10 मार्च को टिकैत के हाथों किसानों के मुद्दों का अंतिम संस्कार हो जाएगा

-10 मार्च को जब चुनाव नतीजे आएंगे तो योगी आदित्यनाथ भारी बहुमत से मुख्यमंत्री बनेंगे और इस तरह पिछले एक साल से जारी किसान आंदोलन का अंतिम संस्कार हो जाएगा… जिसका पूरा श्रेय राकेश टिकैत को हासिल होगा जिन्होंने पूरे एक साल तक दिल्ली में सड़क जाम करके किसानी को मुद्दा बनाने की पुरजोर कोशिश की

-सच ये है कि इस देश में ब्राह्मण वोटबैंक है… दलित वोटबैंक है… जाट वोटबैंक है… जाटव वोटबैंक है… नाना प्रकार के वोटबैंक है लेकिन किसान वोट बैंक जैसी कोई चिड़िया इस देश में आज भी नहीं है… जब कोई भी किसान वोट डालने जाता है तो वो किसान नहीं बल्कि… जाट गूर्जर दलित ब्राह्मण राजपूत लोध जाटव या हिंदू मुसमलान बनकर वोट डालने जाता है ना कि किसान बनकर

-जब राहुल राजनीति में आए तो किसी ने उनको सलाह दे दी कि यूपी में किसानों के लिए पद यात्रा निकालिए आप बहुत बड़े नेता बन जाएंगे.. वो किसानों की बात करते रहे कई किलोमीटर की पद यात्राएं भी निकालीं… सिर पर मिट्टी से भरा हुआ तसला भी उठाया लेकिन राहुल गांधी आज तक नेता नहीं बन पाए

-नरेंद्र मोदी किसान सम्मान निधि देते हैं… किसानों के लिए बहुत सारी लाभकारी योजनाएं चलाते हैं लेकिन उन्होंने कभी खुद को किसान नेता के तौर पर प्रोजेक्ट नहीं किया बल्कि खुद को ओबीसी लीडर और हिंदुत्ववादी लीडर के तौर पर ही पेश किया… और इसीलिए वो हमेशा चुनाव जीतते रहे हैं… मोदी काफी समझदार हैं और वो ये जानते हैं कि किसान कोई वोट बैंक होता ही नहीं है

-यूपी में किसानों के सबसे बड़े नेता हुए आदरणीय चौधरी चरण सिंह…  चौधरी चरण सिंह सिर्फ जाटों के ही नहीं… वो पिछड़ों के भी नेता थे… और ना सिर्फ पश्चिमी यूपी बल्कि पूर्वांचल और अवध तक चौधरी चरण सिंह का प्रभाव था… चौधरी चरण सिंह ने सच्चे अर्थों में किसानों के लिए बहुत ज्यादा काम किया था…लैंड रिफॉर्म चौधरी चरण सिंह ने ही करवाया था… जमींदारी उन्मूलन में चौधरी चरण सिंह का बहुत बड़ा योगदान था इस हिसाब से तो उनको यूपी का मुख्यमंत्री कई दशकों तक रहना चाहिए था… लेकिन ऐसा नहीं हुआ जब उत्तराखंड अलग नहीं हुआ था तब यूपी में कुल 425 सीटें थीं और साल 1974 में जब उनकी पार्टी भारतीय क्रांति दल ने चुनाव लड़ा तो चरण सिंह को सिर्फ 106 सीटें मिली थीं… ये चौधरी चरण सिंह के राजनीतिक करियर की अधिकतम सफलता

-चौधरी चरण सिंह सच्चे किसान थे… वो कभी किसी पत्रकार को इंटरव्यू नहीं देते थे क्योंकि वो समझते थे कि पत्रकारों को खेती की समझ नहीं होती है.. वो पहले पत्रकार का ही इंटरव्यू लेते थे और पूछते थे कि रबी और खरीफ की फसल के बारे में पता है अगर पत्रकार ने सही जवाब दिया तभी इंटरव्यू देते थे वरना दफा कर देते थे… लेकिन ऐसे महान किसानों के हितैषी भी कभी अपने बल बूते पर यूपी के मुख्यमंत्री नहीं बन पाए क्योंकि किसान इस देश में कभी वोट बैंक रहा ही नहीं

-अब यूपी में जब 10 मार्च को चुनाव के नतीजे आएंगे तो राकेश टिकैत एंड कंपनी को मुंह छुपाए घूमना पड़ेगा क्योंकि 10 मार्च को योगी जी की सरकार बनेगी और इन सब कथित किसान नेताओं को जवाब देना पड़ेगा जो पूरे देश में किसानों के नाम पर झूठा प्रोपागेंडा चलाते घूमते रहे

सोशल मीडिया से साभार

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