गांव की बेटी स्वाति यादव ने किया गांव का नाम रोशन

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दादरी। ( देवेंद्र सिंह आर्य छाँयसा) प्रतिभा यदि महलों की चाकर होती तो कोई भी दीपक गरीब की झोपड़ी में जगमगाने से मना कर देता, पर ऐसा नहीं है। दीपक दीपक है और जब वह अपना प्रकाश बिखेलता है तो बिना किसी फर्क के बिखेरता है। वह अपनी रोशनी रूपी प्रतिभा के लिए किसी का मोहताज नहीं।
बस यही बात प्रत्येक व्यक्ति की प्रतिभा पर लागू होती है। वह कब कहां प्रकट हो जाए ? कुछ कहा नहीं जा सकता । ईश्वर ने प्रतिभाओं के रूप में अनेकों बच्चे झोपड़ियों में पैदा कर उनके लिए महलों के रास्ते बनाए हैं। तभी तो विश्व इतिहास में ऐसी अनेकों प्रतिभाएं हुई हैं जो झोपड़ी से निकलकर भव्य भवनों में पहुंची हैं और जिनके सामने महलों के कंगूरों की ईंटों ने भी फूट बरसाए हैं।
   इसी सच्चाई को प्रकट करने की प्रतिभा से संपन्न स्वाति यादव गांव में जन्मी है । जो आज अपने गांव छाँयसा व क्षेत्र के साथ-साथ प्रदेश का भी नाम रोशन कर रही है। वह दिन दूर नहीं जब वह देश का नाम रोशन करने के लिए विदेश के लिए भी उड़ान भरेगी। उसके पंख निकल रहे हैं जो इस समय प्रतिभाओं के मोल तोल रहे हैं। आज उस पर उसका गांव गर्व कर रहा है तो कल को देश भी उस पर गर्व करेगा । एक दिन वह भी आएगा जब उसके अपने पंखों को तोलने के लिए लोग उसकी ओर आकर्षित होंगे।
   अभी रांची में हुई कुश्ती प्रतियोगिता में राष्ट्रीय स्तर पर सिल्वर पदक लेकर लौटी स्वाति यादव का उसके मूल गांव में गणमान्य लोगों ने भव्य स्वागत किया। उनके पिता राकेश यादव का कहना है कि वे एक प्रतिभा संपन्न बेटी को पाकर अपने आपको धन्य मानते हैं। उन्होंने कहा कि वह बेटी के भीतर छुपी प्रतिभा के लिए जहां ईश्वर का धन्यवाद करते हैं वहीं अपने सभी शुभचिंतकों मित्रों आदि को भी इसका श्रेय देते हैं। यदि स्वाति यादव भविष्य में कुछ और बेहतर कर पाई तो इसके लिए वह ईश्वर और अपने सभी शुभचिंतकों मित्रों को ही श्रेय देना चाहेंगे। जबकि बेटी स्वाति यादव का कहना है कि उनके पिता उसके लिए आदर्श हैं  इसके साथ ही वह अपने कोच श्री सत्यम पहलवान को भी धन्यवाद देना नहीं भूली। उसने कहा कि वह भी उसे पिता के समान प्यार दुलार देते हैं और बहुत ऊंची अपेक्षाओं के साथ उसे आगे बढ़ाने में सहायक हुए हैं। वे कहती है कि आज वह जिस मुकाम पर पहुंची है इसके लिए पिता का प्यार और कोच सर का उचित मार्गदर्शन बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध हुए हैं । मैं गांव के लोगों के प्रति भी शुक्रगुजार हूं जिन्होंने मेरी प्रतिभा को निखारने में किसी न किसी प्रकार की सहायता की है या अपना आशीर्वाद मुझ पर बनाए रखा है। स्वाति यादव को बधाई देने वालों में रविंद्र आर्य, वीरेंद्र प्रधान , श्याम लाल शर्मा, सेंसरपाल मलिक, नरेंद्र कुमार, योगेंद्र रजापुरिया आदि सहित गांव के अनेकों गणमान्य लोग सम्मिलित थे।

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