मेरे प्रेरक स्वामी भीष्म जी महाराज 39 वीं पुण्यतिथि पर शत शत नमन : रामचन्द्र विकल
मूल लेखक : स्व0 रामचंद्र विकल
पूर्व सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री भारत सरकार
गाजियाबाद (उ. प्र.)
सन्यास धर्म को अलंकृत करने वाले देशभक्ति से ओतप्रोत , वीरों के प्रशंसक तथा प्रसिद्ध समाज सुधारक राष्ट्रीय स्वतन्त्रता आन्दोलन को पूरी तरह समर्पित आर्य भाजनोपदेशक स्वामी भीष्म जी महाराज जहां कहीं भी जाते जनता में हर्षोल्लास की लहर दौड़ जाती व चारों तरफ एक क्रांतिकारी माहौल हो जाता था । व्यायाम करना अच्छा भोजन ( जो पौष्टिक हो ) तथा स्वाध्याय नित्य करना स्वामी जी का जीवन भर रहा ।
स्वामी जी के प्रमुख शिष्यों में जो स्वामी जी में अगाध श्रद्धा रखते हैं मैं स्वम रामचन्द्र विकल पूर्व सांसद , डा . राम मनोहर जी लोहिया स्वामी रामेश्वरानन्द , स्वामी रुद्रवेश , महाशय हरीदत्त पंडित ज्योति स्वरूप जी , स्वामी ब्रह्मनन्द पचरंगा झण्डे वाले , पं . ताराचन्द वैदिक तोप व पण्डित चन्द्रभान जी आदि के अतिरिक्त क्रान्तिकारी भगत सिंह , चन्द्रशेखर आजाद , असफाक उल्ला खाँ , लाल बहादुर शास्त्री व चौ . चरण सिंह आदि अनेक देशभक्त स्वामी जी के करैहड़ा ( जि . गाजियाबाद ) आश्रम पे अक्सर आते और स्वामी जी से सहयोग प्राप्त करते थे मैं स्वम वहां उनके पास कई बार गया हूँ । सन् 1937 में विधान सभा चुनाव में चौ . चरण सिंह के लिए स्वामी ने प्रचार किया मैं स्वम् साथ था सरोरा वाले प्रधान हुक्म सिंह ने जो उस जमाने में जैलदार और बड़े रईस थे । स्वामी जी को एक हाथी दे रखा था जिस पर स्वामी जी प्रचार के लिए जाते थे ।
ब्रिटिश शासन काल में जब लोग कहते थे कि अंग्रेजों का शासन नहीं जा सकता । उन दिनों स्वामी जी देश में घूम – घूम स्वयं ये गाना गाते थे :-
भारत माता आजादी के तेरे दिन आने वाले है !
इसके अतिरिक्त नित्य स्वामी जी को निम्न गीत मैंने स्वयं गाते सुना है जो आम जनता की जुबान पर थे :
1 . अजि एजी देश में करदें आप मनादी ।
देखो देश के दरवाजे पर आ पहुंची आजादी ।।
2 . अजि एजी बाग में ऐसी लगा दो आग ।
भस्मी भूत हो जाएं जलकर सारे बन्दर काग ।।
3 . आजादी के जंग में बड़े सामान भाहिएंगे ।
तन भी मन भी धन भी और नौ जवान चाहिएंगे ।।
स्वामी भीष्म जी महाराज ने लगभग 80 आर्य भजनोपदेशक तैयार किए तथा 200 पुस्तकें लिखी । आर्य समाज के जलसों में आज भी स्वामी जी के लिखे गीत गाए जाते हैं । सन् 1962 में स्वामी जी का एक भजन बड़ा प्रसिद्ध हुआ था :
” चलो बजी आज रण भेरी मत करो जवानों देरी ।
दुश्मन ने घाटियाँ घेरी भयंकर जंग होगा ।। क्या बठै ! ”
स्वामी जी महाराज जब कहीं प्रचार के लिए जाते तो आस – पास के गांवों से लोग बड़े शौक से 10-15 मील तक से बैल गाड़ीयों में आते थे , मैंने देखा है जब स्टेज पर स्वामी जी के शिष्य ज्ञानेन्द्र हरीदत , लखपत पहलवान , नत्था सिंह आदि साथ होते स्वामी जी गाते और गाने के बीच में बोलते “ बोलो रे ” तो जनता रोमांचित हो उठती थी ।
सन् 1981 में स्वामी भीष्म जी महाराज के जीवन के 121 वर्ष पूरे हो चुके तब कुरुक्षेत्र में स्वामी जी का नागरिक अभिनन्दन किया गया जिसमें तत्कालीन मुख्यमन्त्री चौ . भजन लाल स्वयं पूरे मन्त्रीमण्डल सहित , राज्यपाल हरियाणा , राज्यपाल उड़ीसा , चौ . दलबीर सिंह केन्द्रीय मन्त्री ज्ञानी जैल सिंह जी गृहमन्त्री भारत , कुमुद बेन जोशी , स्वामी कल्याण देव जी , लाल जगतनारायण सम्पादक पंजाब केसरी , सरदार कुलतार सिंह ( भगतसिंह के भाई ) अ और अनेकों राजनेता व आर्य समाज के विद्वान व नेता तथा मैं स्वयं वहां उपस्थित रहा और स्वामी जी का अभिनन्दन किया । स्वामी भीष्म जी महाराज के जीवन से सम्बन्धित संस्मरण बहुत अधिक हैं यदि मैं लिखूं तो उनके द्वारा किए महान कार्यों का एक ग्रन्थ बन सकता है । स्वामी जी द्वारा किए कार्यों पर शोध किए जाए तो देश हित में होगा । मेरी मेरे परिवार की स्वामी जी महाराज में अटूट श्रद्धा है । श्री शिवकुमार आर्य ने स्वामी भीष्म जी द्वारा लिख भजनों का बड़ा सुन्दर संकलन किया है जो आपके हाथों में है यह एक सराहनीय कार्य है । आर्य समाज के भजनोपदेशको को स्वामी जी के भजन अधिक से अधिक गाने चाहिए जो अपने आप में आर्य सिद्धान्त से ओतप्रोत हैं ।
रामचन्द्र विकल
पू . सासंद एवं केन्द्रीय मन्त्री
के.बी.- 41 , कवि नगर
गाजियाबाद ( उ.प्र . )