क्या कभी यह सोचकर देखा? निकट है काल की रेखा।
आओ मिलें अब उन लोगों से, जो आधुनिक उन्नत हैं।
खून तलक पी जाएं बसर का, कहते हम गर्वोन्नत हैं।
ईमान बेच दें टुकड़ों पर, और करते हैं हेरा फेरी।
मानवता की हत्या करते, लगती नही इनको देरी।
आज विश्व का देश द्रव्य को, व्यय कर रहा है गोली पर।
जहरीले घातक अस्त्रों की, ध्यान लगा है बोली पर।
मरते करोड़ों भूख कुपोषण से, इसका किसने ध्यान किया?
देखा, उन्नत मानव ने अपनी, मृत्यु का सामान किया।
भय तनाव से विश्व सुरक्षा, पूरी तरह आशंकित है।
उन्नत मानव से हर प्राणी, बुरी तरह आतंकित है।
हथियारों की दौड़ है अंधी, दिन पर दिन हुई दु्रत गति।
महाशक्ति कहलाने वालों की, हो रही है भंग मति।
चांद के ऊपर जा मानव ने, जीत का झण्डा फहराया।
किंतु कराहती मानवता ने, धीरे से यह फरमाया।
ओ चांद पर जाने वाले सुन, तुझे विज्ञान तो है पर ज्ञान नही।