. सावरकरजी के विचारों के अनुसार आचरण किया होता, तो विभाजन नहीं, देश विश्‍वगुरु बन गया होता ! – श्री. उदय माहुरकर, केंद्रीय जानकारी आयुक्त

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  स्वा. सावरकर एक दूरदर्शी राष्ट्रपुरुष तथा राष्ट्रीय सुरक्षा के मानबिंदु थे । स्वा. सावरकरजी के विचारों के अनुसार आचरण न करने से देश की बडी हानि हुई । स्वा. सावरकरजी के विचारों के अनुसार यदि देश ने आचरण किया होता, तो देश का विभाजन नहीं हुआ होता । इसके विपरीत देश विश्‍वगुरु बन गया होता, ऐसा प्रतिपादन केंद्रीय जानकारी आयुक्त श्री. उदय माहूरकर ने किया । स्वातंत्र्यवीर सावरकरजी के जीवन पर पुनः प्रकाश डालनेवाले और श्री. उदय माहुरकर और सहलेखक श्री. चिरायू पंडित द्वारा लिखित ‘वीर सावरकर - दि मैन हू कुड हैव प्रिवेंटेड पार्टिशन’ नामक ग्रंथ के लोकार्पण के अवसर पर वे बोल रहे थे । हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित यह समारोह पणजी स्थित गोमंतक मराठा समाज - राजाराम स्मृति सभागृह में उत्साह से संपन्न हुआ । इस कार्यक्रम में मुंबई के ‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक’ के अध्यक्ष श्री. प्रवीण दीक्षित (सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक) प्रमुख अतिथि के रूप में ‘ऑनलाइन’ माध्यम से उपस्थित थे ।

शंखनाद, दीपप्रज्वलन, स्वा. सावरकर और छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का पूजन कर कार्यक्रम प्रारंभ हुआ । इसके उपरांत श्री क्षेत्र तपोभूमि के धर्मभूषण प.पू. ब्रह्मेशानंद स्वामी महाराज के संदेश का वाचन किया गया । देशभक्ति की ज्योत प्रज्वलित रखनी चाहिए, ऐसे आशीर्वचन स्वामीजी ने दिए ।

  इस समय कार्यक्रम का प्रास्ताविक करते हुए सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने कहा कि, स्वा. सावरकरजी के विचार ७० वर्ष हो जाने के उपरांत भी देश के लिए एक वैचारिक संपत्ति हैं । ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करने का स्वा. सावरकरजी का स्वप्न साकार करने का दायित्व अब हिंदुओं का है । इस पुस्तक का वाचन करने से हिन्दुओं को नई ऊर्जा प्राप्त होगी । हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने इस समय कहा किे, स्वा. सावरकरजी ने कहा कि ‘एक बार यह भूल जाएं कि मैं ‘मार्सेलिस’ के समुद्र में कूदा था, तब भी चलेगा; परंतु मैं ‘हिन्दू संगठक’ हूं, यह मत भूलिए । इन्हीं विचारों का स्वीकार कर हमें स्वा. सावरकरजी के हिन्दू राष्ट्र का कार्य आगे ले जाना है । कहा जाता है कि ‘चरखे के कारण देश को स्वतंत्रता मिली तो गोवा, दमण-दीव इस क्षेत्र को स्वतंत्रता 1961 में क्यों मिली ? गोवा के लिए सैनिकी कार्यवाही क्यों करनी पडी ? स्वा. सावरकरजी के विचार हमारे पास हैं । इन विचारों के आधार पर इससे आगे देश का होनेवाला विभाजन हम रोक सकते हैं । कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि श्री. प्रवीण दीक्षित ने इस समय कहा कि, स्वा. सावरकरजी के विचारों से स्फूर्ति लेकर अनेकों ने बडा कार्य किया है । इसलिए स्वातंत्र्यवीर सावरकरजी के विचार वर्तमान काल में भी अनुकरणीय हैं । कार्यक्रम का सूत्रसंचालन श्री. शैलेश बेहरे ने किया तथा आभार प्रदर्शन समिति के गोवा राज्य समन्वयक श्री. सत्यविजय नाईक ने किया । यह कार्यक्रम ट्विटर और यू-ट्यूब इन सामाजिक माध्यमों से हजारों लोगों ने देखा । संपूर्ण वंदे मातरम् कहकर इस कार्यक्रम का समापन किया गया ।

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