उगता भारत ब्यूरो
एक प्रसिद्ध कहावत है कि इलाज से परहेज अच्छा। यह कहावत कोरोना के मामले में भी सही है। कोरोना होने से बचना कहीं अधिक सरल है। इसलिए सरकार भी यही प्रचार कर रही है कि कोरोना से बचिए और वास्तव में यही ठीक भी है कि रोग से बचा जाए, न कि होने के बाद इलाज किया जाए। कोरोना से बचना इतना कठिन भी नहीं है। छोटे-छोटे उपायों को अपना कर इससे बचा जा सकता है। सोशल डिस्टेंसिंग यानी लोगों से दूरी रखना एक उपाय है परंतु यह हमेशा के लिए न तो व्यावहारिक है और न ही संभव। कोरोना का वायरस हमेशा के लिए नष्ट नहीं होने वाला, इसलिए अधिक अच्छा यह है कि हम कोरोना से बचने के दो मुख्य उपायों को अपनाएं। पहला उपाय है काढ़े का सेवन और दूसरा उपाय है स्वच्छता को अपनाना। हरेक व्यक्ति अपनी रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाए और कोरोना से बचे। इसके लिए आयुर्वेदाचार्यों ने कई प्रकार के काढ़ों का सेवन करने के लिए संस्तुति की है। यहाँ हम विभिन्न माध्यमों द्वारा प्रचारित और विभिन्न वैद्यों से संस्तुत कुछेक काढ़ों और उनके सेवन विधि के बारे में चर्चा करेंगे। साथ ही हम स्वच्छता के घरेलू उपायों की भी चर्चा करेंगे।
काढ़ा पीएं स्वस्थ रहें
सबसे पहले तो आयुष मंत्रालय द्वारा संस्तुत काढ़े के बारे में जानते हैं। आयुष मंत्रालय ने देश के ख्यातिप्राप्त वैद्यों की एक टोली द्वारा इस काढ़े का प्रयोग सुनिश्चित किया है। आयुष मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार तुलसी, दालचीनी, कालीमिर्च, सोंठ, और मुनक्का का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन एक अथवा दो बार पीना चाहिए। मंत्रालय ने हालाँकि सामग्रियों की मात्रा का निर्देश नहीं दिया है, परंतु प्रचलन के अनुसार एक व्यक्ति के लिए बनाए जाने वाले काढ़े में तुलसी के 8-10 पत्ते, दालचीनी का 2-3 सेमी का टुकड़ा, कालीमिर्च के 5-6 दाने, 2-3 चुटकी सोंठ और 5-6 मुनक्का डाला जाना चाहिए। इसे चार कप पानी में उबालें और एक कप पानी शेष रहने पर छान कर गरम-गरम पीएं। स्वाद के लिए इसमें गुड़ तथा नींबू का रस भी मिला सकते हैं।
डॉ. राम अचल के अनुसार गिलोय, कालीमिर्च, दालचीनी, पिप्पली और वासा की बराबर मात्रा लेकर चूर्ण बना लें। इसका बीस ग्राम यानी लगभग तीन चम्मच चूर्ण चार कप पानी में डाल कर उबालें। एक कप शेष रहने पर छान लें। इस काढ़े को गरम-गरम पीएं। स्वाद के लिए इसमें गुड़ मिला सकते हैं।
इन सभी काढ़ों में कालीमिर्च और सोंठ का प्रयोग गरमी करता है। इसलिए गरमी के मौसम में इसका प्रयोग थोड़ी सावधानीपूर्वक करें। कालीमिर्च अपनी प्रकृति के अनुसार कम-अधिक डालें। इसीप्रकार जिन्हें बवासिर आदि की शिकायत हो, वे सोंठ से परहेज रखें। गिलोय का काढ़ा हर मौसम और रोग में सर्वोत्तम है। यदि केवल गिलोय का भी काढ़ा पीया जाए तो कोरोना जैसी अनेक बीमारियों से बचा जा सकता है। गिलोय के काढ़े में यदि उपलब्ध तो वासा और कालमेघ के पत्ते भी डाल सकते हैं। इस काढ़े में जेठीमध यानी मुलेठी मिलाना भी बहुत लाभकारी हो सकता है। गर्मियों की अम्लपित्त और कफ की समस्या में मुलेठी का प्रयोग काफी लाभकारी होता है।
सामान्य चाय में भी गिलोय की डंडी का चार सेमी टुकड़ा को कुचल कर, दालचीनी, थोड़ी सी अदरक और तुलसी डाल कर बनाए। इनमें गिलोय, अदरक, दालचीनी और तुलसी डाल कर पहले उबाल लें। इसमें शक्कर भी मिला लें। अंत में चाय की पत्ती डालें और एक उबाल के बाद उतार लें। इसमें नींबू मिला कर पी सकते हैं। अथवा दूध मिला कर भी पी सकते हैं। दूध अथवा नींबू में से कोई एक चीज ही मिलाएं।
इस प्रकार यदि इनमें से किसी एक भी काढ़े का सेवन नियमित रूप से करें तो कोरोना से सरलता से बचा जा सकता है। ध्यान रखें, ये काढ़े आपको केवल कोरोना से ही नहीं बचाएंगे, बल्कि सामान्य रूप से आपकी रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएंगे और कफ तथा पित्त के अन्य रोगों को भी ठीक करेंगे।
घरेलू नुस्खों से रहें स्वच्छ
कोरोना से बचने के लिए दूसरी आवश्यकता स्वच्छता की है। स्वच्छता के लिए सैनिटाइजर के प्रयोग का बहुत प्रचार किया जा रहा है। परंतु रासायनिक और अल्कोहल-आधारित सैनिटाइजर यदि हमें कोरोना से बचाएंगे तो दूसरी कई बीमारियां भी देंगे। अभी सरकार की ओर से बृहद स्तर पर सैनिटाइजर का छिड़काव करवाया जा रहा है। अनेक दुकानों में भी पैकेटों पर सैनिटाइजर छिड़क कर ग्राहकों को दिया जा रहा है। कई दुकानदार नोटों पर भी सैनिटाइजर छिड़क रहे हैं। अपनी ओर से वे कोरोना से बचने के लिए वे सभी उपाय कर रहे हैं, जिनका सरकार प्रचार कर रही है। परंतु न तो सरकार और न ही वे यह विचार कर रहे हैं कि इन रासायनिक सैनिटाइजरों के दूसरे दुष्परिणाम भी तो हैं। उनसे उन्हें कौन बचाएगा?
