माननीय सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के लिए खुला पत्र ?——इंजीनियर श्याम सुन्दर पोद्दार (महामन्त्री, वीर सावरकर फ़ाउंडेशन)     

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                                  ——————————————— सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश महोदय !
    मैं आपके लिए यह पत्र बहुत ही विषम परिस्थितियों में लिख रहा हूं। हाल ही में कांग्रेस द्वारा आयोजित एक सभा में संत कालीचरण महाराज ने गाँधी व मुस्लिम समाज पर कुछ कहा। इस विषय में मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है कि गाँधी जी देश का राष्ट्रपिता है ही नही, सँविधान भी इसकी इजाज़त भी नही देता। कुछ समय पूर्व सूचना अधिकार के अंतर्गत माँगी गई एक सूचना में यह जानकारी मिली थी। छत्तीसगढ़ सरकार ने गाँधी का अपमान देशद्रोह की श्रेणी में डालकर उन पर केस कर दिया तथा संत कालीचरण ने मुस्लिम समाज द्वारा किये जा रहे ग़लत कामों के प्रति आवाज़ उठाई तो उनको १५३ए के अंतर्गत गिरफ़्तार कर लिया।
      सर्वोच्च न्यायालय समय समय पर सामाजिक ब्यवस्था बनी रहे स्वयम दख़ल दे कर केस कर देती है। पिछले कुछ समय से हम देख रहे है कुछ मुस्लिम नेता दहाड़ मार मारकर हिन्दुओं को डरा रहे हैं। १५३ए का मज़बूत केस बनता है, न तेलंगाना सरकार न दिल्ली सरकार,  न ही सर्वोच्च न्यायालय उन पर १५३ए में केस चलाती है। राज्य सरकारों की निष्क्रियता व सर्वोच्च न्यायालय  की अनदेखी का बहुत बुरा असर पड़ रहा है। इन मुस्लिम नेताओं के होसले और भी अधिक बुलंद हो रहे हैं। हिन्दु समाज के बच्चे डर रहे हैं। हैदराबाद के एक मुस्लिम विधायक असदुद्दीन ओवैसी ने कुछ महीनो पहले घोषणा की थी जिसको सारे हिंदुस्तान ने इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के माध्यम से देखा व सुना। कुछ समय के लिये पुलिस हटा लो, हम हिंदुओं का ख़ात्मा कर देंगे। उन्ही के बड़े भाई सांसद ओवैसी ने कुछ दिन पहले हिंदुओं को यह चेतावनी दी कि मोदी चला जायेगा, पहाड़ों में योगी चला जायेगा मठ में तब तेरा क्या होगा। तीसरा एक दिल्ली के मुस्लिम नेता ने कहा बहुत जल्द हम बहुसंख्यक बन कर हिंदुओं पर राज करेंगे तब राम मन्दिर को तोड़ कर बाबरी मस्जिद बना देंगे।
     क्या यह सब Hate Speech नही है। १५३ए में इनको गिरफ़्तार क्यों नही किया गया अब तक ? इसलिए कि ये मुसलमान हैं ?
    महामहिम ! आपकी नज़रों में इस लेख के माध्यम से यह बात एक नागरिक के रूप में ला रहा हूँ। इस लेख को पिटीशन मानकर मान कर कार्यवाही आरम्भ करे।   
                 भारतीय मुस्लिम समाज द्वारा नाजायज़ तरीक़े से संबीधान की धज्जिया उड़ाते हुवे कुछ लाभ वर्षों से लिये जा रहे है। उन्हें अविलंब बंद कराया जाय। हमारे  संबिधान में अल्पसंख्यकों को कुछ बिशेस अधिकार मिले हूवे है। हमारे सामविधान में कही भी नही लिखा है अमुक अमुक धार्मिक जाती को यह अधिकार मिलेगा। इसका मतलब साफ़ है संविधान विश्व में जो अल्पसंख्यक की परिभाषा है सिर्फ़ वे ही धार्मिक समुदाय अल्पसंख्यक होगे। मुस्लिम समाज आज भारतवर्ष का द्वितीय सबसे बड़ा बहुसंख्यक समाज है। वह अल्पसंख्या में नही आता। यह समाज ग़लत तरीक़े से लाभ उठा रहा है। उसे अविलम्ब बंद किया जाय। एक तरफ़ अल्पसंख्यक का नाजायज़ लाभ भारत का मुस्लिम समाज ले रहा है। तो केरल व तमिलनाडु में बहुसंख्यक  समाज के नाम पर केरल में दो ज़िले व तमिल नाडु में एक ज़िला मुस्लिम बहुसंख्यक ज़िला बना हुवा है वह संविधान के हिसाब से ग़लत बनाया गया है। वह भी समाप्त कर रास्ट्र को संविधान के हिसाब से चलने लायक़ बनाए।       
     जब संविधान संप्रदाय जाति लिंग के आधार पर भेदभाव न करने की बात करता है तो फिर संप्रदाय, जाति या लिंग के आधार पर भेदभाव किया जाना असंवैधानिक और गैरकानूनी है।
संविधान ने भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सभी को दी है। कोई भारत को या माँ भारती को डायन कहे कोई 15 मिनट के लिए पुलिस हटा लो  की बात कह कर नरसंहार की बात करे, और कोई योगी मोदी के जाने के बाद तुम्हारा क्या होगा? – जैसी भाषा बोले,  तो यदि उनकी ऐसी भाषा संविधानिक या संसदीय कही जा सकती है तो कालीचरण महाराज ने भी ऐसा कुछ नहीं कहा जो अनुचित और गलत हो, क्योंकि उन्होंने जो कुछ भी कहा है वह देशद्रोहियों के लिए कहा है, जो देश का खाकर पाकिस्तान के गीत गाते हैं। ऐसे लोगों का उपचार करने के लिए
न केवल पूरे व्यवस्था तंत्र को वोट खड़ा होना चाहिए बल्कि जनमानस को भी उनका विरोध करना चाहिए।

1 thought on “माननीय सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के लिए खुला पत्र ?——इंजीनियर श्याम सुन्दर पोद्दार (महामन्त्री, वीर सावरकर फ़ाउंडेशन)     

  1. मैं आपके विचारों से सहमत हूँ।

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