अब दोनों प्रान्तों की जनता ने अपना निर्णय दे दिया है । सोनिया कांग्रेस इन दोनों प्रदेशों में तीसरे पायदान पर पहुँच गई है । महाराष्ट्र विधान सभा की कुल २८८ सीटों में से भाजपा को १२२ सीटें मिलीं । सोनिया कांग्रेस को केवल ४२ पर ही संतोष करना पड़ा । उसकी हालत का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है की शरद पवार की पार्टी भी उनके बराबर ४२ सीटों पर पहुँच गई । शिव सेना को ६२ पर ही संतोष करना पड़ा और उनके परिवार से ही निकली राज ठाकरे की पार्टी मनसे को केवल एक सीट ही मिल पाई । यहाँ तक पार्टी को मिली वोटों का सवाल है , उसने २७.८ प्रतिशत मत प्राप्त किये जबकि २००९ में उसे १४.०२ प्रतिशत मत मिले थे । सोनिया कांग्रेस को केवल १७.९ प्रतिशत मिले । शिव सेना भी १९.४ प्रतिशत ले गई । इसी प्रकार हरियाणा विधान सभा की ९० सीटों में से भाजपा को ४७ सीटें मिलीं जबकि पिछली विधान सभा में उसकी केवल ४ सीटें थीं । भजन लाल के परिवार की हरियाणा जनहित कांग्रेस के टिकट पर भजन लाल के बेटे कुलदीप विश्नोई और उनकी पत्नी ही जीत पाई । प्रदेश में दस साल से सत्ता चला रही सोनिया कांग्रेस को केवल १५ सीटें मिलीं और ओम प्रकाश चौटाला की इनेलो भी १९ सीटें ही ले सकी । यह चमत्कार उस हरियाणा में हुआ है जहाँ आज तक भाजपा को हाशिए की पार्टी माना जाता था । हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी ने केवल सीटों के लिहाज़ से ही नम्बर एक की हैसियत हासिल नहीं की बल्कि प्राप्त की गई वोटों के हिसाब से भी वह सभी से ऊपर है । उसे सारे प्रदेश से ३३.२ प्रतिशत मत मिले जबकि सोनिया कांग्रेस का मत प्रतिशत २०.६ पर ही सिमट कर रह गय़ा ।
दरअसल पहले यह माना जाता था कि भारतीय जनता पार्टी का आधार केवल उत्तर भारत व मध्य भारत तक ही सीमित है । उत्तर भारत में भी पंजाब , हरियाणा , जम्मू कश्मीर में वह राजनैतिक दल की बजाय एक दबाव समूह के तौर पर ही स्थापित रही है । जहाँ तक पार्टी के संरचनात्क ढाँचे का प्रश्न है , उसमें शायद अब भी बहुत ज़्यादा परिवर्तन न हुआ हो लेकिन मोदी फ़ैक्टर के कारण देश की जनता के मनोवैज्ञानिक में अवश्य परिवर्तन हो रहा है । इस से आश्चर्यचकित सभी परम्परागत राजनैतिक दल या तो राजनीति के नये मुहावरों को समझ पाने में अक्षम हैं या फिर अपनी ज़िद के कारण उसे समझने से इन्कार कर रहे हैं । शिव सेना और इंडियन नैशनल लोकदल के पराभव का यही कारण हो सकता है । जहाँ तक सोनिया कांग्रेस का प्रश्न है वह उस नये भारत में फ़िट नहीं बैठ रही जिसका मानचित्र नरेन्द्र मोदी ने बहुत ही मेहनत व कल्पना से तैयार किया है । इंग्लैंड से प्रकाशित होने वाले दी गार्जियन ने भारतीय जनता पार्टी की लोकसभा चुनावों में सफलता पर लिखा था कि लगता है कि भारत से अंग्रेज़ी सत्ता अब सही अर्थों में विदा हुई है । विधान सभा चुनावों में सोनिया कांग्रेस के प्रयास उस विदाई को रोकने का असफल उपक्रम ही दिखाई देते हैं । ज़ाहिर है सोनिया कांग्रेस के इस उपक्रम में भारत की जनता उसका साथ क्यों देगी ? इसलिये एक के बाद दूसरे प्रान्त में सोनिया कांग्रेस का झंडा उखड़ता जा रहा है । सोनिया गान्धी के लिये भारतीय लोगों की इस नई मानसिकता को पकड़ पाना संभव नहीं है लेकिन भारत में उनके जो सिपाहसलार हैं वे उसी प्रकार किंकर्तव्यमूढ हैं जिस प्रकार दिल्ली के लाल क़िले से यूनियन जैक उतारते समय , लाँग लिव दी किंग के निरन्तर गीत गाने वाली आई.सी.ऐस की फ़ौज किंकर्तव्यमूढ दिखाई दी रही थी । इधर सोनिया कांग्रेस के लिये नये भारत की इबारत पढ़ना मुश्किल होता जा रहा है और उधर एक के बाद दूसरे राज्य में विधान सभा के चुनाव सिर पर आ रहे हैं । राहुल गान्धी देश भर में घूमते तो हैं । इस बार भी महाराष्ट्र और हरियाणा में घूमते रहे । लेकिन माँ बेटे के लिये दिन प्रतिदिन इस देश के लोगों को समझना अबूझ होता जा रहा है । कांग्रेस के बूढ़े महारथी भी पुराना चश्मा उतार कर इस नई इबारत को समझने का प्रयास करने की बजाय राहुल गान्धी के स्थान पर प्रियंका गान्धी को आगे करके ही भारत को मनाने का प्रयास करने में लगे हैं । महाराष्ट्र और हरियाणा में हार के कारण उनकी प्रियंका गान्धी में आस्था और प्रगाढ होती जा रही है । चुनाव की वैतरणी में जब सोनिया कांग्रेस डूबते वक़्त सहारे के लिये तिनका तलाश रही है , उस समय नरेन्द्र मोदी ने महाराष्ट्र और हरियाणा में यह जो दूसरा गोल किया है उससे दस जनपथ पर सन्णाटा पसर गया है । पिछले दिनों उत्तर प्रदेश और बिहार में हुये कुछ उपचुनावों में भाजपा की पराजय को ताबीज़ बना कर कुछ नीम हकीमों ने सोनिया कांग्रेस समेत विभिन्न दलों के गले में लटका कर उन्हें अभयदान दिया था , लेकिन हरियाणा व महाराष्ट्र के लोगों ने उस ताबीज़ को हवा में उड़ा दिया । बेहतर होगा सोनिया कांग्रेस की बागडोर उनको दी जाये जो भारत को जानते बूझते है और दूसरे दल नये भारत की महत्वकांक्षाओं /आशाओं को नये परिप्रेक्ष्य में आत्मसात करने का प्रयास करें ताकि नरेन्द्र मोदी ने सबका साथ और सबका विकास का जो घोष किया है उसे चरितार्थ किया जा सके । महाराष्ट्र और हरियाणा ने यही संदेश दिया है । लेकिन देखना है उसे कितने समझने का प्रयास करते हैं ?