देश के अनेक हिस्सों से रासायनिक सैनिटाइजर के नुकसानों पर चर्चा प्रारंभ हो गई है और साथ ही उसमें प्रयोग किए जा रहे हानिकारक रसायनों पर प्रतिबंध भी लगाया जाने लगा है। उदाहरण के लिए भोपाल समेत देशभर में कोरोना से सुरक्षा के लिए सैनिटाइजेशन का काम जोरों पर किया जा रहा था। इसके लिए कई सार्वजनिक स्थानों पर फुल बॉडी सैनिटाइजिंग मशीन भी लगाई गई थी। लेकिन इस मशीन में उपयोग होने वाला सोडियम हाइपोक्लोराइड रसायन व्यक्ति की आंख, त्वचा, पेट और गले के लिए नुकसानदायक होता है। इसलिए केंद्र सरकार ने अब फुल बॉडी सैनिटाइजिंग मशीन में इस रसायन के उपयोग पर रोक लगा दी है। इसी तरह अनेक स्थानों पर सैनिटाइजर से पीतल और लोहे जैसी धातुएं गल जा रही हैं। विचार करने की बात है कि ऐसे सैनिटाइजर मनुष्य को कितना हानि पहुँचाएंगे। इसी प्रकार अन्य सैनिटाइजरों का क्या नुकसान है, यह अभी स्पष्ट नहीं है। कहीं ऐसा न हो कि कोरोना से बचने के लिए हम सैनिटाइजर का प्रयोग करें और कोई और स्वास्थ्यगत नुकसान उठाएं। इसलिए आवश्यक है कि हम सैनिटाइजर के लिए भी देसी प्रयोगों पर ही ध्यान दें।
इसलिए यदि सैनिटाइजर प्रयोग करना ही है तो घर में सैनिटाइजर बनाएं। घर में नीम की पत्तियों को पानी में उबाल लें। यह एक अच्छा सैनिटाइजर है। इसके अलावा फिटकिरी को पानी में थोड़ा सा घोल लें। यह फिटकिरी युक्त पानी भी सैनिटाइजर का ही काम करेगा। इस तरह के और भी घरेलू सैनिटाइजर हम स्वयं भी घर में बना सकते हैं।
बाहर किए जा रहे सैनिटाइजर के छिड़काव के दुष्प्रभावों से बचने के लिए भी कुछेक काम किए जाने चाहिए। फल और सब्जियों को हल्दी और नमक मिले गुनगुने पानी में कुछ देर भिगोकर रख दें। उसके बाद उनका उपयोग करें। इससे केवल सैनिटाइजर ही नहीं, बल्कि खेती के दौरान फल और सब्जियों पर किए गए अन्य रासायनिक उपचारों के दुष्प्रभाव भी दूर हो जाएंगे।
डॉ. अभिषेक दाधीच
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय जोधपुर
घर में उपलब्ध कुछ चीजों से निम्नलिखित योग बना कर सेवन कर सकते हैं. इसमें अधिकांश वस्तुए उष्ण वीर्य तथा कटु विपाक होने से वात कफ का शमन करती हैं, जिसके कारण सर्दी जुखाम खांसी से ग्रसित होने की सम्भावना कम रहती है. मुनक्का तथा धनिया पित्त का शमन करते हैं. मुलेठी रसायन के रूप में काम करती है. इस योग से आम दोषों का पाचन होता है, जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि होती है-
लौंग 50 ग्राम, काली मिर्च 50 ग्राम, सोंठ 50 ग्राम, साबुत धनिया 50 ग्राम, अजवायन 50 ग्राम, मुलेठी 50 ग्राम, हल्दी 50 ग्राम, इन सभी को दरदरा पीसना है।
1 लीटर पानी मे 1/2 चम्मच (लगभग 3 ग्राम) उपरोक्त पाउडर, 5 तुलसी के पत्ते व 2 मुनक्का तोड़कर डाले। 15 मिनट धीमी आंच पर उबालकर छान लें। गर्म पानी की बोतल में डाल लें और दिन में 1-2 बार 1 कप पियें।
सावधानी: ठंडा नही होने दे गुनगुना ही उपयोग करे। पित्तवर्धक आहार का सेवन न करे। 2 वर्ष से कम के बच्चो को न दे।
2 से 10 वर्ष के बच्चो को 1 या 2 चम्मच।
10 से 16 वर्ष के बच्चो को 1/2 कप।
एसिडिटी, पाइल्स के मरीज 1/2 कप ले।