प्राकृतिक आपदाओं से हमारा रिश्ता ज्यादा से ज्यादा गहरा होता जा रहा है।
ज्यों-ज्यों हम प्रकृति को उत्तेजित करते हैं, शोषण के मनोभावों से नैसर्गिक संपदा का अंधाधुंध दोहन करते हैं, त्यों-त्यों प्रकृति हमसे कुपित होती है।
कई सारी आपदाएं प्राकृतिक हैं और ढेरों ऎसी हैं जो मानव निर्मित हैं।
मानव में जब से स्वार्थ बुद्धि का उदय हुआ है वह सारे संसार को पा जाने को उतावला हो चला है।
अपना जमीर भुला कर हर जमीन तक खुर्द-बुर्द कर डालता है।
आपदाओं का कोई भरोसा नहीं कि कब आकस्मिक रूप से टपक जाएं, कब धमक जाएं और ऎसा बहुत कुछ कर जाएँ कि हम हर तरह से विवश हो जाते हैं, न कुछ सोच पाते हैं, न कर पाते हैं, बस जो हो रहा है, उसे देख पाने भर की मजबूरी के सिवा कुछ नहीं।
यह तो आधुनिक विज्ञान का कमाल है कि समय पहले पता चल जाता है कि आपदा कहां है, कब तक पहुंचेगी और संभावित असर कितना होगा अन्यथा कुछ कहा नहीं जा सकता था।
अब जक पता चल ही गया है कि नीलोफर का सफर तेजी से हमारी ओर होने लगा है तो कुछ ऎसा कर लिया जाए कि इसका खतरा और प्रभाव कम से कम हों, हम अधिक से अधिक सुरक्षित एवं संरक्षित रहें और जान-माल पर संकट न बन आए।
इसके दो ही ऎहतियाती उपाय हैं।
एक यह है कि हम सभी लोग आपदा आने से पहले इससे बचाव के सारे उपाय सुनिश्चित कर लें और आपदा के समय अपने बंधुओं-भगिनियों और अपने-अपने क्षेत्रों को बचाने का काम निष्काम भाव से करें, सेवा और परोपकार को सर्वोपरि धर्म मानकर अपने आपको समर्पित करें।
दूसरा सबसे बड़ा बचाव का रास्ता यह है कि हम सभी लोग अपने-अपने धर्म-सम्प्रदाय और मतों-पंथों के अनुरूप सामूहिक प्रार्थनाओं का आयोजन कर परम सत्ता से प्रार्थना करें कि हमें इस आपदा से बचाए।
प्रार्थना में वह शक्ति होती है कि बड़े से बड़ा संकट अपने आप टल जाता है या रास्ता बदल लिया करता है।
पर यह प्रार्थना होनी चाहिए सच्चे मन से।
क्यों न हम एक-दो दिन पब्लिसिटी के मोह से दूर रहकर आँखें मूंद कर भगवान के समक्ष सच्चे मन से प्रार्थना करें।
इस देश ने प्रार्थनाओं के बूते बड़ी-बड़ी लड़ाइयां जीती हैं।
यह प्रार्थना यदि तस्वीरों और समाचारों पर केन्दि्रत न होकर ईश्वर को सामने रखकर की जाए तो कोई कारण नहीं कि हम बड़ी से बड़ी आपदा से मुक्ति पा जाएं, नीलोफर की तो औकात ही क्या है?
आईये हम सभी मिलकर आपदा से लड़ने की शक्ति पाएं और प्रार्थना करें।
सच्चे मन से प्रार्थना करें कि ईश्वर नीलोफर के सफर को कहीं ओर मोड़ दे या फिर इसके वेग को क्षीण कर दे।