ऐसे पाखण्डी बाबाओं को धर्मगुरू न बनाया जाए तो ही अच्छा है
संत (शैतान) रामपाल का धर्म के नाम पर ऐसा घिनौना खेल सामने आया, कि उसे देखकर धर्म भी शर्मसार हो गया। वैसे इन दिनों स्वयंभू धर्म गुरूओं और बाबाओं का पूरे देश में ऐसा जाल फैला हुआ है कि साधारण आदमी वास्तविक संत और ठगिया शैतान के बीच परख नही कर पा रहा है। आदमी इनसे प्रवचनों के जाल में फंस जाता है और ये लोग फिर उन फंसे हुए ‘पंछियों’ भयादोहन करते हैं। इन बाबाओं के पास संपत्ति का विशाल साम्राज्य है। बड़ी-बड़ी कीमती लग्जरी गाडिय़ों में ये घूमते हैं और देश के विभिन्न भागों में अपने आश्रमों के नाम पर ऐशगाह बनाते हैं।
अभी कुछ दिन पूर्व एक ऐसे ही कथित आशाराम ने अपने साधकों व भक्तों की भावनाओं को तार-तार किया था, अभी उसकी सुर्खियां सूख भी नही पाईं थीं कि रामपाल के रूप में एक नया शैतान सामने आ गया। आजकल तथाकथित गुरूओं व संतों ने धर्म के नाम पर ऐसी स्थिति पैदा कर दी है कि कई लोगों को धर्म के नाम से ही घृणा हो गयी है।
आशाराम और रामपाल से पूर्व भी कई लोगों ने धर्म के नाम पर लोगों को मूर्ख बनाया है। यहां पर ऐसे लोगों के काले कारनामों पर थोड़ा सा प्रकाश डालना उचित समझता हूं। ऐसे लोग अपनी ऊंची राजनीतिक पहुंच के कारण या अपने धार्मिक दबदबे के चलते चर्चाओं में रहे हैं। आपको याद होगा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी के गुरू धीरेन्द्र ब्रह्मचारी का नाम उन दिनों देश के समाचार पत्रों में कितनी सुर्खियां बटोरता था। तब जम्मू कश्मीर में इन्हीं धीरेन्द्र ब्रह्मचारी की अवैध हथियार बनाने की एक बड़ी फैक्टरी पकड़ी गयी, जिसमें ये बड़े पैमाने पर अवैध हथियारों का निर्माण कराते थे। हमें नही पता कि धीरेन्द्र ब्रह्मचारी की फैक्टरी में बने उन हथियारों का प्रयोग कहां और किसके खिलाफ होता था, पर इतना तो निश्चित है कि अवैध कार्य से पैदा अवैध उत्पादन भी अवैध कार्यों में ही लगता खपता है।
पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंहाराव के चंद्रास्वामी से संबंध भी जगजाहिर हैं। इस स्वामी ने भी क्या-क्या कलाकारियां दिखाई थीं, उन्हें बीते अभी ज्यादा समय नही हुआ है। हम सबको पता है कि उस समय भी चंद्रास्वामी के कारण धर्म जैसा पवित्र शब्द कितना शर्मसार हुआ था। वे अंतर्राष्ट्रीय दलालियों में भी लिप्त रहे। इसलिए कई लोग धर्म और राजनीति के मेल को अनुचित मानते हैं। सत्य सांईं बाबा पर आश्रम की साध्वियों के साथ यौन उत्पीडऩ के आरोप लग चुके हैं। सन 1993 में चार युवक उनके बैडरूम में पहुंच गये थे, उनके व सांईं समर्थकों के बीच हुए संघर्ष में सांईं के दो समर्थक मारे गये थे। बाद में इस प्रकरण में पुलिस ने उन चारों युवकों को भी मार दिया था। इन लोगों की ऊंची पहुंच के कारण कानून इनका कुछ भी नही बिगाड़ सका था।
डेरा सच्चा सौदा के गुरू राम रहीम दास पर भी डेरे की साध्वियों के साथ बलात्कार करने व पूर्व प्रबंधक व पत्रकार की हत्या करने केेआरोप लग चुके हैं।
