इतिहास कभी भी गलतियों को दोहराने के लिए नहीं होता है और ना ही अतीत की कड़वाहटों को खुजला – खुजलाकर घाव बनाते रहने के लिए होता है । इसके विपरीत इतिहास अतीत की गलतियों से शिक्षा लेकर वर्तमान को सुंदर से सुंदर बनाने के लिए लिखा हो जाता है। ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ की परंपरा में विश्वास रखने वाले प्रत्येक भारतीय के लिए इतिहास सुंदर से सुंदर तभी हो सकता है जब हम पिछली बातों को भूलकर वर्तमान को सुंदर बनाएं और भविष्य की उज्जवलता के प्रति सदैव सतर्क और सावधान रहें। सत्य शिव अर्थात कल्याणकारी तभी हो सकता है जब वह सुंदर हो।
हमारे देश के नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गत रविवार अर्थात 26 दिसंबर की शाम 1857 की क्रांति की महान सेनानी रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर इतिहास अतीत की कड़वाहटों को इतिहास के गड्ढे में दफन करने का जो प्रयास किया, वह सचमुच प्रशंसनीय है। ग्वालियर राज्य परिवार से संबंध रखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रथम स्वाधीनता संग्राम की कड़वाहट भरी सारी बातों को भूलकर रानी लक्ष्मी बाई की समाधि पर जाकर सिर झुका कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। उनके विरोधी चाहे इस घटना को जिस रूप में परिभाषित कर रहे हों परंतु एक अच्छी पहल का हमेशा स्वागत होना चाहिए। यदि आज भी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रानी लक्ष्मीबाई को नमन कर लिया है तो ‘देर आयद दुरुस्त आयद’ वाली बात को मानकर यह समझना चाहिए कि वर्तमान जब चल रहा होता है तो उसमें कई प्रकार की कड़वाहटें गलतियां कराती चली जाती हैं। व्यक्ति जानता है कि उससे गलती हो रही है परंतु उसका अहंकार, सामाजिक, राजनीतिक दबाव और कई बार पारिवारिक दबाव भी उसे गलतियां करते रहने के लिए प्रेरित करते हैं । बहुत बड़ा दिल करना पड़ता है जब व्यक्ति अपनी गलतियों के सामने सिर झुका देता है । इसलिए हमें ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा रानी लक्ष्मीबाई को दी गई श्रद्धांजलि को इसी दृष्टिकोण से देखना चाहिए और इस पर किसी प्रकार का उपहास न करके उनकी विशाल हृदयता की प्रशंसा करनी चाहिए।
एक दैनिक समाचार पत्र में छपी खबर के अनुसार सिंधिया ग्वालियर में प्रस्तावित एलिवेटेड रोड का निरीक्षण करने निकले थे। उनका काफिला रानी के समाधि स्थल के सामने रुका। यहां उन्होंने समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की और शीश झुकाकर नमन किया। उनके साथ प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर भी मौजूद थे।
सिंधिया के रानी लक्ष्मीबाई के समाधि स्थल पर जाने का वीडियो वायरल होते ही कांग्रेस ने उन पर निशाना साधा। प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी केके मिश्रा ने पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ को टैग करते हुए ट्वीट किया। इसमें सिंधिया पर कटाक्ष किया। उन्होंने लिखा, कत्ल चाहे वीरांगना का हो या लोकतंत्र का, दर पर आना ही पड़ता है। कहा जाता है कि 1857 में अंग्रेजों से लड़ते हुए जब रानी लक्ष्मीबाई ग्वालियर पहुंचीं तो तत्कालीन सिंधिया रियासत ने उनका सहयोग नहीं किया था। अंग्रेजों से लड़ते हुए रानी ने स्वर्णरेखा नदी (वर्तमान में नाला) के किनारे अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। इस ऐतिहासिक घटना के बाद से ही सिंधिया राजघराना हमेशा विपक्षी दलों के निशाने पर रहा है।
कांग्रेस इस समय ढलता हुआ सूरज है ।उसका जहाज डूब रहा है। क्योंकि उसके नेताओं का बौद्धिक दिवाला निकल चुका है। गांधी नेहरू परिवार के हाथों में रहते इस संगठन का उद्धार होना असंभव है । किसी भी संगठन को उसकी बौद्धिक संपदा ही खड़े करे रखने में सहायता करती है। इस समय सोनिया गांधी राहुल और प्रियंका तीनों में से किसी के पास भी ऐसी बौद्धिक संपदा नहीं है जो संगठन को मजबूती के साथ लोगों के सामने प्रस्तुत कर सकने में सफल हो। इसलिए ज्योतिरादित्य सिंधिया गोरा रानी लक्ष्मी बाई को दी गई श्रद्धांजलि पर यह संगठन क्या कह रहा है? – इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जाए तो ही अच्छा है।
यहां पर एक ही बात कही जा सकती है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने तो इतिहास के सामने जाकर सिर झुका दिया पर कांग्रेस अपने काले कारनामों के इतिहास के सामने कब सिर झुकाएगी ? क्या सोनिया, राहुल और प्रियंका में से कोई भी इतना साहस कर पाएगा कि वह आज तक के पापों के लिए किसी स्मारक पर जाकर सिर झुका कर सारे देश से माफी मांग ले कि उन्होंने धर्मनिरपेक्षता के नाम पर जो पाप किए उनके लिए वह प्रायश्चित करते हैं? ज्योतिरादित्य सिंधिया के पूर्वजों ने जो कुछ किया उसके लिए उन्होंने तो सिर झुका दिया, पर कांग्रेस के वर्तमान नेतृत्व के पूर्वजों ने क्रांतिकारियों के साथ जो कुछ किया है उसके लिए कांग्रेस का ‘परिवार’ कब सर झुका आएगा ?
डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत