ताव पारित किया है। जिस में कहा गया है कि गत कुछ दिनों से विश्व विद्यालय के चंद विद्यार्थी व गिने चुने शिक्षक विषाक्त बृक्ष बनकर विषधारी फ़ल बांट रहे हैं। ऐसा देखने में आ रहा है कि पुलिस व राष्ट्रवादी संगठनों के बार-बार चेताए जाने के बावजूद विश्व विद्यालय प्रशासन दुश्चरित्र लोगों पर अंकुश लगाने की जगह उन्हें समर्थन व परोक्ष प्रोत्साहन दे रहा है। शिक्षा के मंदिर में कभी मां दुर्गा का सरे आम अपमान, कभी असुरों का महिमा मण्डन, कभी गौ-मांस की पार्टी, कभी कश्मीरी अलगाव वादियों का सम्मान, कभी नक्सलवादियों को प्रोत्साहन, कभी तिरंगे का अपमान तो कभी राष्ट्रीय चिह्न अशोक का। उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर धार्मिक घृणा व उन्मादी वातावरण बनाने का दुश्चक्र रचने वाले तथा-कथित विद्यार्थियों व प्राध्यापकों को यह भी समझना चाहिए कि इस अधिकार की भी एक सीमा है जिसका बार बार अतिक्रमण किया जा रहा है। जब शिक्षा के मंदिर में ही इस प्रकार के अक्षम्य अपराध होंगे तो आखिर हमारी युवा पीड़ी क्या संस्कार ले कर निकलेगी ।
विहिप दिल्ली ने इस प्रस्ताव के माध्यम से विश्व विद्यालय प्रशासन से मांग की है कि वातावरण को विषाक्त बनाने वाले विष-धारियों को विश्व विद्यालय से अविलम्ब बाहर करें अन्यथा हमें, केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से देश व समाज हित में इसे बन्द करने को कहना पडेगा।