धर्म संसद मामले में कार्यवाही पर हिंदू सेना पहुँची सुप्रीम कोर्ट
हिंदुओं को उकसाने के लिए ओवैसी-तौकीर-अमानतुल्लाह पर क्यों नहीं की कार्यवाही ?
सियासत से लेकर कोर्ट तक सेकुलरिज्म के नाम पर हिन्दुओं को ही क्यों ठगा जाता है? क्या सेकुलरिज्म का जिम्मा केवल हिन्दुओं ने लिया हुआ है? इस गंभीर विषय पर हिन्दू हितैषी कहलवाने वाली भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को खुलकर सामने आना होगा। CAA के विरोध में हिन्दुत्व के विरुद्ध कितने लज्जित शब्दों का इस्तेमाल हुआ, किस सेकुलरिज्म के ठेकेदार ने संज्ञान लिया? यदि वही लज्जित शब्दों का इस्लाम के विरुद्ध किया होता तब सबके सब मिलकर उसे फांसी की मांग कर रहे होते, कोई सिर कलम करने की मांग कर रहा होता। क्या इसका नाम सेकुलरिज्म है?
हिंदू सेना ने धर्म संसद मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुँच कर इसमें हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। इसके साथ ही सेना ने उस जनहित याचिका का विरोध भी किया है, जिसमें दिल्ली और हरिद्वार के धर्म संसद में कथित हेट स्पीच को लेकर आपराधिक कार्रवाई करने की माँग की गई है। सेना ने इस मामले में खुद को पक्षकार बनाने की माँग की है। वहीं, हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने भी ऐसी ही एक हस्तक्षेप याचिका सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर की है।
पत्रकार कुर्बान अली और पटना हाईकोर्ट की पूर्व जज एवं वरिष्ठ वकील अंजना प्रकाश द्वारा दायर दाचिका का हिंदू सेना के प्रमुख विष्णु गुप्त ने यह कहते हुए विरोध किया कि इसके जरिए हिंदुओं को उकसाने वाली घटनाओं पर पर्दा डालने की कोशिश की जा रही है। गुप्त ने इस मामले में असदुद्दीन ओवैसी और तौकीर रजा पर भी एफआईआर की माँग की।
वकील अंजना प्रकाश द्वारा दायर दाचिका का हिंदू सेना के प्रमुख विष्णु गुप्त ने यह कहते हुए विरोध किया कि इसके जरिए हिंदुओं को उकसाने वाली घटनाओं पर पर्दा डालने की कोशिश की जा रही है। गुप्त ने इस मामले में असदुद्दीन ओवैसी और तौकीर रजा पर भी एफआईआर की माँग की।
गुप्त द्वारा दायर इंटरवेंशन एप्लीकेशन में माँग की गई है कि राज्य सरकारों को असदुद्दीन ओवैसी, तौकीर रजा, साजिद रशिदी, अमानतुल्लाह खान और वारिस पठान जैसे नेताओं पर भी एफआईआर दर्ज की करने का निर्देश दिया जाए।
दरअसल, कुर्बान अली और अंजना प्रकाश की याचिका पर सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हीमा कोहली की पीठ ने 12 जनवरी को दिल्ली पुलिस और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया था।
याचिका में 17 दिसंबर को हरिद्वार में हुई धर्म संसद और 19 दिसंबर को दिल्ली में हुए एक और कार्यक्रम की जानकारी दी गई थी। साथ ही यह भी कहा गया था कि दोनों कार्यक्रमों में धर्मगुुरुओं ने खुलकर मुस्लिम समुदाय के संहार की बातें कहीं, लेकिन पुलिस ने अभी तक किसी को गिरफ्तारी नहीं किया। कोर्ट के नोटिस के बाद उत्तराखंड पुलिस ने सक्रियता दिखाते हुए जितेंद्र त्यागी उर्फ वसीम रिज़वी, यति नरसिंहानंद समेत कुछ लोगों को गिरफ्तार किया है।
हिंदू सेना का कहना है कि बिना उचित जाँच के दबाव में कार्रवाई की जा रही है। संगठन ने कहा कि हिंदू शांति का समर्थक समुदाय है, लेकिन उसे लगातार उकसाया जा रहा है और उसकी संस्कृति एवं आस्था पर चोट पहुँचाई है रही है। इससे भड़क कर दी गई कुछ प्रतिक्रियाओं को एक योजना के तहत उछाला जा रहा है। याचिका में सेना ने कहा कि बिना जाँच किए हर बयान को हेट स्पीच नहीं कहा जाना चाहिए।
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