34वें भारतीय अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेला
राजस्थान मंडप में सूचना एवं जनसंपर्क और पर्यटन विभाग की प्रदर्शनी बनी आकर्षण का केन्द्र
नई दिल्ली, 28 नवम्बर, 2014।
नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित 34वें अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेेला के राजस्थान मंडप में लगाई गई सूचना एवं जनसंपर्क और पर्यटन विभाग द्वारा लगाई गई प्रदर्शनियों ने दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित किया। प्रदर्शनी में राजस्थान सरकार द्वारा की गई योजनाओं एवं कार्यक्रमों आदि को मुख्य रूप से दर्शाया गया।
राजस्थान मण्डप के निदेशक श्री रवि अग्रवाल ने बताया कि मण्डप में राजस्थान की बहुरंगी कला, संस्कृति, समृद्ध इतिहास और परम्परागत हस्तशिल्प कला के साथ ही पर्यटन, उद्योग और विभिन्न क्षेत्रों की प्रगति को दर्शाया गया। सूचना एवं जनसंपर्क और पर्यटन विभाग, राजस्थान द्वारा आयोजित चित्रा प्रदर्शनियां को देखने में दर्शकों ने गहरी रूचि प्रदर्शित की।
मंडप के मुख्य द्वार के दोनों ओर व्यापार मेला की थीम ”महिला उधमी” के अनुरूप प्रदखशत पैनल्स और मंडप के थीम क्षेत्रा म ’टोंक की सुनहरी कोठी‘ की खूबसूरत प्रतिकृत्ति, हथकरघा पर विश्व प्रसिद्ध ’कोटा डोरिया‘ साड़ियों को बनाने का जीवंत प्रदर्शन और विभिन्न क्षेत्रों में चल रहे महिलाओं के लिए कल्याणकारी कार्यक्रमों की प्रगति की भी दर्शकों ने सराहा।
बांस और लकड़ी के दो पहिया वाहन बने आकर्षण का केन्द्र
मंडप में महिला उद्यमी श्रीमती स्नेहा अजमेरा के स्टॉल ’शोभा आर्ट क्राफ्टस‘ पर बांस की पतली कमानियां और लकड़ी की दो पहिया वाहन आकर्षण का प्रमुख केन्द्र रहा। इसी प्रकार सजावटी सामान, हस्तशिल्प वस्तुएं, शो-पीस, बांस, कास्ठा (लकड़ी) और कागज से बनी वस्तुएं, दीवारों पर सजाई जाने वाली हैंगिंग आर्ट, मूर्तियां, कप-प्लेट, खिलौन, घरेलू कामकाज की वस्तुएं, पेन, पेन-स्टैण्ड, खिलौने, हाथी, घोड़े, ऊॅट और बच्चों के खिलौने में मिनिएचर पेटिंग, बुक मार्क, जुड़ा बांधने वाली लकड़ी की स्टिक पेंसिल, टी लाईट, होल्डर, थीम चेस सेट, फोटोफ्रेम, सेमी ज्वैलरी से बनी कलाकृत्तियां और अन्य हस्तशिल्प वैभव को दर्शकों ने बहुत सराहा।
श्रीमती मनीषा के आभूषणों का आकर्षण
इसी प्रकार जयपुर की युवा उद्यमी मनीषा शर्मा के आभूषणों के स्टॉल को भी दर्शकों ने सराहा। उनके डिजाइन किए सेमी प्रेसियस आभूषण, शिल्प एवं कला के बेजोड़ नमूने है। आभूषणों में पत्थर, लकड़ी, पीतल, सोना-चांदी, लोहा, तांबा, घरों की दीवारों से लेकर ऊॅट, हाथी आदि पर राजस्थान के शिल्प का सौन्दर्य फैला हुआ है। इनमें कुछ कलात्मक बक्से ऐसे है जिन्हे बनाने में दो-तीन महीनों से सी अधिक वक्त लगता है। जैम्स स्टोन, बेशकीमती और अन्य नगीनों से बने आभूषण, कलात्मक मीनाकारी से बने सुसज्जित जेवर और आभूषण देखते ही बनते है। मिनिएचर पेटिंग से बने पेंडेल और अन्य आभूषणों की कीमत 200 रूपये से 15 से 20 हजार रूपये रखी हुई है।
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