यदि ऐसा है तो गांधी की समाधि को कब्र घोषित कर उस पर लिखा “हे राम” मिटा देना चाहिए।
क्या गांधी हिन्दू नही था ?
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क्या गांधी
हिन्दू के भेष में एक निज़ारी इस्माईल मुसलमान था? – जीवक कुमार शाह (पत्रकार)।
एक महत्त्वपूर्ण घटनाचक्र एयर फोर्स स्टेशन, आगरा के जन्माष्टमी महोत्सव के दौरान घटित हुआ, जिसमें सभी श्रद्धालु रात्रि में कृष्ण जन्मोत्सव पर अपने स्टेशन कमांडर की प्रतीक्षा कर रहे थे, ताकि वे पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सर्वप्रथम प्रसाद ग्रहण करने के उपरांत अन्य सैनिकों को भी वितरित किया जा सके।
उस दौरान स्टेशन कमांडर ग्रुप कैप्टन गांधी वहां आए व उपस्थित सैनिकों को सम्बोधित कर पूजा के प्रसाद ग्रहण करने की प्रथा पर अपने मत से अवगत कराया कि वे हिंदू नहीं हैं। अतः आप पूजा के आयोजनों में उनकी प्रतीक्षा न किया करें। यह एक फौजी अधिकारी की स्पष्टता व सत्य की स्वीकार्यता थी कि वे हिंदू नहीं, बल्कि मुसलमान हैं।
(इस घटना का सत्यापन ,तिथि व दिनांक जांचना बाकी है)
अब स्वाभाविक रूप से यह सवाल भी उठना स्वाभाविक है कि यदि ‘गांधी’ सरनेम मुसलमान भी उपयोग में लाते हैं, तो मोहन दास कर्मचंद गांधी कौन थे?
क्या गांधीजी को ब्रिटिश सरकार ने हिन्दुस्तान में क्रांतिकारियों के चल रहे आंदोलनों को कुचलने के लिए एक महात्मा के रूप में प्रस्तुत किया था? क्या यह एक महज संयोग है कि गांधीजी के भारतीय राजनीति में पदार्पण के उपरांत क्रांतिकारी आंदोलनों को धक्का लगा?
1922 में तुर्की में ओटोमन वंश के आखिरी सुन्नी खलीफा अब्दुल हमीद-2 का शासन को बचाने व अंग्रेज़ी हुकूमत पर दबाव बनाने के लिए गांधीजी ने खिलाफत आंदोलन को चलाया, जिसका भारत भूमि से कोई लेना-देना नहीं था। इस आंदोलन के द्वारा भारतीय मुसलमानों के एकजुटता व धर्म-मजहब के आधार पर बट़वारे का मार्ग प्रशस्त हुआ!
इसके अलावा किन कारणों से गांधीजी ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस व सरदार वल्लभ भाई पटेल को दरकिनार कर जवाहर लाल नेहरु को आगे बढ़ाया और हिन्दू-मुस्लिम आधार पर देश का बट़वारा कर मुस्लिमों के लिए एक मुस्लिम राज्य ही नहीं बनाया, बल्कि उनको भारत में भी बनाए रखा!
जीवक कुमार शाह के अनुसार – “मोहनदास कर्मचंद गांधी एक निजारी इस्माईल मुसलमान थे, जो कि शिया पंथी होते हैं। गांधी की माता परनामी धर्म की अनुयायी थी, जिसका जिक्र स्वयं गांधी ने अपनी जीवनी में किया है!
परनामी धर्म के लोग आजकल आपको कृष्णभक्ति करते दिख सकते हैं, लेकिन उनका धर्मग्रंथ न तो भागवत गीता, न ही श्रीमद् भागवत महापुराण है। परनामी लोगों का धार्मिक ग्रंथ कुलजम शरीफ है, जो कि उनके गुरु प्राणनाथ ने लिखा था। जिसमे अधिकांशतः उन्होंने अल्लाह, महमंद का जिक्र किया है। क्या गुरु प्राणनाथ भी हिन्दू नाम रख कर इस्लाम को ही आगे बढ़ा रहा थे?,
उन्होंने अपने धर्म को दीन इस्लाम कहा है। आज पन्ना में जिस जगह प्राणनाथ का मंदिर है, उसे भारत के बट़वारे से पहले तक दरगाह-ए-मुकद्दस कहते थे, जिसे अब अनंत श्री प्राणनाथ जी मंदिर नाम से जाना जाता है। प्राणनाथ स्वयं को अखरूल इमाम मेहंदी कहता था।
यही नहीं, कांग्रेस पार्टी का चुनाव चिन्ह पंजा के चयन के पीछे भी एक कहानी है। एक बार एच.के.एल. भगत इंदिरा गांधी के साथ पन्ना के मंदिर गए थे, जहां इंदिरा ने मंदिर के गुम्मद पर पंजे का निशान देखा और उसे कांग्रेस का चुनाव चिन्ह के रूप में अपना लिया। यही पंजे का निशान मुसलमान शिया धर्म में भी है।
गूगल पर श्री 5 पद्मावती पुरी धाम पन्ना और इमामजादाह सलाह, ईरान सर्च करने पर दोनों में काफी समानताएं मिलती हैं, जो एक शोध का विषय है। जिसके उपरांत ही स्पष्ट हो सकेगा कि क्या गांधी एक हिन्दू के भेष में निज़ारी इस्माईल मुसलमान थे?”
उपरोक्त पर एक विस्तृत मनन व विवेचना की आवश्यकता है, ताकि स्थिति स्पष्ट हो सके।
जीवक कुमार शाह (पत्रकार) की पोस्ट से प्रेरित।
Time Magazine Cover : SAINT GANDHI
Mar. 31, 1930 – India
साभार
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।