तथाकथित इच्छाधारी भीमानंद को उनके अनुयायी परम आराध्य देव मानते थे, पर वे भी देश के सबसे बड़े सैक्स रैकेट में लिप्त पाये गये, उनकी गिरफ्तारी के बाद जांच में पुलिस को ऐसी छह सौ लड़कियों का पता चला कि जिनकी एक रात की फीस पांच हजार से लेकर एक लाख रूपये थी। उस वक्त बाबा के पास एक सौ पच्चीस करोड़ रूपये थे। बाबा के पास से बरामद की गयी डायरी में पुलिस के चौबीस बड़े अफसरों के नाम मिले थे। बंगलौर के स्वामी परमहंस नित्यानंद का एक हीरोइन के साथ स्कैंडल भी समाचार पत्रों में अच्छी सुर्खियां पाने में सफल रहा था। एक टी.वी. चैनल ने तमिल अभिनेत्री रंजीता की बाबा के साथ अश्लील फोटो भी दिखाई थी।
कांची काम कोटि पीठ के शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती को 2005 में पीठ के मैनेजर शंकर रमन की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है। इसी प्रकार ओशो रजनीश का आश्रम तो खुला सैक्स केन्द्र व नशे का अड्डा रह चुका है। यह उनकी साधना की विशिष्ट शैली थी। जिसमें उनके अनुयायी आश्रम में रहकर ही खूब मौज मस्ती किया करते थे।
सन 2008 में आशाराम बापू का नाम भी कुछ ऐसे ही मामलों में सामने आया तो सफेद दाढ़ी वाले इस सफेद पोश बाबा के काले कारनामों को देखकर दुनिया दंग रह गयी। सन 2010 में गुडग़ांव के पालम विहार में एक बाबा के आश्रम में पुलिस ने छापा मारा, वहां तयखाने में जो कुछ मिला उसे देखकर पुलिस भी आश्चर्यचकित रह गयी थी। वहां लड़कियों की अश्लील फोटो और उनकी बनाई गयी सीडीज का पूरा भंडार मिला था। उत्तर प्रदेश में एक शादी शुदा बाबा अपनी एक शिष्या को ही भगाकर ले गया था, जिसकी उम्र उससे 15 वर्ष छोटी थी। बाबा ने गाजियाबाद से भागने के लिए लालबत्ती की गाड़ी का प्रयोग किया था। सन 2009 में पुजारी देवनाथन ने कांचीपुरम् के मनेचश्वर मंदिर में महिला श्रद्घालुओं के साथ यौनाचार किया। जब उसकी क्लीपिंग बाजार में आई तो उसके काले कारनामों की जानकारी लोगों को हुई।
ऐसे और भी बहुत से प्रकरण हैं जिन्हें यहां लोगों की भावनाओं के दृष्टिगत परोसना तो उचित नही होगा पर उनके बारे में इतना ही कहा जा सकता है कि ऐसे काण्डों से जनसाधारण का विश्वास धर्म से उठता है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत ज्ञानदास ने ठीक ही कहा है कि संतों का भेष धारण कर कुछ कालनेमि आश्रमों में छिपे हैं, जिनकी काली करतूतों की जानकारी वर्षों से सामने आ रही हैं, जिससे धर्म बदनाम हो रहा है। उनका कहना है कि हरिद्वार जैसे पावन तीर्थ पर भी ऐसे कई कालनेमि विराजमान हैं, जिनसे हमें सावधान रहने की आवश्यकता है।
ऐसी परिस्थितियों में देश की जनता को पाखण्डी लोगों को अपना गुरू बनाने से पहले दस बार सोचना चाहिए। जो लोग अपना कल्याण नही कर पा रहे हैं, वो दुनिया का कल्याण क्या कर पाएंगे? इसलिए समय रहते सावधान हो जाना चाहिए।