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मुद्दा

धर्मो रक्षति रक्षितः ….

 सुरेश तिवारी 

आइये आज सभी प्रभावित लोग ईश्वर से प्रार्थना करें कि आज का बहुसंख्यक हिन्दू कल का अल्पसंख्यक हिन्दू न हो जाय क्योंकि तब गेम के रूल बदल जायेंगे जैसा की कश्मीर में हुआ, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और संसार के अन्य मुस्लिम बहुल देशों में हो चुका है तथा केरल और बंगाल में जारी है… यानी कि हिंदुओं पर भयानक अत्याचार उनकी महिलाओं के साथ बदसलूकी, बच्चों और पुरुषों का कत्लेआम, ज़बरन धर्म् परिवर्तन और ना जाने क्या-क्या यहाँ तक की देश तक हिन्दूविहीन। फिर कहां की अभिव्यक्ति की आजादी या अपने धार्मिक काम, पूजा पाठ आदि करने कि स्वतंत्रता! भारत के बहुत सारे गावों, मुहल्लों मे सुनते है कि आज भी शंख बज़ाने या ज़ोर से आरती गाने तक पर पाबंदी हो गयी है !
एक बार किसी महाराज ने हिन्दुओं द्वारा चार बच्चे पैदा करने वाला बयान क्या दे दिया तथाकथित सेक्युलरों ने ऐसा हल्ला मचाना शुरू कर दिया कि मानो एक जाति विशेष का सफाया ही होने वाला हो गया हो। बात मोदी की बीजेपी तक पहुची और उन महाराज की लाइन हाज़िरी का फ़र्मान जारी हो गया!
भारत एक प्रजातांत्रिक़ देश है ! कहने को तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है पर ऐसा लगता है कि यह स्वतंत्रता सिर्फ इस्लामिक या ईसाई अल्पसंख्यक लोगों के लिये ही है ! जहां भी आज के किसी बहुसख्यक यानी हिन्दुओं ने अपने लिये कोई छोटी सी भी बात कह दी तो लगता है कि कोई बहुत बड़ा अपराध कर दिया हो और तुरंत तथाकथित सेक्युलर उसे कटघरे में खड़ा कर (उनका बस चले तो) उसे मौत की सज़ा दे डालें !
चार बच्चों की बात ही ले ! पहले तो हिंदू इतने समझ्दार हैं कि कोई ऐसा करेगा नही परंतु कुछ लोग ऐसा कर भी देते हैं तो दुनिया इधर से उधर नहीं हो जायेगी जबकी हिंदुओं की संख्या साल दर साल घटती ही जा रही है…. और दूसरी तरफ जिनको हम तथाकथित माइनारिटी कहते हैं पर जो वास्तव में दूसरे बहुसंख्यक है, यानी की हिंदुओं के बाद सर्वाधिक आबादी… साल दर साल उनकी आबादी दिन दूनी रात चौगनी वाली रफ्तार से बढ्ती जाती है… उसपर तुर्रा यह की एक इंसान की चार बीबियां और हर बीबी के 3-4 बच्चे.. कोई प्राइमरी स्कूल वाला बच्चा भी हिसाब लगा कर बता सकता है कि माइनारिटी कब मेजारिटी और मेजारिटी लोग कब माइनरिटी हो जायेगे… हिंदु तो वैसे भी फैमिली प्लानिंग की बात करता है पर दूसरे तो फैमिली प्लानिंग को ही गुनाह मानते हैं…
सारे विश्व के हालात देखते हुए तो ऐसा ही लगता है कि भारत में प्रजातंत्र, स्वतंत्रता, धार्मिक आज़ादी, दो कौमों का आपसी भाई चारा तभी तक है जब तक हिंदू बहुसंख्यक हैं। आज जो विशेष दर्ज़ा, आज की माइनारिटी को है, बदली परिस्थितियों वाले माइनारिटी ( यानि हिंदुओं) के लिये सपना हो जायेगा… और भारत के पतन के बाद हिन्दुओं को तो सर छुपाने के लिये भी कोई अपना देश नही बचेगा। इन हालातों में अगर हिंदू अपने सरवाइवल के लिये चार बच्चों की बात करता है तो क्या बेज़ा करता है। आखिर उन महाराजजी ने ऐसा कौन सा गुनाह कर दिया कि हाहाकार मचा दिया गया।
अगर हम सोचते है कि हिन्दुओं को “हम दो हमारे दो” पर टिके रहना चाहिये तो देश में जंनसंख्या नियंत्रण के लिये एक सख्त कानून बनाना ही होगा जो ‘हम दो हमारे दो’, और ‘हम पांच और हमारे बारह’, यानि सब पर सामान्य रूप से लागू हो और जंनसंख्या अनुपात को और खराब ना होने दे !
अगर किसी भाई-बंधु को ये बातें ठीक नही लग रही हों तो क्या वे यह बतायेंगे कि उन लोगों के पास ऐसा कौन सा फार्मूला है जो कि हिंदुओं को आश्वस्त कर सके कि ऊपर लिखी चीज़ें नहीं होंगी और कश्मीर की पुनरावृत्ति बाकी हिंदुस्तान में नही होंगी …..
इस लेख को किसी जाति-धर्म विशेष के प्रति कोई दुर्भावनावश न देखकर हिंदुओं की दुर्द्शा और उनके अंधकारमय भविष्य के परिप्रेक्ष्य में ही देखा जाना चाहिए…

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