राजनीति का हिन्दूकरण, हिंदुओं का सैनिकीकरण अखिल भारत हिंदू महासभा

akhil bharat hindu mahasabha
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एक परिचय
तुष्टिकरण की नीति छोड़ो देश भक्तों को आगे लाएं।
हिंदू महासभा से नाता जोड़ें, हिन्दुओं को विजयी बनायें।
हिंदू राष्ट्र और हिंदू संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए भारत में वैधानिक रीति से हिंदूराज्य स्थापित कर हिंदू महासभा के ध्येय को साध्य करने के लिए मैं निम्नलिखित उद्देश्यों  को उचित मानता हूं-
1. अखण्ड हिन्दुस्थान की स्थापना करना,
2. देश की संस्कृति तथा परंपरा के आधार पर भारत में विशुद्घ लोकराज्य का निर्माण करना,
3. विभिन्न जातियों तथा उपजातियों को एक अविछिन्न समाज में संगठित करना,
4. ऐसी सामाजिक व्यवस्था का निर्माण करना जिसमें राष्ट्र के सब घटकों के समान अधिकार तथा कत्र्तव्य होंगे,
5. राष्ट्र घटकों के दात्त गुणों के आधार पर विचार, प्रचार और पूजा की राष्ट्रधर्म के अनुकूल स्वतंत्रता का प्रबंध करना,
6. सादा जीवन-उच्च विचार तथा भारतीय नारी के उदात्त प्राचीन आदर्शों को पुनर्जीवित करके उनकी उन्नति कराना। स्त्रियों व बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था करना,
7. हिंदुस्थान को सैनिक राजनैतिक, आर्थिक, भौतिक रूप से शक्तिशाली तथा आत्मनिर्भर बनाना,
8. सब प्रकार की सामाजिक असमानता को दूर कराना,
9. धन के वितरण में प्रचलित अस्वाभाविक समानता को दूर कराना,
10. देश का शीघ्रातिशीघ्र औद्योगिकीकरण कराना,
11. जो लोग हिंदू धर्म को छोड़ गये हैं उनका तथा अन्य लोगों को हिंदू समाज में स्वागत कराना, घर वापिसी की व्यवस्था कराना,
12.गोरक्षा कराना तथा गोवध बंद कराना,
13. हिन्दी को राष्ट्र भाषा तथा देवनागरी को राष्ट्रलिपि बनाना,
14. अंतर्राष्ट्रीय शांति तथा उन्नति के लिए हिंदुस्थान के हितों के अनुकूल विदेशों से मित्रता बढ़ाना,
15 भारत को आर्थिक, सामाजिक, वैज्ञानिक दृष्टि से विश्व के अग्रगण्य देशों में प्रतिस्थापित कराना,
हिन्दू महासभा के ऐतिहासिक कार्य :-
1882 से 1914 :
इस काल में न्यायालय में उर्दू कामकाज की भाषा थी, परंतु हिंदू महासभा ने प्रचण्ड आंदोलन चलाकर हिंदी में कार्य करने की स्वीकृति दिलाई, इसी काल में हिन्दुओं के धर्मांतरण, अत्याचार व अन्य हितों के लिए संघर्ष किया, बंगाल में ‘वंदेमातरम्’ और बंगभंग आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया और उसी काल में बंगाल में हिंदू महासभा की स्थापना हुई।
1914 से 1916 :
इस काल में अंग्रेज गंगा की धारा रोकना चाह रहे थे, परंतु हिंदू महासभा के प्रबल आंदोलन के कारण अंग्रेजों को यह विचार त्यागना पड़ा। 1916 में लखनऊ में कांग्रेस ने एकप्रस्ताव पास किया जिसके फलस्वरूप ऐसी सीटें रखी जानी थीं जिसमें सिर्फ मुस्लिम प्रत्याशी ही चुनाव लड़ सकते थे, परंतु हिंदू महासभा के प्रबल आंदोलन के कारण कांग्रेस व अंग्रेजों को झुकना पड़ा।
1922 से 1928 :
