पुस्तक समीक्षा – ‘हम सब एक हैं’
‘हम सब एक हैं’ बाल एकांकी संग्रह – की लेखिका श्रीमती कुसुम अग्रवाल हैं। लेखिका 1984 से बाल साहित्य के क्षेत्र में लेखन कार्य कर रही हैं। इस पुस्तक में कुल 15 एकांकी दिए गए हैं । जो कि बहुत ही शिक्षाप्रद भी हैं। बहुत ही सहज व सरल भाषा में प्रस्तुत किए गए ये एकांकी बालमन पर बहुत ही अच्छा प्रभाव डालने में सफल रहे हैं।
बच्चों के मन पर जहां कहानी एक अच्छा प्रभाव डालती है, वहीं एकांकी भी उन्हें बहुत अधिक प्रभावित करते हैं। स्कूल / विद्यालयों में बच्चे जब एकांकी में किसी पात्र की भूमिका निभाते हैं तो उनके लिए वह एकांकी सजीव हो उठता है । ऐसे एकांकी में जब वह अपनी कोई भी भूमिका निभाते हैं तो वह जीवन भर उन्हें याद रहती है। इसी से पता चल जाता है कि एकांकियों का बालकों के लिए कितना महत्व है ? लेखिका ने इस बात का ध्यान रखा है कि यदि बच्चों को विद्यालयों में एकांकी / नाटक करने की तैयारी करनी पड़े तो उसके लिए उन्हें विशेष तैयारी ना करनी पड़े , बल्कि वे जैसी भी स्थिति में हैं उसी स्थिति में एकांकी / नाटक का मंचन कर सकें।
लेखिका ने अपने पहले एकांकी ‘हमारे संस्कार – वैज्ञानिक है आधार’ के पात्र बबलू ( 8-10 साल का लड़का) ,बबलू की मां, महर्षि वेदव्यास, योग गुरु पतंजलि ,आयुर्वेद के जन्मदाता चरक लिए हैं। इन पात्रों और इस एकांकी के शीर्षक से ही स्पष्ट हो जाता है कि लेखिका भारतीय संस्कृति और संस्कारों के प्रति बहुत सावधान हैं और वह मानती हैं कि भारतीय संस्कार और संस्कृति ही भौतिकवादी संसार के लोगों की रक्षा कर सकती है। यदि भारतीय संस्कृति के ये वैज्ञानिक संस्कार बच्चों के मन पर प्रारंभ से ही डाल दिए जाएं तो निश्चय ही बड़ा होकर वह बालक एक सुसभ्य और सुसंस्कृत नागरिक बन सकता है। जिसकी आज विश्व समाज को आवश्यकता है।
अपने एक एकांकी ‘स्वच्छ रहेंगे स्वस्थ रहेंगे’ में लेखिका यह संदेश देती हैं कि :-
घर आंगन के साथ-साथ हम गलियों को चमकाएंगे ।
सारा कूड़ा करकट इनका सही जगह पहुंचाएंगे ।।
वास्तव में यह संदेश आज के समय में बहुत आवश्यक हो गया है। आज जब केंद्र की मोदी सरकार ‘स्वच्छता अभियान’ चलाए हुए है तब यह संदेश और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। इसी प्रकार अपने दूसरे एकांकी ‘छोड़ो कल की बातें’ का अंत वह एकांकी की मुख्य पात्र ‘दादी’ के मुंह से यह कहलवाकर करती हैं कि देखो जी ! मुझे तो अकल आ गई है मैंने तो अब से अंधविश्वासों को मानना छोड़ दिया है। हो सके तो आप सब भी छोड़ देना। फायदे में ही रहोगे।
‘हम सब एक हैं’- नामक एकांकी में लेखिका के पात्र हैं – एक गांधीजी समर्थक नेता, एक भगत सिंह समर्थक नेता, एक सुभाष चंद्र बोस समर्थक नेता, एक समाज सुधारक नेता, एक अध्यक्ष और एक जज। इन पात्रों के चयन से पता चलता है कि यहां पर विभिन्न विचारधाराओं को एक साथ बैठाने का प्रयास किया गया है और यह संदेश देने का प्रयास किया गया है कि हमारी जितनी भी समस्याएं या मतभेद या विचारधारागत विभिन्नताएं हैं वे चाहे कितनी ही हों पर हम सब एक हैं और देश हमारे लिए सबसे पहले है। इस प्रकार यह एकांकी भी बहुत ही शिक्षाप्रद बन गया है।
‘नशा नाश है जीवन का’ विदुषी लेखिका ने अपनी इस पुस्तक में एक एकांकी इस शीर्षक से भी रखा है। जिसका अंत वह इस प्रकार करती हैं :-
मद्यपान, हैरोइन, सिगरेट, गांजा, चरस ,अफीम,
मादक द्रव्य सभी छोड़ेंगे लेंगे ना अब नाम कभी।
नशा नाश है जीवन का हम इससे मुक्ति पाएंगे ।
नशा मुक्त जीवन शैली ही हम तो अब अपनाएंगे।।
यह पुस्तक कुल 136 पेजों में पूर्ण होती है। पुस्तक का मूल्य ₹250 है। पुस्तक के प्रकाशक साहित्यागार , धामाणी मार्केट की गली, चौड़ा रास्ता जयपुर 302003, फोन 0141 2310785, 4022382 है। पुस्तक बहुत ही उपयोगी और संग्रहणीय है।
डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत