अपने अस्तित्व और देश की रक्षा के लिए हिंदू को होना पड़ेगा सावधान

उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधयत।।ओ३म्।। 
उठो, जागो और अपने अस्तित्व को पहचानो

        सावधान! सावधान!! सावधान!!!

अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए, सावधान!
   एक समय था जब सनातन संस्कृति का ध्वजवाहक भारत का अस्तित्व 83 लाख वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ था,  वर्तमान में वह मात्र 32 लाख वर्ग किलोमीटर में सिमट कर रह गया है।  क्या कभी आपने सोचा है कि भारतवर्ष का अस्तित्व आज मात्र 3200000 वर्ग किलोमीटर तक क्यों रह गया?
इसके अतिरिक्त यह प्रश्न भी बड़ा मार्मिक है कि वर्तमान में बचे हुए भारत के क्षेत्रफल को भी क्या हम सुरक्षित रख पाने में सफल हो सकेंगे?
इसके कुछ बिंदुओं पर गहन चिन्तन की आवश्यकता है।
   आधिकारिक तौर पर 1947 ई. में भारत का अन्तिम विभाजन पाकिस्तान के रूप में हुआ, उस समय भारत विभाजन का मूल कारण था,  दो विचारधाराओं के मानने वाले लोग एक साथ, एक ही स्थान पर नहीं रह सकते , इसलिए उन्हें अलग देश चाहिए।
   उसमें प्रथम विभाजन की मांग रखने वाली इस्लामिक विचारधारा थी जबकि दूसरी विचारधारा भारत देश के अस्तित्व की रक्षा में प्राणपण से लगी थी ।वह थी सनातन संस्कृति को मानने वाली हिन्दू विचारधारा।
     इस्लामिक विचारधारा की मांग ने अपनी पुरजोर शक्ति के आधार पर पाकिस्तान के नाम से एक अलग देश प्राप्त करने में शत-प्रतिशत सफलता प्राप्ति की और उस विचारधारा के अधिकांश अनुयायी वहां चले भी गए।
किन्तु उन्हीं की गहरी साजिश और राजनीतिक षड़यंत्र के तहत लगभग 9.8% के आसपास भारत में भी रुक गए। इस विचारधारा के साथ कि “लड़कर लिया है पाकिस्तान-हँस कर लेंगे हिंदुस्तान”।
    आजाद भारत की प्रथम जनगणना 1951 ई. एवं अब तक की अन्तिम जनगणना 2011 के आधार पर भारत में उस समय 85•8% हिंदू , 9.8% मुसलमान , 2•2%ईसाई , और 1.97% के लगभग अन्य थे, जो कि बढ़कर वर्तमान में मुस्लिम 14.23%, ईसाई 2.30 % और अन्य 1.95% ।
अब देखने का विषय है हिन्दू कितने प्रतिशत रह गया ? दुनिया का गणित कहता है कि जो अधिक होता है उसकी अभिवृद्धि होती है, लेकिन भारत की सर्वाधिक आबादी वाला हिन्दू 85.80% से घटकर मात्र 81.52% पर आ गया। हिन्दू के बढ़ने की बात तो अलग , वह अपने अस्तित्व को यथावत रख पाने में भी असफल रहा है , हिन्दुओं के समूल नष्ट होने की चिन्ता आज तक किसी भी राजनीतिक दल अथवा अन्य किसी संगठन ने नहीं जताई ,क्या कारण है ? कारण है! जो जाति अपने पूर्वजों के बलिदान व अस्तित्व एवं इतिहास का निरीक्षण नहीं करती उसे विश्व के नक्शे से मिटना पड़ता है।

       हम षड़यंत्र के शिकार होकर आज भी अपने परिवार को खुद ही समाप्त कर रहे हैं, कैसे! आने वाले समय में हम सन्तान को अकेला ही छोड़ कर जा रहे हैं , अपने परिवार के भविष्य की सन्तान को चाचा, ताऊ और बुआ के सम्बन्धों को आपने दिया ही नहीं,  क्योंकि आपने तो एक ही सन्तान को जन्म दिया और अब वह चाचा , ताऊ और बुआ कहां से लाएगी ? आप अपने परिवार की हत्या ,संस्कृति की हत्या ,राष्ट्र की हत्या के स्वयं अधिकारी हैं। जिसका चिन्तन स्वयं करें कि हम अपनी सन्तान को इन रिश्तों को न देने से पाप कर रहे हैं या पुण्य? आप कहीं पितृपाप के अपराधी तो नहीं हो रहे हैं ? इसका समाधान देकर जाएं , अन्यथा आने वाला समय आपको क्षमा नहीं करेगा,क्योंकि आप ही अपने घर के रिश्तों के हत्यारे हैं और राष्ट्रद्रोही भी। क्योंकि आपने अपनी सन्तानों को सिर्फ पैसा कमाने की मशीन बनाया, उसे अपने राष्ट्रोन्नति में सहायक धर्म , संस्कृति ,मातृभाषा और मातृभूमि की शिक्षा दी ही नहीं और उन्होंने वोट बैंक के साथ जन्म से ही अपने मजहब के लिए अन्धा होकर मरना सिखाया ।
         विधर्मी आतताई अपने घरों में , अपने व्यापार में, अपने किसी भी कार्य में ,अपनी जमीन,अपने अधिकार व कर्तव्यों का लाभ अपने वर्ग के अनुयायी को ही देते हैं, आपके हिन्दू को नहीं । आपको उनके इस प्रकार के अनैतिक और राष्ट्रद्रोही आचरण का तुर्की ब तुर्की उत्तर देने के लिए तैयार होना चाहिए। अन्यथा वह आपके घरों की बहू-बेटियों , आपकी सम्पत्तियों, आपकी जान-माल के लिए कभी भी खतरा पैदा कर सकता है । देश के बहुसंख्यक समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले सभी हिंदुओं को आसन्न संकट को समझना होगा और उसका समाधान करने के लिए एकता का परिचय देना होगा। सोशल मीडिया , इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया में आने वाली इन खबरों पर आप को ध्यान देना चाहिए कि  वह आपको झूठे ब्रेड, जहरीली सब्जियां , नशीले फल, मेवा आदि और यहां तक कि मल-मूत्र युक्त भोजन करा रहे हैं, आपको कुछ पता ही नहीं चल रहा और उसका प्रमाण कई स्थानों पर लगे सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से आज सोशल मीडिया पर प्रसारित होते आप सब देख रहे हैं ।
अब आपके सोने का नहीं जगने का समय है, अपनी जिम्मेदारी को समझिए , विधर्मियों की चाल को समझिए और आप भी सनातन संस्कृति प्रेमी हिन्दू भाइयों, अपनी सन्तानों में अपनी सभ्यता संस्कृति , राष्ट्रप्रेम व अपनी मातृभूमि से प्रेम करने की भावना जागृत कीजिए।

कौन राष्ट्र के साथ है, कौन राष्ट्रद्रोही है , उसको गहराई से समझिए और डटकर प्रतिकार कीजिए। क्योंकि ये भूमि का कण-कण हमारे पूर्वजों के रक्त से सिंञ्चित है ,अत: इसकी रक्षा ,सुरक्षा,संरक्षा हमारी नैतिक जिम्मेदारी है । इसलिए-

उठ खड़े हो हिंदुओं काफी जलालत हो चुकी ,
हो सजग देखो तुम्हारी कैसी हालत हो चुकी।
प्रण करो संस्कृति की शाम नहीं होने देंगे ,
वीर शहीदों की समाधि को बदनाम नहीं होने देंगे।।

नोट :- दिए गए चित्र को थोड़ा ध्यान से देखें ! तुम्हारे अस्तित्व को मिटाने के लिए कितना बड़ा षड्यंत्र रचा जा रहा है?

आचार्य योगेश शास्त्री
कोलकाता

Comment: