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‘’आदिशिल्प’’ का उद्घाटन

जनजातीय कला एवं हस्तशिल्प मेला आदिशिल्प का जुएल ओराम ने किया उदघाटन

            केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री जुएल ओराम ने आज यहां जनजातीय कला एवं हस्तशिल्प मेला ‘’आदिशिल्प’’ का उदघाटन किया। इस अवसर पर उन्‍होंने कहा कि हमारे जनजातीय शिल्‍पी बहुत सुंदर चीजें बनाते है। उनके उत्‍पादों को बाजार उपलब्‍ध कराने की दिशा में इस तरह के मेलों का अयोजन एक महत्‍वूपर्ण पहल है। उन्‍होंने कहा कि जनजातीय शिल्पियों द्वारा तैयार किए गए उत्‍पादों को बेचने के लिए देशभर में भारतीय जनजातीय विपणन विकास सहकारी संघ लिमिटेड (ट्राइफेड) के 45 से ज्‍यादा वितरण केंद्र है जो अच्‍छा कारोबार कर रहे हैं। इन केंद्रों ने पिछले वर्ष कुल 20 करोड़ रूपये का कारोबार किया। श्री ओराम ने कहा कि ‘’ हमारी कोशिश है कि आदिवासी शिल्पियों को हम अधिक से अधिक ऐसे मंच उपलब्‍ध कराये जहां वे बिना किसी बिचौलिए के सीधे अपना उत्‍पाद उपभोक्‍ताओं को बेच सके। यहां प्रदर्शित सभी वस्‍तुओं की खूबी यह है कि य‍ह हाथ से बनाई गई है और इसमें किसी भी प्रकार की मिलावट नहीं है। मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हाल के वर्षों में युवा शहरी उपभोक्‍ताओं के बीच आदिवासी शिल्‍प काफी लोकप्रिय हुआ है और मुझे उम्‍मीद है कि आगे भी लोगों में इसके प्रति रूचि और बढ़ेगी।‘’

      राजधानी के आई एन ए स्थित दिल्‍ली हाट में आयोजित आदिशिल्‍प मेले में  113 स्टॉलों पर अदभुत व बेहतरीन जनजातीय शिल्प कलाओं का प्रदर्शन किया गया है। इसमे देशभर से आये लगभग 100 से ज्यादा जनजातीय शिल्पकार अपने उत्‍पादों का प्रदर्शन कर रहे हैं। 30 नवंबर तक चलने वाले इस आयोजन के दौरान हस्तशिल्प, हथकरघा उत्पाद, सूखे फूल, बेंत व बांस के उत्पाद, जनजातीय आभूषण, ढोकरा शिल्प, जनजातीय बुनाई और कढ़ाई तथा जनजातीय चित्रकला आदि का प्रदर्शन किया गया है।

            आदिशल्प आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य जनजातीय दस्तकारों को उनके उत्पादों को प्रदर्शित करने और ग्राहको को सीधे बेचने तथा उनकी प्रतिक्रिया प्राप्त कर महत्वपूर्ण डिजाईन एवं अन्य इनपुट प्राप्त करने का अवसर प्रदान करना है। आदिशिल्प उन्हें कला एवं शिल्प प्रेमियों से प्रत्यक्ष बात करने और शहरी अभिजात्य वर्ग से अपना कौशल साझा करने और ग्राहको से उनकी पसंद जानने हेतु एक बेहतर मंच प्रदान करता है।

                        ट्राईफेड, जनजातीय उत्पादों के विपणन और विकास हेतु विभिन्न प्रकार के पहल करता रहा है। वर्ष 1999 में दिल्ली में स्‍थापित ट्राइब्स इण्डिया के पहले बिक्री केन्द्र से लेकर अब तक इसने देशभर में अपने 36 व कन्साइनमेंट आधार पर 9 बिक्री केन्द्र खोल लिए हैं। ट्राईफेड, जनजातीय हस्तशिल्प मेलों के आयोजन के जरिये विभिन्न क्षेत्रों/राज्यों से नये जनजातीय शिल्पकारों और उत्पादों की पहचान के जरिये जनजातीय उत्पादों के बारे में पहल करता है। यहाँ जनजातीय दस्तकारों को उनके उत्पादों के प्रर्दशन एवं ट्राईफेड द्वारा बेचे जाने वाले उत्पादों में उनके उत्पाद शामिल करने हेतु आमंत्रित किया जाता है। उत्पादों में सुधार और बेहतर बाजार प्रत्याशा के लिए उन्हें डिजाईन और गुणवत्ता आधारित इनपुट भी दिये जाते हैं।

            जनजातीय कार्य मंत्रालय के तहत ट्राईफेड भारत सरकार का एकमात्र ऐसा  निकाय है जो पारंपरिक जनजातीय उत्पादों जैसे, धातु शिल्प, चित्रकारी, कपड़े, आभूषण, प्राकृतिक, जैविक और आयुर्वेद उत्पादों के विपणन और विकास में संलग्न है। ट्राईफेड का मुख्य उद्देश्य जनजातियों को उनके उत्पादों के लिए उचित पारिश्रमिक सुनिश्चित करते हुए उनके सांस्कृतिक ज्ञान और पारंपरिक कौशल के आधार पर उनके लिए दीर्घकालिक बाजार व विपणन अवसर पैदाकर उनकी आजिविका में सुधार लाना है। ट्राईफेड, जनजातीय शिल्पकारों व लघुवन उत्पाद संग्राहकों के क्षमतावर्धन व कौशल उन्नयन हेतु  प्रशिक्षण पर भी ध्यान केंद्रित करता है।

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