कटक । ( संवाददाता) कार्यक्रम में वीर सावरकर फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रह्लाद खंडेलवाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत की बलिदानी परंपरा को जीवित रखकर वीर सावरकर फाउंडेशन एक महानतम कार्य को संपादित कर रहा है। उन्होंने कहा कि फाउंडेशन के लोग राष्ट्रवाद का संचार कर लोगों में नवजागरण का भाव पैदा कर रहे हैं ।
श्री खंडेलवाल ने कहा कि भारत की भूमि ने संसार को स्वतंत्रता का संदेश दिया है इसलिए यहां के लोगों ने कभी पराधीनता को स्वीकार किया हो, यह नहीं सोचा जा सकता। हमने पहले दिन से पराधीनता के खिलाफ लड़ाई लड़ी है और इसके लिए अपने लाखों बलिदान दिए हैं। तभी हम आज जीवित हैं। श्री गुप्ता ने कहा कि आज भी देश में हिंदुत्व के लिए जिस प्रकार खतरा उत्पन्न हो रहा है उसके दृष्टिगत हमें एकता का परिचय देते हुए अपनी बलिदानी परंपरा को बनाए रखना होगा। उन्होंने कहा कि आज शौर्य दिवस है , जब हम कोठारी बंधुओं को विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए यह पुरस्कार उन्हें दे रहे हैं। उनका बलिदान हमें राष्ट्र के लिए समर्पित होकर कार्य करने की प्रेरणा देता है।
वीर सावरकर फाउंडेशन के अध्यक्ष ने अपने ओजस्वी वक्तव्य में कहा कि राम स्वयं एक संस्कृति हैं। उनका मंदिर समझो राष्ट्र मंदिर है । जिसमें हम समग्र राष्ट्र का स्वरूप देखते हैं । उन्होंने कहा कि राम इस देश की सनातन संस्कृति के ध्वजवाहक हैं और भारत की सनातन संस्कृति किसी भी प्रकार की पराधीनता को स्वीकार नहीं कर सकती। रामचंद्र जी ने अपने जीवन काल में पराधीनता को पैदा करने वाली शक्तियों का विरोध और विनाश किया । उनके वंशज होने के नाते हमारा यह पवित्र दायित्व है कि हम भी उन शक्तियों और व्यक्तियों का विरोध करें जो भारतीयता का विनाश करने में लगी हुई हैं। कोठारी बंधुओं के बलिदान का सम्मान करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने अपना पवित्र बलिदान इसी भाव से प्रेरित होकर दिया था। जो लोग आज भी भारत की एकता और अखंडता को तोड़ने की गतिविधियों में लगे हुए हैं उनके लिए चाहे मदन लाल धींगड़ा हों या फिर कोठारी बंधु हों या हमारा कोई अन्य क्रांतिकारी हो उनकी आत्मा आज भी हमसे यही कहती है कि उनके विनाश के लिए सब एक होकर काम करें।
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