हिंदू महासभा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी श्रद्घानंद एवं हिन्दू महासभा के वरिष्ठ नेता महामना पंडित मदन मोहन मालवीय एवं पंजाब केसरी लाला लाजपतराय के सदप्रयासों से 4 लाख 50 हजार मलकानी मुसलमानों का शुद्घिकरण करके हिन्दू बनाया गया। (घर वापस लाया गया) 1928 में जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें महाराष्ट्र से सिंधु को अलग प्रांत बनाया था, परंतु हिंदू महासभा के उग्र विरोध के कारण ऐसा नही होने दिया गया। हालांकि बाद में अंग्रेज मुस्लिम लीग एवं कांग्रेस के संयुक्त प्रयासों से सिन्ध महाराष्ट्र से अलग हो गया था। सिंध महाराष्ट्र से अलग होना देश के विभाजन का प्रमुख कारण रहा।
1939 से 1941 :
हैदराबाद सत्याग्रह, हैदराबाद निजामपुर में हिन्दुओं को दोयम दर्जे का नागरिक बनाया गया था, हिंदुओं पर कई प्रकार के अत्याचार हो रहे थे, जिसका हिन्दू महासभा ने विरोध किया, और बहुत बड़ा आंदोलन चलाया। तब हिंदू महासभा के हजारों कार्यकर्ताओं ने गिरफ्तारी दी। कई दिनों तक निजाम की जेलों में बंद रहे। इस आंदोलन को कांग्रेस निजाम व अंग्रेजों के विरोध के बावजूद ऐतिहासिक आंदोलन हुआ और हिंदुओं को महत्वपूर्ण विजय प्राप्त हुई। इसी प्रकार 1941 में भागलपुर में सत्याग्रह हुआ, क्योंकि अंग्रेजों द्वारा हिंदू महासभा के अधिवेशन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था , परंतु हिंदू महासभा ने 22 स्थानों से अंग्रेज सरकार के विरूद्घ प्रस्ताव पारित किया, और भागलपुर में भी भूमिगत अधिवेशन किया गया।
1942 से 1947 :
सिंध में सत्यार्थप्रकाश पर प्रतिबंध लगा दिया गया परंतु हिंदू महासभा के प्रबल आंदोलन से सत्यार्थ प्रकाश पर लगाया गया प्रतिबंध वापिस लिया गया। हिंदू महासभा ने 1942 से लेकर 1947 तक राजनीति का हिंदूकरण और हिन्दुओं का सैनिकीकरण का सुप्रसिद्घ अभियान चलाया। इस काल में सेना में हिन्दू सैनिकों की भारी कमी थी, परंतु इस अभियान से सेना में भारी संख्या में हिन्दुओं की बढ़ोत्तरी हुई।
अखण्ड भारत आंदोलन
हिंदू महासभा ने मुस्लिम लीग अंग्रेजों और कांग्रेस से देश विभाजन के खतरनाक मंसूबों से अवगत कराते हुए पूरे देश में विभाजन के विरूद्घ आंदोलन चलाया और वीर सावरकर ने 1942 के कांग्रेस के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ को ‘भारत तोड़ो’ में बदलेगा, यह भविष्यवाणी कर देश व जनता को सचेत किया, जो सत्य साबित हुआ। परंतु दुर्भाग्य के कारण देश व जनता ने सावरकर को गंभीरता से नही लिया। परिणाम स्वरूप देश विभाजित हुआ। दस लाख हिंदू काटे गये,  करोड़ों हिंदू विस्थापित हुए।
14 अगस्त 1947 को देशविभाजन होने के पश्चात हिंदू महासभा ने रात को 12 बजे वायसराय हाउस को घेरकर (वर्तमान राष्ट्रपति भवन) अखण्ड भारत समारोह मना कर पुन: खंडित भारत को अखण्ड बनाने का संकल्प लिया तथा हिंदू महासभा के प्रयासों से वर्तमान बंगाल व पंजाब पाकिस्तान जाने से बच गये।
यदि  हिंदू महासभा ने विरोध नही किया होता तो पाकिस्तान का बार्डर बाघा सीमा के स्थान पर नजफगढ़ होता और बिहार का किशनगंज होता तब सोचो हिंदुओं तुम्हारा क्या होता? क्रमश:

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