(कविता)
अविनाश वाचस्पति
नाउम्मीदी में खुशियों की ईद है
जो कल गई है वापिस वो दीवाली है
मन में मिलने की हरियाली है
सबसे प्यारे हैं इंतजार के क्षण
जल्दी भंग नहीं होते, भंगर नहीं होते
इंतजार में होता है सुकून
जब होता है सुकून
तब और कुछ नहीं होता
न होती है चिंता
नहीं होता है तनाव
मिलने की आब मन में
बसी रहती है
जब इंतजार होता है
तब और कुछ नहीं होता जनाब
विचारों का यह एक ऐसा सोता है
जो सदा लगता है सकारात्मकता में
फबता है सकारात्मकता में
कभी नकारात्मक नहीं होता है
सोना यह सोना है
स्वर्ण नहीं है
स्वर्ण तो वह इंतजार है
जितना चाहे मिल जाए
पर भूख इसकी मिटती नहीं है
प्यार इसकी घटती नहीं है
बनती है ऐसी घटना
कि चाहकर भी घटती नहीं है
इंतजार खुशियों की झोली है
जो आने वाली है वह होली है
अभी कल जो गई है वह दीवाली है
इंतजार से ही
कभी पैदा होती है नाउम्मीदी की सब्जियां
हरी हरी फलियां, लाल लाल टमाटर
महंगा प्याज, बैंगनी बैंगन
पर इन सबसे हरियाली है
रंग कोई भी हो
हरियाली भाती है
रंगों की धरोहर है
पर्यावरण का जौहर है
जौहरी कोई नहीं
पर इंतजार है
इंतजार में ही सारा संसार है
संसार का व्यापार है
वैज्ञानिकों का तकनीकी संसार है
सारा सार इसी में है
इंतजार है
पर प्यार इसी में है।