अंधेरा सदा नहीं रह पाता….

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कविता – 20

रखना ईश्वर पर विश्वास,
अंधेरा सदा नहीं रह पाता

जीवन है आशा की डोर ,
आनंद है इसका छोर,
हो जा उसी में भावविभोर,
मनवा कभी नहीं कह पाता …..

जगत में बांटो खुशियां खूब,
तुमसे पाए न कोई ऊब,
जीवन का हो ये दस्तूर,
हर कोई निभा नहीं पाता ……..

आते बड़े बड़े तूफान ,
उनका भी होता अवसान,
जीवन का होगा उत्थान,
मनवा समझ खेल नहीं पाता…..

भर लो जीवन में आनंद,
पुकारो दयालु करुणाकंद,
मिलता उसी से परमानंद ,
जीवन व्यर्थ नहीं रह पाता….

जो नर होता है निष्काम,
योगी कहते आप्तकाम ,
वही नर होता आत्मकाम,
कोई रहस्य नहीं बच पाता……

मनवा हो मत उदास निराश,
मनोबल ऊंचा रख विश्वास,
साधना पूरी करती आस,
‘राकेश’ गीत नहीं गाता ……

(यह कविता मेरी अपनी पुस्तक ‘मेरी इक्यावन कविताएं’-  से ली गई है जो कि अभी हाल ही में साहित्यागार जयपुर से प्रकाशित हुई है। इसका मूल्य ₹250 है)

डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत

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